शिव सेना करेगी फडणवीस सरकार की नाक में दम
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। शायद किसी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले या नतीजे आने के बाद सोचा हो कि वहां पर भाजपा और शिव सेना आमने-सामने होंगे। अब कांग्रेस और शिवसेना मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस सरकार के विश्वासमत को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। दोनों सरकार को अवैध करार देकर फिर से बहंमत साबित करने की मांग कर रहे हैं।
सरकार बर्खास्त करो
शिवसेना ने देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को बर्खास्त करने की मांग की है। पार्टी का आरोप है कि भाजपा की सरकार असंवैधानिक है और विश्वासमत के लिए नियमों का पालन नहीं किया गया। इसलिए दोबारा विशेष अधिवेशन बुलाकर फिर से बहुमत सिद्ध कराया जाए।
अड़ी शिवसेना
शिवसेना को केवल अपनी बात मनवाने की जिद है। इसमें मंत्रियों की संख्या के साथ उपमुख्यमंत्री का पद शामिल है। पर अगर इनका समझौता नहीं हुआ तो फिर ये सरकार की नाक में दम किए रहेंगे, इसे अवैध करार देते रहेंगे और संभव है आगे सदन तक का बहिष्कार करें गुरुवार को शिवसेना विधायकों का एक समूह ने राज्यपाल से मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपा। शिवसेना ने मुंबई में रास्ता रोका आंदोलन भी किया।
शिवसेना अविश्वास प्रस्ताव लाए
वहीं मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा है कि विश्वास प्रस्ताव के दौरान शिवसेना के आधे विधायक सदन से गैरहाजिर थे। शिवसेना को संदेह है तो अविश्वास प्रस्ताव लाएं। फडणवीस ने यह भी कहा कि शिवसेना के विधायकों में समन्वय नहीं है। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव सर्वसम्मति से हो गया, पर सरकार के विश्वामत प्रस्ताव पर शिवसेना के विरोध में जाने के बाद पूरा माहौल बदल गया। विधानसभा अध्यक्ष हरिभाऊ बागडे ने सदस्यों से ध्वनि मत के जरिए मत विभाजन करवाया और विश्वास मत के पारित होने की घोषणा कर दी। इसके बाद कांग्रेस एवं शिवसेना दोनों भड़क गए हैं। वे सरकार के खिलाफ किसी सीमा तक जाने को तैयार हैं।
वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार कहते हैं कि यह कहना गलत है कि विधानसभा में भाजपा सरकार को बहुमत नहीं है। राकांपा के बहिर्गमन के बाद मतदान करने वाले सदस्यों की संख्या 246 रह गई। यानी बहुमत के लिए 124 विधायकों की आवश्यकता थी। भाजपा के अपने 121 के अलावा एक निर्दलीय और छोटे दलों के कम से 6 सदस्यों का समर्थन माना जाता है। जाहिर है, वह बहुमत की संख्या पार कर जाती है। हां, मतविभाजन के बाद अंकगणित साफ होता।