...याद करें आज उसे जिसने कभी हमें बाढ़ से बचना सिखाया था
आज हम देश में जम्मू-कश्मीर की भीषढ़ बाढ़ देख रहे हैं। कुछ अर्से पहले उत्तराखंड में तहस-नहस हुईं जिंदगियों से रू-ब-रू हुए थे। क्या आज हमारे पास थोड़ा वक्त और थोड़ी याद्दाश्त बाकी है कुछ और याद करने के लिए...? शायद नहीं। हम तबाही को भी कुछ वक्त बाद भूल जाते हैं और यह तो सकारात्मक बदलाव का विषय है।
भारत के सबसे बड़े इंजीनियर समझे जाने वाले एम विश्वेश्वरैया का आज जन्मदिन है। इसे इंजीनियर्स डे के तौर पर मनाया जाता है पर कितनी अजीब बात है कि विश्वेश्वरैया ने शुरुआती पढ़ाई कला में की थी पर देश-समाज के हालात उन्हें विज्ञान के करीब लाते गए।
दरअसल सिंचाई व्यवस्था का बुनियादी तंत्र और बाढ़ से बचने के तरीकों पर पहला काम विश्वेश्वरैया ने ही किया था। उन्होंने पढ़ाई के बाद महाराष्ट्र में काम किया और बाद में उनकी सलाह से भारत के कई हिस्सों में बांधों का निर्माण हुआ। जब देश तबाही समझता था उस वक्त वे उसका समाधान सोच लिया करते थे।
कावेरी नदी के पास जिस केआरएस बांध का निर्माण अपनी देख रेख में करवाया। उनके इस योगदान से आज उसे प्रमुख बांधों में गिना जाता है। भारत की इंजीनियरिंग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने में उनकी प्रमुख भूमिका रही।
विश्वेश्वरैया के काम से प्रभावित होकर ब्रिटिश राजघराने ने उन्हें 1911 में सर की उपाधि प्रदान की गई और भारत के आजाद होने पर उन्हें 1955 में देश के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा गया। इस महान कर्तव्य के लिए आज उन्हें जन्मदिन की विशेष बधाई तो देनी ही चाहिए। तो हमारे साथ आप भी विश करें उन्हें 'हैप्पी बर्थडे''।