सूर्य ग्रहण पर अंधविश्वास की सारी हदें पार, गले तक मिट्टी में दबाए गए 3 बच्चे, हैरान करने वाली है वजह
नई दिल्ली। भारत में अंधविश्वास के चलते कई अजीबोगरीब घटनाएं सामने आती रहती हैं जो किसी को भी हैरत में डाल दे। ऐसा ही हैरान कर देने वाला एक मामला कर्नाटक के कलाबुर्गी इलाके से सामने आया जहां तीन दिव्यांग बच्चों को उनके परिजनों ने जमीन में दबा दिया। हालांकि इस दौरान बच्चों को धड़ मिट्टी के अंदर था और सर बाहर था जिससे वह सांस ले पा रहे थे। इस घटना की तस्वीरें भी सामने आई हैं जिसके बाद सोशल मीडिया पर इसकी काफी आलोचना हुई।
अंधविश्वास का अजीबोगरीब मामला
दरअसल, गुरुवार को साल 2019 का तीसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण लगा था। इस दौरान कई लोगों ने अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण का समय बिताया। सूर्य ग्रहण को लेकर देश के विभिन्न स्थानों पर अंधविश्वास भी देखने को मिला जहां लोग अजीब हरकते करते नजर आए। कुछ ऐसा ही अजीबोगरीब मामला कर्नाटक में कलाबुर्गी के सुल्तानपुर गांव में देखने को मिला जहां मात-पिता ने अपनी ही दिव्यांग बच्चों को गर्दन तक जमीन में दबा दिया। इस दौरान वहां बड़ी संख्या में भीड़ भी मौजूद थी लेकिन किसी ने कुछ नहीं बोला।
इसलिए बच्चों को मिट्टी में दबाया गया
पूछताछ में बच्चों के परिवजनों ने इसके पीछे जो वजह बताई वह हैरान करने वाली थी। बच्चों के माता-पिता ने बताया कि वह ऐसा इसलिए कर रहे हैं ताकि उनकी संतानें ठीक हो जाएं। वहीं कर्नाटक के ही विजयपुरा इलाके में भी ऐसा ही मामला देखने को मिला जहां एक मुस्लिम परिवार ने अपने 24 साल के दिव्याग बेटे को जमीन में गर्दन तक दबा दिया। लड़के के पिता पप्पु मुल्ला ने बताया कि सुर्य ग्रहण के दौरान ऐसा करने से उनका बेटा ठीक हो जाएगा।
Karnataka: Three specially-abled children were buried up till the neck at Tajsultanpur village in Kalaburagi, during #SolarEclipse, earlier today as parents believed that their children will be cured of deformities by this. pic.twitter.com/8JncLKk4Xl
— ANI (@ANI) December 26, 2019
सूर्य ग्रहण में बंद हो जाते हैं मंदिरों के कपाट
बता दें कि भारत के कई स्थानों पर ग्रहण से पहले सूरत काल शुरू होते ही मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। मंदिरों में पूजा-पाठ बंद हो जाता है। ऐसे में कई बार लोगों के मन में सवाल उठते हैं कि आखिर क्यों सूतक के दौरान मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के दौरान सूतक काल शुरू होते ही मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। माना जाता है कि ग्रहण का प्रभाव नकारात्मक होता है। ऐसे में मंदिरों को सबसे पवित्र स्थान माना गया है इसलिए मंदिरों को नकारात्मकताओं से बचाने के लिए मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
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