त्रिपुरा: जीत के बाद बीजेपी ने किया दैवीय शक्ति को धन्यवाद, जानें कौन हैं वो देवी, जिनकी कृपा से मिली पूरब में विजय
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी त्रिपुरा के विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल की है। भाजपा कार्यकर्ता इस जीत को मां त्रिपुर सुंदरी का आशीवार्द बता रहे हैं। त्रिपुरा विधानसभा चुनाववके दौरान भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत सभी बड़े नेताओं ने त्रिपुर सुदंरी माता के मंदिर में जाकर मत्था टेका था। त्रिपुरा में इस मंदिर का काफी महत्व है। आइए जानते हैं त्रिपुर सुंदर मंदिर के पीछे की पौराणिक कथा और इसकी महिमा के बारे में
51 शक्तिपीठों में से एक है त्रिपुर शक्तिपीठ
त्रिपुर सुंदरी मंदिर, त्रिपुरा के उदयपुर में स्थित है। यह मंदिर हिंदू धर्म के 51 शक्तिपीठों में से एक है। हिन्दू रृधर्म की मान्यताओं के अनुसार 'जहां-जहां माता सती के अंग के टुकड़े गिर थे वहां-वहां शक्तिपीठ बने। त्रिपुर सुन्दरी शक्तिपीठ इन्हीं 51 शक्तिपीठों में से एक है।' कहा जाता है कि मां त्रिपुर के नाम पर ही पूर्वोत्तर के इस राज्य का नाम त्रिपुरा पड़ा।
मंदिर के पीछ की पौराणिक कथा
प्रचलित कथाओं के अुनसार 1501 में त्रिपुरा पर धन्यमाणिक नाम का राजा राज करता था। एक दिन धन्यमाणिक के सपने में मां त्रिपुर ने दर्शन दिए। मां ने उन्हें सपने में बोला कि चिंतागांव के पहाड़ पर उनकी मूर्ति रखी है जिसे उन्हें आज ही रात में लानी है। सपना देखते ही राजा की नींद टूट गई। राजा ने तुरंत अपने सैनिकों को हुक्म दिया और रातों रात मंदिर लेकर आने का आदेश दिया। लेकिन सैनिक मूर्ति लेकर जैसे ही माताबड़ी सूर्योदय हो गया।
ये भी कहानी है प्रचलित
सूर्योदय होता देखकर राजा ने वहीं मंदर स्थापित करने का आदेश दिया जो कि बाद में 'त्रिपुर सुंदरी' के नाम से विख्यात हुआ। एक कहानी ये भी है कि राजा धन्यमाणिक वहां विष्णु मंदिर बनवाने वाले थे, किंतु त्रिपुरेश्वरी की मूर्ति स्थापित हो जाने के कारण राजा पेशोपेश में पड़ गए कि वहां वे किसका मंदिर बनवाएं? किंतु सहसा आकाशवाणी हुई कि राजा उस स्थान पर, जहां विष्णु मंदिर बनवाने वाले थे, मां त्रिपुर सुंदरी का मंदिर बनवा दें और राजा ने यही किया।