ज्ञानवापी मस्जिद केस पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम आदेश, पढ़ें सुनवाई की बड़ी बातें
नई दिल्ली, 20 मई। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद मामले की सुनवाई के दौरान अहम आदेश देते हुए केस को जिला जज को सौंपने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट में वाराणसी जिला अदालत के सर्वे आदेश को मुस्लिम पक्ष ने चुनौती दी थी जिस पर सबसे बड़ी अदालत में सुनवाई चल रही है। इस मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अहम आदेश पारित करते हुए कहा कि मामले की सुनवाई जिला जज के द्वारा की जानी चाहिए।
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कोर्ट
ने
दिया
सुझाव
सुनवाई
के
दौरान
सुप्रीम
कोर्ट
के
जज
डीवाई
चंद्रचूड़
ने
सुझाव
दिया
कि
मस्जिद
के
अंदर
प्रार्थना
के
मुकदमे
की
सुनवाई
जिला
जज
या
वरिष्ठ
न्यायिक
अधिकारी
करें।
सर्वोच्च
अदालत
ने
कहा
कि
जिला
जज
इस
बात
का
फैसला
करें
कि
हिंदू
पक्ष
द्वारा
दायर
मुकदमा
सुनवाई
के
योग्य
है
या
नहीं।
इसके
साथ
ही
सुप्रीम
कोर्ट
ने
17
मई
के
आदेश
को,
जिसमें
शिवलिंग
की
सुरक्षा
करने
और
मुस्लिमों
को
नमाज
में
किसी
तरह
की
बाधा
न
होने
की
बात
कही
थी,
आगे
भी
लागू
करने
को
कहा।
सर्वोच्च
अदालत
ने
जो
कहा
सुनवाई
के
दौरान
सुप्रीम
कोर्ट
ने
कहा
कि
वह
देश
में
एकता
की
भावना
को
बनाए
रखने
के
संयुक्त
मिशन
पर
है।
मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। कमेटी ने वाराणसी की एक अदालत के मस्जिद परिसर का सर्वे और वीडियोग्राफी कराने के आदेश को चुनौती दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा हमारे आदेश का मकसद जमीन पर शांति और संतुलन को बनाए रखना है।
सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज को मामले को सौंपे जाने की सलाह देते हुए कहा "थोड़ा अधिक अनुभवी और परिपक्व हाथ (जज) को इस मामले को सुनना चाहिए। हम ट्रायल जज पर आक्षेप नहीं लगा रहे हैं लेकिन अधिक अनुभवी हाथ (जज) को इस मामले से निपटना चाहिए इससे सभी पक्षों को फायदा होगा।"
मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश हुजेफा अहमदी ने सुनवाई के दौरान कहा कि सर्वे की रिपोर्ट चुनिंदा रूप में लीक की जा रही है। लीक की गई जानकारी को तेजी से फैलाया जा रहा है और इसने वादी के द्वारा दी गई पूरी कहानी को ही बदलकर रख दिया है।
इस बारे में जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आयोग की रिपोर्ट लीक नहीं होनी चाहिए और उसे सिर्फ न्यायाधीश के सामने ही पेश किया जाना चाहिए।
इसके साथ ही कोर्ट ने कहा हमने कुछ व्यवस्था के साथ एक अंतरिम आदेश पारित किया था। वह आदेश तब तक जारी रहेगा जब तक समस्या का समाधान नहीं हो जाता। हम दोनों पक्षों को बैलेंस करने की कोशिश कर रहे हैं। यह दोनों पक्षों के लिए हीलिंग टच की तरह है।
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