गंगा में तैरकर कानपुर से वाराणसी तक जाएगी यह तैराक बिटिया, 'जलपरी' के नाम से है मशहूर
कानपुर। बारिश के मौसम और गंगा के तेज बहाव के बावजूद कानपुर की एक बेटी निकल पड़ी है एक नामुमकिन से दिखने वाले लक्ष्य को हासिल करने। दरअसल, श्रद्धा शुक्ला नाम की यह लड़की इनदिनों देशभर में 'जलपरी' के नाम से चर्चित है।
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जानिए क्या है इसकी वजह
श्रद्धा शुक्ला को लोग जलपरी इसलिए कह रहे हैं क्योंकि वह कुछ ऐसा करने जा रही हैं जिसे सुनकर आप खुद भी चौंक सकते हैं। जी हां, श्रद्धा ने अपने होमटाउन कानपुर से टेम्पलटाउन कहे जाने वाले वाराणसी तक गंगा में तैरकर जाने का प्रण लिया है। इतना ही नहीं, वह इस काम की शुरुआत भी कर चुकी हैं।
...तो इसलिए कर रही हैं ऐसा
श्रद्धा 570 किलोमीटर की इस दूरी को गंगा में तैरकर यूं ही नहीं पूरी कर रही हैं। उनका मकसद है कि लोग उनकी प्रतिभा को पहचान सकें और उन्हें ओलंपिक में जगह मिल सके। यूं तो बरसात के मौसम में उफनती गंगा में तैराकी करने के नाम पर अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाते हैं। लेकिन कानपुर की यह 11 साल की लड़की रिकॉर्ड बनाने के लिए निकल पड़ी है।
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सफ़र ऐसे करेंगी पूरा श्रद्धा
कानपुर से बनारस तक की 570 किलोमीटर की दूरी को तय करने के लिए श्रद्धा हर दिन तकरीबन 60 किलोमीटर तैरेंगी। इस लिहाज से देखा जाए तो वह आगामी 10 दिनों में बनारस पहुंच जाएंगी।
श्रद्धा ने कल यानी 29 अगस्त को कानपुर स्थि मैसाकर घाट से अपने सफर की शुरुआत की। इस सफर में श्रद्धा 4-5 घंटे के बाद विराम करेंगी और हर दिन औसतन सात घंटे तैरेंगी।
ये लोग होंगे सफर में साथ
श्रद्धा गंगा में यह लंबा सफर अकेले ही नहीं पूरा करेंगी। इस दौरान उनकी निगरानी के लिए श्रद्धा के पिता ललित शुक्ला और चार अन्य गोताखोर भी रहेंगे। ललित खुद गोताखोर हैं और अपनी बेटी के ट्रेनर भी। इसके साथ ही सफर में अगर किसी तरह का कोई जानवर आड़े आता है तो उसके लिए श्रद्धा के साथ दो शूटर भी भेजे गए हैं।
2 साल की उम्र से तैराकी सीख रहीं श्रद्धा अगर अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफल रहती हैं तो यकीनन भारत के लिए तैराकी में ओलंपिक पदक के रास्ते भी खुल जाएंगे।