सुप्रीम कोर्ट ने पेरेंट्स का केस सुलझाया तो बच्चे ने जजों का कार्ड देकर किया भावुक
नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत ने जब शनिवार को एक 7 साल पुराने तलाक के केस को निपटाया, तो खुशी से 10 वर्ष के बेटे ने सभी जजों को अपने हाथ से लिखे कार्ड देकर आभार व्यक्त किया। छोटे बच्चे की इस कोशिश की सभी ने प्रशंसा तो की ही, लेकिन पूरे अदालत परिसर को भी भावुक कर दिया। अपने पेरेंट्स के बीच लंबे समय से चल रही रिश्तों में तनाव को सुलझाने के बाद बच्चे ने कोर्ट को अनोखे ढंग से शुक्रिया अदा कर संवेदनशीलता का नायाब उदाहरण पेश किया।
सुप्रीम कोर्ट बेंच के जज जस्टिस कुरियन जोसेफ और एम शांतानागौदार ने खुशी से उस बच्चे का भावुक कार्ड को एक तोहफे के रूप में स्वीकार किया। दरअसल यह मामला चंडीगढ़ का है, जहां एक दंपती के बीच 2011 से रिश्तों में तनाव चल रहा था और दोनों ही एक दूसरे से पिछले सात साल से अलग रह रहे थे। 1997 में शादी करने के बाद उनको एक 20 साल की बेटी और एक बेटा है।
इससे पहले यह केस पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की जज जस्टिस लीसा गिल और वकील मीनाक्षी अरोड़ा की कोशिशों को सुप्रीम कोर्ट ने सराहना की, जिन्होंने दोनों दंपती के बीच सुलह कराने के लिए अथक प्रयास किया था। हालांकि कोर्ट की कोशिशों के बाद भी दोनों दंपती साथ आने को राजी नहीं हुए, लेकिन दोनों पक्ष आपसी सहमति और सम्मानजनक तरीके से अलग होने के लिए तैयार हो गए।
सुप्रीम कोर्ट की बैंच ने कहा कि पारिवारिक न्यायालयों को यह एहसास होना चाहिए कि परिवार के न्यायालय अधिनियम 1984 की धारा 9 ने वैवाहिक विवादों को तय करने के लिए उन्हें न केवल निर्देश दिया है, बल्कि उन पर एक कर्तव्य बनता है कि वे इस प्रकार के वैवाहिक मामलों को सुलझाने की कोशिश करें।