बेटा हो तो ऐसा! पिता के पास बची थी महज 6 महीने की जिंदगी, बेटे ने दे दिया अपना लिवर
इसे बेटे ने अपने पिता का जीवन बचाने के लिए खुद की जिंदगी को भी दांव पर लगा दिया।
नई दिल्ली: अक्सर हम सुनते हैं कि खून के रिश्ते बहुत गहरे होते हैं और परिवार से बढ़कर कुछ नहीं होता। लेकिन, जब वाकई इन रिश्तों को निभाने का वक्त आता है, तो असलियत का पता चलता है। कुछ लोग रिश्तों की अहमियत को समझते हुए परिवार के साथ खड़े हो जाते हैं, और कुछ मुंह फेर लेते हैं। लेकिन, एक बेटे ने अपने पिता का जीवन बचाने के लिए वो काम किया है, जिसे सुनकर शायद आपकी आंखें भी छलक जाएंगी। दरअसल इस बेटे ने अपने लिवर का 65 फीसदी हिस्सा अपने पिता को डोनेट कर दिया, ताकि उनकी जान बचाई जा सके। (सभी फोटो साभार- इंस्टाग्राम/ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे)
'पापा ने जीवन में ना कभी शराब पी थी, ना सिगरेट'
'ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे' की एक पोस्ट में इस शख्स ने अपनी पूरी कहानी का खुलासा किया है। शख्स के मुताबिक, 'जब हमारी फैमिली को पता चला कि पापा का लिवर फेल हो गया है, मैं बहुत सदमे में पड़ गया। हम इसलिए भी हैरान थे, क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में ना कभी सिगरेट पी और ना ही कभी शराब। और, जब डॉक्टर ने हमें बताया कि इस हालत में वो ज्यादा से ज्यादा 6 महीने ही जी पाएंगे, तो मैं एकदम असहाय हो गया।'
'पापा ने मुझसे कहा कि वो मरना नहीं चाहते'
शख्स ने आगे बताया, 'पापा ने मुझसे कहा कि वो मरना नहीं चाहते और मुझे ग्रेजुएट देखना चाहते हैं। हमारे घर में एक मायूसी छाई हुई थी। और, ठीक उसी दौरान देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर आई, जिसमें मैं संक्रमित हो गया। मैं आइसोलेट हो गया था और कमरे में अकेले पड़ा हुआ रोता था, क्योंकि जिस वक्त मेरे पिता को मेरी जरूरत थी, उस वक्त मैं उनके साथ नहीं था।'
'मेरे लिए और ज्यादा बुरा वक्त आया
इस पोस्ट में उसने कहा, 'मैं उन्हें वीडियो कॉल करता और लूडो के खेल में उन्हें जानबूझकर जीतने देता, ताकि वो पॉजिटिव रहें। हम दोनों एक दूसरे को तसल्ली देते थे कि सब कुछ ठीक हो जाएगा। मेरे लिए और ज्यादा बुरा वक्त आया, क्योंकि जैसे ही मैं कोरोना वायरस से ठीक हुआ, मेरे पापा संक्रमित हो गए। उन्हें बीच-बीच में हॉस्पिटल ले जाना होता था, इसलिए मैं अपनी पढ़ाई उनके पास बैठकर ही करता था, क्योंकि मुझे उनका सपना भी पूरा करना था।'
'मैं तय कर चुका था कि मुझे पापा को बचाना है'
शख्स ने बताया, 'लेकिन, अब मैं उन्हें और परेशान नहीं देख सकता था। मैंने अपने परिवार से कहा कि मैं पापा का बचाऊंगा और इसके लिए उन्हें अपना लिवर दूंगा। ईश्वर की कृपा थी कि मेरा लिवर मैच कर गया, लेकिन मेरा लिवर फैटी था। मैं तय कर चुका था कि मुझे अपने पापा को बचाना है, इसलिए मैने एक्सरसाइज शुरू की और अपनी डाइट को भी कंट्रोल किया।'
'वो ये खतरा नहीं उठाना चाहते थे'
'ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे' की पोस्ट में इस बेटे ने आगे बताया, 'कई टेस्ट होने के बाद डॉक्टरों ने मुझे बताया कि अब मैं सर्जरी के लिए तैयार हूं। मुझे काफी राहत महसूस हुई, लेकिन मेरे पापा रोने लगे। उन्होंने कहा कि अगर तुम्हें कुछ हो गया तो मैं अपने आपको कभी माफ नहीं कर पाऊंगा। वो ये खतरा नहीं उठाना चाहते थे। लेकिन, मैंने उन्हें भरोसा दिलाया कि आपकी लड़ाई अब मेरी है और हम दोनों मिलकर इसे जीतेंगे।'
'अब हमें बस एक और परीक्षा से गुजरना था'
उसने आगे बताया, 'सर्जरी के लिए 20 लाख रुपए की जरूरत थी, जिसके लिए हमने अपनी सेविंग्स का इस्तेमाल किया। सर्जरी से पहले हम सभी परेशान थे, लेकिन अब पापा ने हमें हिम्मत दी। उन्होंने कहा कि वो ठीक होने के बाद लूडो में मुझे हराएंगे। उनकी इस पॉजिटिव सोच ने मुझे भी हिम्मत दी। सर्जरी से दो दिन पहले मेरा रिजल्ट आया और मैं ग्रेजुएट पास हो गया। पापा ने कहा कि उन्हें लगता नहीं था कि वो ये दिन देख पाएंगे, और अब हमें बस एक और परीक्षा से गुजरना था।'
'तुमने अपने पापा को बचा लिया'
शख्स ने बताया, 'सर्जरी हुई और होने के बाद जब मेरी आंखें खुलीं तो मेरे सामने डॉक्टर खड़े मुस्कुरा रहे थे। उन्होंने मुझसे कहा- तुमने अपने पापा को बचा लिया। अब मुस्कुराने की बारी मेरी थी और मेरी आंखों में खुशी के आसूं थे। पापा और मैंने जब एक दूसरे को देखा तो उन्होंने बस इतना ही कहा- हमने ये लड़ाई साथ मिलकर लड़ी और देखो हम जीत गए। हम दोनों के रिकवर होने का वक्त भी मजेदार बीता। हम दोनों ने एक साथ व्हीलचेयर चलाना सीखा और लूडो खेलकर अपना वक्त बिताया। आज हम दोनों स्वस्थ हैं। और, इस पूरी लड़ाई में मैंने बस यही सीखा कि जीवन का कोई भरोसा नहीं और हमारा परिवार ही हमारे लिए सबकुछ है।'
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