CAA और आर्टिकल 370 की वजह से अमेरिकी कंपनी ने भारत सरकार को दिया झटका
नई दिल्ली। देश में जारी आर्थिक सुधारों को तगड़ा झटका लगा है। अमेरिका की वेस्टर्न असेट मैनेजमेंट कंपनी ने भारत सरकार की बॉन्ड होल्डिंग्स में कटौती कर दी है। कंपनी की तरफ से यह कदम नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और कश्मीर से हटाए गए आर्टिकल 370 की वजह से उठाया गया है। माना जा रहा है कि कंपनी के इस फैसले के बाद से ही पहले से ही सुस्त हो चुकी अर्थव्यवस्था पर खासा असर पड़ेगा।
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देश में जारी है विरोध प्रदर्शन
कंपनी ने 453 बिलियन डॉलर के बॉन्ड की होल्डिंग्स में कटौती करने का फैसला किया है। वेस्टर्न असेट मैनेजमेंट, लेग मैसन इंक कंपनी का हिस्सा है। यह कंपनी अपने फंड को मलेशिया और चीन की तरफ भेज रही है जिन पर पहले से ही कंपनी का काफी कर्ज है। कंपनी के एशिया के लिए इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट के मुखिया डेसमंड सून की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई है। देश में नागरिकता कानून की वजह से पिछले एक माह से विरोध प्रदर्शन जारी हैं।
आर्थिक नीतियों पर पड़ेगा असर
पिछले तीन माह में भारत के सावरेन कर्ज में गिरावट दर्ज की गई है। सून ने इस सारे मसले पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा, 'निश्चित तौ पर यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का ध्यान जरूरी आर्थिक नीति तैयार करने और अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी सुधारों से हटाने वाले फैसले हैं।' सून को निवेश में 30 सालों का अनुभव है और वह सिंगापुर में रहते हैं।
मलेशिया की मदद करने को रेडी कंपनी
एक माह से देश के अलग-अलग हिस्सों में सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। अगस्त में केंद्र सरकार की तरफ से जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाकर राज्य के विशेष दर्जे को खत्म करने का ऐलान किया था। बताया जा रहा है कि वेस्टर्न असेट तेल निर्यातक के तौर पर मलेशिया की मदद करने जा रहा है। सून का कहना है कि एनर्जी कीमतों में काफी तेजी आ रही है और इसकी वजह से उसे फायदा होगा।
भारत से हटकर चीन के लिए बढ़ा आकर्षण
मलेशिया के अलावा ग्लोबल निवेशक चीन के बॉन्ड पर 150 से 200 बिलियन डॉलर तक निवेश करने को तैयार हैं। अभी तक इस पूरे घटनाक्रम पर सरकार की तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। माना जा रहा है कि सरकार इस मसले पर कोई बयान जारी कर सकती है।