तेल के खेल में आपकी जेब खाली, लेकिन सरकार और तेल कंपनियों के खजाने का क्या है हाल ?
नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल की कीमतें पिछले दो हफ्ते से लगातार बढ़ रही हैं। इसे लेकर खूब राजनीति भी हो रही है। कांग्रेस और विपक्षी दलों ने भारत बंद किया तो केंद्र की बीजेपी सरकार आंकड़ों के चक्रव्यूह में फंसा कर ये समझाने की कोशिश कर रही है कि उसके कार्यकाल में तो तेल की कीमतों में कम बढ़ोतरी हुई है। इस सबके बीच खामियाजा आम आदमी भुगत रहा है। सरकार कीमतों को कम ना करने के पीछे हमेशा ये तर्क भी देती रही है कि तेल कंपिनयों के घाटे की भरपाई की जानी है। लेकिन क्या इसमें सच्चाई है कि अब भी तेल कंपनियां घाटे में चल रही हैं और अगर ऐसा नहीं है तो क्यों नहीं सरकार और तेल कंपनियां इस बोझ को कुछ साझा कर आम आदमी को राहत देती हैं। सरकार जहां तेल से अपना खजाना भर रही है तो वहीं वो तेल कंपिनयों के खजाने को भी भरने में लगी है।
12.92 लाख करोड़ का कारोबार
वित्त
वर्ष
2017-18
के
दौरान
सरकारी
तेल
कंपनियों
ने
जो
कारोबार
किया
उसके
आंकड़े
बताते
हैं
कि
11
सरकारी
कंपनियों
ने
कुल
12.92
लाख
करोड़
रुपए
से
अधिक
का
कारोबार
किया
और
इसमें
से
68,598
करोड़
रुपए
से
ज्यादा
का
मुनाफा
कमाया।
इनमें
से
9
तेल
एवं
गैस
क्षेत्र
की
कंपनियां
हैं
जिनका
मुनाफा
68,035.39
करोड़
रुपए
रहा।
सरकार
ने
खुद
ये
जानकारी
लोकसभा
में
दी
है।
जहां
तक
निजी
पेट्रोलियम
कंपनी
के
मुनाफे
की
बात
है
तो
सरकार
का
कहना
है
कि
वो
इसका
ब्यौरा
नहीं
रखती
है।
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किसने भरा कितना खजाना ( ऊपर दिया चार्ट देखें )
इंडियन आयल कार्पोरेशन लिमिटेड (आईओसी) ने 2017-18 में 5,09,842 करोड रुपए का कारोबार कर 21,346 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया। दूसरे नंबर पर भारत पेटोलियम रहा। इसने 2,77,162.23 करोड़ का कारोबार और 7,919.34 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया। तीसरे स्थान पर रहे हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने 2,44,085.12 करोड़ रुपये का कुल कारोबार किया और 6,357.07 करोड़ रुपये का इसे लाभ हुआ। इसी तरह तेल और प्राकृतिक गैस निगम ने 85,004 करोड़ का कारोबार किया और 19,945 करोड़ का मुनाफा कमाया। वहीं गेल ने 53,690 करोड़ का कारोबार और 4,618 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाया।
सरकारें भी भर रही खजाना
केंद्र सरकार सफाई दे रहा है कि कीमतें बाजार के हिसाब से तय हो रही हैं और उसने एक्साइज ड्यूटी में कटौती से भी फिलहाल इनकार किया है। अब सवाल ये कि जब बाजार में कच्चे तेल की कीमतें काफी कम थी तो उस वक्त भी तो सरकार ने जनता को कोई राहत नहीं दी थी। राज्य सरकारों का भी कमाई का बड़ा ज़रिया पेट्रोल और डीजल ही है। आंकड़े ये भी बताते हैं कि पिछले 4 साल में पेट्रोलियम पदार्थों से केंद्र और राज्य सरकारों को 18 लाख करोड़ से ज्यादा की कमाई हुई है।
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