'तीन साल की खुशहाल शादी के बाद रातों-रात क्या हो गया'? शिंदे गुट के अलग होने पर सुप्रीम कोर्ट का सवाल
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में महाराष्ट्र मामले को लेकर सुनवाई हो रही है, जहां बुधवार को कोर्ट ने राज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठाए।
महाराष्ट्र में कुछ महीनों पहले जो सियासी संकट आया था, उसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। बुधवार को संविधान पीठ के सामने ये मामला फिर से रखा गया, लेकिन वक्त कम होने की वजह से सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। अब गुरुवार को फिर से डेट रखी गई है। हालांकि इस सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने एकनाथ गुट पर तल्ख टिप्पणी की।
मामले में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ये बात सामने आई कि शिवसेना के बहुत से विधायक कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन से खुश नहीं थे। अचानक से 34 लोग सामने आए और कहने लगे कि ये सही नहीं है। मेरा यही सवाल है कि तीन साल की खुशहाल शादी के बाद रातों-रात ये क्या हो गया कि उनको तुरंत अलग होना पड़ा। इसके अलावा राज्यपाल को भी खुद से ये सवाल पूछना चाहिए कि वो तीन साल क्या कर रहे थे।
राज्यपाल
के
फैसले
पर
नाराजगी
कोर्ट
ने
साफ
कहा
कि
इस
तरह
के
मामले
में
राज्यपाल
को
हस्ताक्षेप
नहीं
करना
था।
क्या
विश्वास
मत
बुलाने
के
लिए
कोई
संवैधानिक
संकट
था?
जो
कुछ
भी
महाराष्ट्र
में
हुआ
वो
दुखद
तस्वीर
है।
किसी
भी
मामले
में
सुरक्षा
के
लिए
खतरा
विश्वास
मत
का
आधार
नहीं
हो
सकता।
राज्यपाल
के
वकील
ने
कही
ये
बात
वहीं
राज्यपाल
की
ओर
से
वरिष्ठ
वकील
तुषार
मेहता
पेश
हुए।
उन्होंने
कहा
कि
राज्यपाल
की
भूमिका
साफ
है,
वो
ये
नहीं
तय
कर
रहे
थे
कि
उद्धव
सरकार
ने
विश्वास
मत
खो
दिया
है
या
नहीं।
उन्होंने
सिर्फ
उनको
फ्लोर
टेस्ट
के
लिए
बुलाया
था।
विधायकों
को
लगातार
जान
से
मारने
की
धमकी
मिल
रही
थी,
ऐसे
में
वो
उसे
नजरअंदाज
नहीं
कर
सकते
थे।
Maharashtra Politics: उद्धव ठाकरे के करीबी सुभाष देसाई के बेटे भूषण देसाई एकनाथ शिंदे गुट में शामिल
ऐसे
समझें
पूरा
मामला
दरअसल
महाराष्ट्र
में
शिवसेना,
एनसीपी
और
कांग्रेस
ने
मिलकर
सरकार
बनाई
थी,
लेकिन
पिछले
साल
शिवसेना
में
फूट
पड़
गई।
उस
वक्त
शिंद
ने
बड़ी
संख्या
में
विधायकों
को
अपने
खेमे
में
कर
लिया।
बाद
में
राज्यपाल
ने
फ्लोर
टेस्ट
का
आदेश
दे
दिया
और
कई
विधायकों
की
बर्खास्तगी
का
नोटिस
जारी
हुआ।
इन
सब
को
लेकर
5
याचिकाएं
दायर
की
गई
थीं,
जिस
पर
सुनवाई
हो
रही
है।
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