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अब पढ़ें नरेंद्र मोदी मुर्दाबाद... के आगे की कहानी

By हिमांशु तिवारी आत्मीय
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को लखनऊ आये तो डा. भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी के छात्रों ने नारे लगाये, "नरेंद्र मोदी मुर्दाबाद... मुर्दाबाद... मुर्दाबाद... नरेंद्र मोदी वापस जाओ-वापस जाओ...." यह आवाज़ केवल लखनऊवासियों के कानों तक पड़ी होती तो कोई बात नहीं थी, लेकिन चूंकि यह आवाज़ सीयासत की दीवारों ने भी सुनी है, इसलिये येही नारे यूपी विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान फिर सुनायी दे सकते हैं, वो भी पूरे यूपी में।

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Story beyond Slogans against Narendra Modi

जी हां ये नारे दलित छात्रों ने लगाये थे। इन छात्रों का मकसद चाहे कुछ भी रहा हो, लेकिन तमाम दलों ने इसे कैश कराने का प्लान बना लिया है। कैश कराने वालों में सबसे आगे बहुजन समाज पार्टी है और समाजवादी पार्टी हैं, जो पिछड़ी जातियों को आधार बनाकर बैटिंग करने में एक्सपर्ट हैं।

उत्तर प्रदेश में जातियों के आंकड़े

यूपी में सामान्य वर्ग-20.94 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग-54.05 प्रतिशत, अनुसूचित जाति-24.95 व अनुसूचित जनजाति वर्ग-0.06 प्रतिशत है। पूरी आबादी में अल्पसंख्यक-14.6 प्रतिशत, यादव 10.46, मध्यवर्ती पिछड़ा वर्ग-10.22 प्रतिशत तथा अत्यन्त पिछड़ा वर्ग-33.34 प्रतिशत है। जिसमें अतिपिछड़ों की चुनाव में खास भूमिका होती है।

अन्य पिछड़े वर्ग की आबादी में निषाद/मछुआरा-12.91 प्रतिशत, मौर्य/कुशवाहा/शाक्य/काछी-8.56 प्रतिशत, कुर्मी/पटेल-7.46, लोध-किसान-6.06 प्रतिशत, पाल/बघेल-4.43, तेली/साहू-4.03, कुम्हार/प्रजापति-3.42, राजभर-2.44, नोनिया/चौहान-2.33, विश्र्वकर्मा/बढ़ई-2.44, लोहार-1.81, जाट-3.7, गूजर-1.71, नाई/सविता-1.01 और भुर्जी/कांदू-1.43 प्रतिशत हैं।

भाजपा के लिये अब भी खतरनाक है मायाजाल

माना जाता है कि पिछड़ा वर्ग कहीं न कहीं परंपरागत तरीके से मायवती से जुड़ा हुआ है, तो उसे भाजपा किस तरह से तोड़कर अपने खेमे मे करती है, क्योंकि सपा की नीति, नीयत से त्रस्त आकर ये वर्ग मायावती नाम की रट फिर से लगाने लगा है। ऐसे में मायावती भातजपा के वोट काटने में सफल हो सकती हैं।

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विश्लेषकों का मानना है कि बिहार चुनाव के समय भाजपा खेमे में चेहरे की खातिर उठापटक मची रही। इस बात को ध्यान में रखते हुए भाजपा को यूपी की खातिर एक विश्वसनीय चेहरे का चयन कर लेना अहम होगा। भाजपा को ऐसा चेहरा लाना होगा, जो सवर्ण वर्ग के साथ पिछड़ी जातियों के वोट भी खींच सके।

योगी आदित्यनाथ या कल्याण सिंह

सोशल मीडिया में हवा उड़ी है कि भारतीय जनता पार्टी योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद के लिये प्रोजेक्ट करेगी। इसके लिये तमाम कैम्पेन संचालित किए जा रहे हैं। वहीं एक वर्ग वो भी है, जो कल्याण सिंह की वापसी चाहता है।

खैर इन जातियों के लोगों के वोटबैंक पर कब्जा करना भारतीय जनता पार्टी के लिये बड़ी चुनौतियों में से एक होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा किस तरह से यूपी में अपनी पैंतरेबाजी करती है।

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English summary
BJP is now trying hard to get votes of backward castes in Uttar Pradesh assembly elections in 2017.
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