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Sedition Law: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद किरेन रिजिजू बोले- लक्ष्मण रेखा को पार नहीं किया जा सकता

अदालत और इसकी स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं लेकिन एक 'लक्ष्मण रेखा' है जिसे पार नहीं किया जा सकता है।

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नई दिल्ली, 11 मई: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को देशद्रोह कानून पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी है। केंद्र और राज्यों को इस बारे में पुनर्विचार की अनुमति दी है। साथ ही आदेश दिया है कि जब तक इस मामले में पुनर्विचार हो रहा है, तब तक राजद्रोह कानून यानी 124ए के तहत कोई नया मामला दर्ज ना किया जाए।

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kiren rijiju

कानून मंत्री बोले- अदालत के फैसले का सम्मान है

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के तुरंत बाद केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि वह अदालत और इसकी स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं लेकिन एक 'लक्ष्मण रेखा' है जिसे पार नहीं किया जा सकता है। कानून मंत्री ने कहा कि हमने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है और अदालत को अपने पीएम मोदी की मंशा से भी अवगत करा दिया है। हम अदालत और उसकी स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं लेकिन एक 'लक्ष्मण रेखा' है जिसका राज्य के सभी अंगों को सम्मान करना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम भारतीय संविधान के प्रावधानों के साथ-साथ मौजूदा कानूनों का भी सम्मान करें।

अगली सुनवाई 3 जुलाई को

किरेन रिजिजू ने कहा कि हम एक दूसरे को सम्मान करते हैं। कोर्ट को सरकार, विधायिका का सम्मान करना चाहिए, ऐसे ही सरकार भी कोर्ट का सम्मान करेगा। साथ ही कोई भी लक्ष्मण रेखा को क्रॉस नहीं करेगा। अब इस मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी।

क्या है देशद्रोह कानून?
भारतीय कानून संहिता (आईपीसी) की धारा 124A के तहत अगर कोई देश का नागरिक सरकार विरोधी या कानून विरोधी सामग्री लिखता या बोलता है या फिर उसका समर्थन करता है तो वो राजद्रोह का अपराधी है और इसके तहत तीन साल से लेकर उम्रकैद की सजा भी हो सकती है। अगर कोई व्यक्ति राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करता है या फिर संविधान के नियमों का पालन नहीं करते हुए उसके खिलाफ एक्शन लेता है तो उस पर भी राजद्रोह का केस दर्ज हो सकता है। ये कानून 1860 में बना था और इसे 1870 में आईपीसी में शामिल किया गया था।

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English summary
supreme court order on sedition law union minister kiren rijiju said there is a Lakshman Rekha cannot be crossed
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