अब तलाक के लिए धर्म बदलना होगा !
वड़ोदरा। तलाक के लिए धर्म बदला होगा सुनने में कुछ अटपटा लगता है आप सोच रहे होंगे ये कैसा तालिबानी फरमान है लेकिन आपको सुन कर आश्चर्य होगा कि यह आदेश गुजरात हाई कोर्ट ने दिया है। लेकिन किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले ठहरिये। कोर्ट ने यह आदश उन लोगों के लिए दिया है जिन्होंने महज शादी के लिए धर्म परिवर्तन किया था।
हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए कहा कि अगर महिला यह सिद्ध करने में सफल होती है कि उसने इस्लाम धर्म छोड़ दिया है और अपने मूल धर्म को स्वीकार कर लिया है ऐसी स्थिति में महिला को तलाक दिया जा सकता है। साथ ही निचली अदालतों से ऐसे मामलों की सुनवाई करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में सेक्शन 4 आड़े नहीं आता है।
मुस्लिम मैरेज लॉ के सेक्शन 4 धर्म बदलने पर निकाह को टूटने से बचाता है। तलाक की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि वडोदरा में रहने वाली इसाई महिला ने मुस्लिम पुरुष से मुस्लिम मैरेज़ लॉ के अंतर्गत 2003 में निकाह किया था। लेकिन आपसी विवाद के चलते पत्नि ने तलाक की याचिका दायर की थी। लेकिन महिला ने 2012 में इस्लाम को छोड़कर फिर से इसाई धर्म अपना लिया था। धर्म बदलने के साथ ही महिला ने अपने पति से फैमिली कोर्ट में इस आधार पर तलाक मांगा था कि उनके पति उनको प्रताड़ित करते हैं।
कोर्ट ने महिला को यह कहते हुए तलाक देने से मना कर दिया कि क्योंकि महिला धर्म बदलने के आधार पर तलाक मांगा है लेकिन सेक्शन 4 के अनुसार उन्हें तलाक नहीं दिया जा सकता। महिला ने इस्लाम धर्म का हवाला देते हुए कहा था कि क्योकि उन्होंने इस्लाम धर्म छोड़ दिया है ऐसे में उनका निकाह मान्य नहीं हो सकता है।