तीन दशक बाद भी युद्ध के लिए रेडी नहीं है देसी फाइटर जेट तेजस, टूटता जा रहा है सपना
पूरी तरह से देश में निर्मित लाइट कॉम्बेट जेट (एलसीए) तेजस अभी तक युद्ध के लायक नहीं बन पाया है। इंग्लिश डेली टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक तेजस ने इस पूरी तरह युद्ध के लायक बनाने वाली डेडलाइन को गंवा दिया है।
नई दिल्ली। पूरी तरह से देश में निर्मित लाइट कॉम्बेट जेट (एलसीए) तेजस अभी तक युद्ध के लायक नहीं बन पाया है। इंग्लिश डेली टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक तेजस ने इस पूरी तरह युद्ध के लायक बनाने वाली डेडलाइन को गंवा दिया है। सरकार की ओर से ऐलान किया गया था कि जून 2018 में तेजस को फाइनल ऑपरेशनल क्लीयरेंस (एफओसी) मिल जाएगी। लेकिन सिंगल इंजन वाला यह फाइटर जेट अभी तक अपने लक्ष्य से दूर नजर आ रहा है। तेजस देश का बहुत ही महंगा प्रोजेक्ट है और इसके संचालन को लेकर कई तरह की चिंताएं अधिकारियों को सता रही हैं।
दिन पर दिन महंगा हो गया तेजस
123 तेजस में अभी तक सिर्फ नौ तेजस ही डिलीवर हो चुके हैं। इस प्रोजेक्ट की लागत भी 75,000 करोड़ तक पहु्ंच चुकी है। इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के पास इस समय 31 फाइटर स्क्वाड्रन ही हैं जबकि पाकिस्तान और चीन से निबटने के लिए कम से 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है। वहीं अब मिग-21 और मिग-27 की 10 स्क्वाड्रन को रिटायर किया जाना है तो ऐसे में यह संख्या कम होकर 21 ही रह जाएगी। भारत ने 114 फाइटर जेट्स को हासिल करने के लिए 1.25 लाख करोड़ वाले अपने एक प्रोजेक्ट को फिर से लॉन्च किया था। इसके तहत कुछ जेट्स का निर्माण देश में ही होना है।
लगातार देरी बन गई सिरदर्द
तेजस में लगातार होने वाली देर एक बड़ी चिंता का विषय है। साल 2011 में डिफेंस रिसर्च एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट ने ऐलान किया था कि तेज को एफओसी मिल जाएगी। एफओसी मिलने के बाद तेजस साल 2012 तक युद्ध के लिए पूरी तरह से रेडी हो जाते। लेकिन छह वर्ष बाद भी तेजस का युद्ध के लिए रेडी होना एक सपना बन गया है। साल 2016 में दो तेजस के साथ स्क्वाड्रन को कर्नाटक के बीदर में शामिल किया गया था। हर वर्ष 16 तेजस हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड की ओर से दिए जाने हैं लेकिन यह भी अब एक चुनौती बनता जा रहा है। इंडियन नेवी पहले ही तेजस को खारिज कर चुकी है।
वर्ष 1969 में आया था आइडिया
वर्ष 1969 में उस समय की भारत सरकार ने प्रस्ताव रखा था कि हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी एचएएल को एक भारत के एक और एयरक्राफ्ट मारुत की तर्ज पर एयरक्राफ्ट डिजाइन और डेवलप करना चाहिए।इसके बाद वर्ष 1983 में इंडियन एयरफोर्स दो अहम मकसदों के लिए भारत में विकसित कॉम्बेट जेट की जरूरत के बारे में चिंता जताई। इसमें पहला मकसद मिग-21 को रिप्लेस करना था। इसके बाद वर्ष 1984 में सरकार ने एडीए एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी को इसकी जिम्मेदारी सौंपी थी।पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने ही इसे 'तेजस' नाम दिया। तेजस का मतलब होता है चमकदार।