कभी कांग्रेस के होते थे ये 6 'लाल', अब दूसरे दलों से मुख्यमंत्री बनकर मचा रहे हैं धमाल
नई दिल्ली, 12 मई: इसी महीने संपन्न हुए चार राज्यों समेत केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुत बड़ा झटका लगा है। असम और केरल में सरकार बनाने के उसके सपने चकनाचूर हो गए। पुडुचेरी में जहां हाल तक उसकी सरकार थी, वहां भी वह सत्ता में वापस नहीं लौट पाई। ले देकर तमिलनाडु से सांस लेने का मौका मिला है, जहां उसकी बड़ी सहयोगी डीएमके एक दशक बाद सत्ता में वापस लौट आई है। लेकिन, कांग्रेस के इतिहास के लिए एक चौंकाने वाली बात ये है कि जिन पांच राज्यों में चुनाव हुए हैं, उनमें से तीन प्रदेशों के मुख्यमंत्री बनने वाले नेताओं का बैकग्राउंड कांग्रेसी है और वो अलग-अलग समय में कांग्रेस छोड़कर आज दूसरे दलों से सीएम बने हैं। यही नहीं बाकी तीन राज्य और हैं, जहां के मुख्यमंत्री कभी कांग्रेस में हुआ करते थे, लेकिन अब उनकी कांग्रेस विरोध की राजनीति चल निकली है।
ममता बनर्जी- पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 1970 की दशक में कांग्रेस से ही राजनीतिक सफर शुरू किया था। उस समय उन्होंने युवक कांग्रेस कार्यकर्ता के तौर पर काम शुरू किया था। बाद में वह महिला कांग्रेस और यूथ कांग्रेस की महासचिव भी बनीं। 1984 में वह कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंचीं। लेकिन, बाद में मतभेदों की वजह से उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और 1997 में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की। इसके बाद भी वह कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार में शामिल रहीं और केंद्र में मंत्री भी बनीं। लेकिन, पिछले तीन चुनावों से उनकी अपनी पार्टी बड़ी जीत के साथ बंगाल में सत्ता में आ रही है और वह सीएम बन रही हैं।
हिमंत बिस्वा सरमा- असम
असम के नए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने 2015 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री तरुण गोगोई से मतभेदों के चलते कांग्रेस छोड़ दी थी। बाद में उन्होंने राहुल गांधी के काम करने के तरीके पर भी सवाल उठाया था और भाजपा में शामिल हो गए थे। वह 2001 से लगातार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते और कांग्रेस सरकार में महत्वपूर्ण विभागों में कद्दावर मंत्री भी रहे। लेकिन, भाजपा में आने के बाद से उन्होंने असम से कांग्रेस को मुक्त करने का जिम्मा संभाला और 2016 में राज्य में बीजेपी की पहली सरकार बनाने में सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया। इसबार वहां दोबारा भाजपा जीती है और पार्टी ने सर्बानंद सोनोवाल की जगह उन्हें मुख्यमंत्री बनने का मौका दिया है।
एन रंगास्वामी- पुडुचेरी
पुडुचेरी के नए मुख्यमंत्री एन रंगास्वामी इससे पहले कांग्रेस से भी प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वह पुडुचेरी के कद्दावर कांग्रेसी थे। 2008 में पार्टी नेताओं से मतभेद के चलते उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और इसके चलते उन्हें मुख्यमंत्री पद से भी इस्तीफा देना पड़ा। तीन साल बाद 2011 में उन्होंने ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस के नाम से खुद अपनी पार्टी लॉन्च की। इसबार उनकी पार्टी के साथ बीजेपी भी राज्य में चुनाव लड़ी है और गठबंधन को बहुमत मिला है। इस तरह से एन रंगास्वामी को पहली बार अपनी पार्टी से सीएम बनने का मौका मिला है और कांग्रेस विपक्ष में है।
जगन मोहन रेड्डी- आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत 2004 के चुनाव में कांग्रेस के लिए प्रचार करने के साथ की थी। 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कडप्पा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ा और जीत भी दर्ज की। उनके पिता राजशेखर रेड्डी प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, जिनकी पद पर रहते ही हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई थी। बाद में कांग्रेस नेताओं से मतभेद की वजह से जगन रेड्डी ने 2011 में वाईएसआर कांग्रेस बनाई। 2019 में उनकी पार्टी ने विभाजित आंध्र प्रदेश में बहुत बड़ी जीत दर्ज की और मुख्यमंत्री बने।
एन बीरेन सिंह- मणिपुर
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह 2007 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने और राज्य में सिंचाई और खाद्य नियंत्रण और युवा मामलों के मंत्री नियुक्त किए गए। एक दशक से कुछ कम समय तक कांग्रेस में बिताने के बाद 2016 में वो भाजपा में आ गए। 2017 में राज्य में पहली बार बीजेपी सरकार बनी और वो मुख्यमंत्री बन गए।
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पेमा खांडू- अरुणाचल प्रदेश
जुलाई, 2016 में पेमा खांडू कांग्रेस की सरकार में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। उस समय उनकी उम्र महज 37 साल की थी औरतब वह सबसे कम उम्र में सीएम बनने वाले देश के पहले नेता थे। राज्य में कांग्रेस से उनका जुड़ाव उससे एक दशक से भी ज्यादा पुराना था और वह संगठन में कई अहम जिम्मेदारियां संभाल चुके थे। 31 दिसंबर, 2016 को मुख्यमंत्री वही रहे, लेकिन राज्य में कांग्रेस की जगह भाजपा की सरकार बन गई। क्योंकि, खांडू और उनके 33 समर्थक विधायक भाजपा में शामिल हो गए।