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कौन हैं योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर में भाजपा के 'नट-बोल्ट' ढीले करने वाले प्रवीण कुमार निषाद

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी की करारी हाल ने सूबे सहित देश की सियासत में नई हवा चला दी है। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने हार स्‍वीकार कर ली है। गोरखपुर में भाजपा की इस हार को योगी के किले में सेंध के तौर पर देखा जा रहा है। सेंध लगाने का ये काम सपा प्रत्‍यााशी प्रवीण कुमार निषाद ने किया है। बता दें कि गोरखपुर में कुल 9 लाख 34 हजार 56 वोट पड़े। इसमें से एसपी को कुल 4 लाख 56 हजार पांच सौ तेरह वोट मिले। बीजेपी को सिर्फ बीजेपी को 4 लाख 34 हजार छह सौ बत्तीस वोट मिले। आईए आपको विस्‍तार से बताते हैं प्रवीण कुमार निषाद के बारे में

मैकेनिकल इंजीनियर की डिग्री है प्रवीण कुमार निषाद के पास

मैकेनिकल इंजीनियर की डिग्री है प्रवीण कुमार निषाद के पास

प्रवीण ने NNIT ग्रेटर नोएडा से बीटेक (मैकेनिकल ब्रांच) की है। नौकरी के दौरान ही उन्होंने सिक्किम मनीपाल यूनिवर्सिटी से पत्राचार के माध्यम से एमबीए किया। प्रवीण को राजनीति विरासत में मिली है। इनके पिता डॉ. संजय निषाद राष्ट्रीय निषाद पार्टी के संस्थापक थे। साल 2013 में उन्होंने इस पार्टी को खड़ा किया था। उस वक्‍त प्रवीण कुमार निषाद उस पार्टी के प्रवक्ता बनाए गए थे।

4 साल एक प्राइवेट कंपनी में बतौर प्रोडक्शन इंजीनियर नौकरी की

4 साल एक प्राइवेट कंपनी में बतौर प्रोडक्शन इंजीनियर नौकरी की

साल 2008 में बीटेक करने के बाद 2009 से 2013 तक उन्होंने राजस्थान के भिवाड़ी में एक प्राइवेट कंपनी में बतौर प्रोडक्शन इंजीनियर नौकरी की थी। लेकिन 2013 में अपने पिता के राजनैतिक सपनों में रंग भरने के लिए वो वापस गोरखपुर लौट आए। उन्हीं की तरह उनके पिता डॉक्टर संजय कुमार निषाद भी राजनीति में आने से पहले कई अन्य कार्यों से जुड़े रहे हैं।

ट्रेन रोक चर्चा में आई थी राष्‍ट्रीय निषाद पार्टी

ट्रेन रोक चर्चा में आई थी राष्‍ट्रीय निषाद पार्टी

प्रवीण निषाद के पिता ने साल 2002 में पूर्वांचल मेडिकल इलेक्ट्रो होम्योपैथी एसोसिएशन का गठन भी किया। वो इसके अध्‍यक्ष थे। उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की शुरुआत 2008 में हुई जब उन्होंने ऑल इंडिया बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी वेलफेयर एसोसिएशन का गठन किया। लेकिन 7 जून 2015 को वो पहली बार सुर्खियों में तब आये, जब गोरखपुर से सटे सहजनवा के कसरावल गांव के पास निषादों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर उनके नेतृत्व में ट्रेन रोकी गई। उस दिन हिंसक प्रदर्शन के बीच एक आंदोलनकारी की पुलिस फायरिंग में मौत के बाद आंदोलनकारियों ने बड़ी तादाद में गाड़ियों को आग लगा दी थी।

पत्‍नी करती हैं सरकारी नौकरी

पत्‍नी करती हैं सरकारी नौकरी

प्रवीण कुमार निषाद की पत्‍नी रितिका साहनी सरकारी नौकरी में हैं। पर्चा भरने के दौरान प्रवीण कुमार ने अपने पास कुल 45,000 रुपये और सरकारी कर्मचारी पत्नी रितिका के पास कुल 32,000 रुपये नकदी होने का ब्यौरा दिया था। प्रवीण के द्वारा जमा किए गए एफिडेविट में दी गई जानकारी के मुताबिक, उनके पास कोई भी जमीन नहीं है। उनके पास नकदी भले ही कम हो लेकिन अब उन्होंने समर्थकों और वोटरों की बड़ी संपत्ति हासिल कर ली है।

सासंद बनने की कभी कल्‍पना भी नहीं की थी प्रवीण ने

सासंद बनने की कभी कल्‍पना भी नहीं की थी प्रवीण ने

प्रवीण के लिए राजनीति एकदम नई चीज है। शायद उन्होंने खुद भी कभी कल्पना नहीं की होगी कि वह गोरखपुर के सांसद बन पाएंगे। समाजवादी पार्टी द्वारा जातिगत समीकरण को ध्यान में रखते हुए निषाद समुदाय से आने वाले प्रवीण को टिकट मिला और बीएसपी ने कोई उम्मीदवार नहीं खड़ा किया। बाद में बीएसपी ने एसपी को समर्थन देने की घोषणा की। यही फैसला एसपी के लिए टॉनिक का काम कर गया।

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English summary
UP By Poll Result: Profile of Praveen Kumar Nishad who defeated BJP and demolished fortress of Yogi Adityanath.
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