
क्या शिवसेना में टूट से पहले उद्धव ने बीजेपी नेतृत्व से गुहार लगाकर सरकार बचाने की कोशिश की थी ? जानिए
मुंबई, 17 जुलाई: महाराष्ट्र के सियासी संकट का अंत अभी अदालत से नहीं हुआ है। लेकिन, फिलहाल एक बात तय है कि उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली महा विकास अघाड़ी सरकार गिर चुकी है और एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन वाली सरकार सत्ता में बैठ चुकी है। ऐसे में एक नई रिपोर्ट आई है कि उद्धव ठाकरे ने जब अपनी कुर्सी जाती देखी थी तो उन्होंने भाजपा नेतृत्व के पास भी सरकार बचाने के लिए काफी हाथ-पैर मारे थे, लेकिन बात नहीं बन पाई थी। रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने अपना यह दर्द शिवसेना के सांसदों के सामने भी जाहिर किया और भाजपा के साथ मध्यस्थता करवाने में उनसे भी सहयोग मांगी थी।

उद्धव ने सीधे फडणवीस से की थी डील की कोशिश-रिपोर्ट
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को जब यह एहसास हो गया कि शिवसेना में टूट को रोकना असंभव हो चुका है तो उन्होंने कथित तौर पर भाजपा नेता और मौजूद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से संपर्क किया था। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि उद्धव ने फडणवीस से सीधे बात की थी और उनसे गुजारिश की थी कि भाजपा सीधे उनके साथ डील करे, ताकि पार्टी के विधायक एकनाथ शिंदे के साथ ना जाकर उनके साथ बने रहें। लेकिन, फडणवीस ने उद्धव के प्रस्ताव को ठुकरा दिया।

पीएम मोदी और अमित शाह से भी की थी संपर्क की कोशिश-रिपोर्ट
दावे के मुताबिक फडणवीस और उद्धव के बीच सीधी बातचीत हुई थी। यही नहीं, उद्धव ठाकरे ने इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी संपर्क करने की कोशिश की थी, लेकिन उन्होंने इनके कॉल का कोई जवाब नहीं दिया। गौरतलब है कि 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने भी शिवसेना सुप्रीमो उद्धव से संपर्क करना चाहा था,लेकिन उन्होंने बातचीत की पेशकश ठुकरा दी थी और भाजपा की अगुवाई में चुनाव जीतने के बावजूद एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार का गठन कर लिया था। (ऊपर की तस्वीरें-फाइल)

उद्धव ने शिवसेना सांसदों से भी भाजपा से मध्यस्थता में सहायता मांगी-रिपोर्ट
रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा इसबार बगैर उद्धव वाली शिवसेना के साथ गठबंधन चाहती थी। इसके बाद भी जब शिवसेना के कुछ सांसदों ने हाल ही में उद्धव को एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने के लिए खत लिखा था, तो शिवसेना प्रमुख ने उनसे भी गुजारिश की थी कि बीजेपी के साथ मध्यस्थता में उनकी सहायता करें। शिवसेना के सांसद उद्धव से मिले थे तो ठाकरे ने उनसे कहा कि बीजेपी से संपर्क करने की उनकी कोशिशों का कोई परिणाम नहीं निकल पाया है। यहां तक की सांसदों को भी भाजपा नेतृत्व से कोई जवाब नहीं मिला।

क्रॉस-वोटिंग की भनक लगते ही सक्रिय हो चुके थे उद्धव-रिपोर्ट
जानकारी के मुताबिक शिवसेना से जुड़े कुछ लोगों ने कथित रूप से रश्मि ठाकरे का संदेश लेकर एकनाथ शिंदे से भी संपर्क किया था। लेकिन, शिंदे की ओर से सुलह की संभावना शायद इसलिए नहीं है, क्योंकि भाजपा नेतृत्व इसके लिए तैयार नहीं है। उद्धव की ओर से पार्टी को संभालने की इस तरह की तमाम कोशिशों तभी से शुरू हो चुकी थीं, जब उन्हें विधान परिषद चुनाव में क्रॉस-वोटिंग की भनक लग चुकी थी और उन्होंने शिवसेना के एमएलए की एक आपात बैठक बुलाई थी। लेकिन, तबतक शिवसेना नेता और तत्कालीन मंत्री एकनाथ शिंदे पार्टी के 11 एमएलए के साथ लापता हो चुके थे।

गवर्नर को विश्वास मत का पत्र सौंपने के साथ सामने आई थी बीजेपी
शिवसेना में हुई बगावत में बीजेपी के हाथ होने से पार्टी और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे दोनों इनकार करते रहे हैं। यहां तक कि जब उद्धव कैंप ने पार्टी के 16 बागी एमएलए को अयोग्य ठहराने का आवेदन डिप्टी स्पीकर को सौंप दिया तब भी। लेकिन, जब देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल से मिलकर विधानसभा में तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने की मांग वाला पत्र सौंपा और गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने 30 जून को उन्हें ऐसा ही करने का निर्देश दिया तो घटनाक्रम तेजी से बदल गए और फिर शिवसेना के बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे की ताजपोशी का रास्ता साफ हो गया।