Shashi Tharoor:कई शादियों के लिए सुर्खियों में आ चुके पूर्व राजनयिक, जो मंजे हुए नेता बन गए
Shashi Tharoor पिछले करीब डेढ़ दशकों से ही भारत की राजनीति में सक्रिय हैं। लेकिन, उन्होंने देश की सियासत में अपनी एक विशेष पहचान कायम कर ली है। वह केरल की तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट से 2019 में लगातार तीसरी बार सांसद चुने गए हैं। वे संयुक्त राष्ट्र से लौटे और 2009 में पहला ही चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर केरल की राजधानी की सीट से जीत गए। अगर शशि थरूर के व्यक्तित्व की बात करें तो वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। उन्होंने कांग्रेस सांसद के रूप में जितना वक्त भारतीय राजनीति को दिया है, उससे लगभग दोगुना समय अंतरराष्ट्रीय सिविल सर्वेंट के तौर पर निभाकर आए है। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में उनका आज भी एक अलग स्थान है। उनकी प्रतिभा की तरह ही उनका अनुभव भी बहुआयामी है। 9 मार्च, 1956 को लंदन में जन्मे शशि थरूर अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं तो अपनी गतिविधियों की वजह से अक्सर विवादों में भी आते रहे हैं।
यूएन महासचिव की रेस में नंबर दो पर थे शशि थरूर
शशि थरूर ने भारतीय राजनीति में कूदने से पहले लगभग तीन दशकों तक संयुक्त राष्ट्र में अपने करियर को बुलंद किया। यूएन में वो पीसकीपर, शरणार्थी कार्यकर्ता और सर्वोच्च स्तर पर प्रशासक तक की भूमिका भी निभा चुके हैं। जब कोफी अन्नान संयुक्त राष्ट्र के महासचिव थे, तब थरूर इस अंतरराष्ट्रीय संस्था में अंडर-सेक्रेटरी जनरल की जिम्मेदारी निभा रहे थे। संयुक्त राष्ट्र संघ में राजनयिक के तौर पर लंबे कार्यकाल का ही परिणाम था कि थरूर 2006 में इसके महासचिव बनते-बनते रह गए थे। तब दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री बान की मून उनपर भारी पड़े थे और संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपने जनरल सेक्रेटरी के तौर पर उनके नाम पर मुहर लगा दी थी।
लंदन में जन्मे और भारत-अमेरिका में शिक्षा प्राप्त की
आज की तारीख में शशि थरूर पूर्व इंटरनेशनल सिविल सर्वेंट हैं तो वह राष्ट्रीय और कई प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय अखबारों में विभिन्न विषयों पर आर्टिकल भी लिखने के लिए जाने जाते हैं। इसके अलावा थरूर काफी मशहूर लेखक भी हैं और दर्जनों किताबें लिख चुके हैं। लेकिन, फिलहाल उन्होंने खुद को एक राजनेता के तौर पर स्थापित कर लिया है। यूपीए में मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में वे मानव संसाधन विकास और विदेश मामले के राज्यमंत्री जैसी जिम्मेदारियां भी संभाल चुके हैं। शशि थरूर की पहचान अंतरराष्ट्रीय है और उनकी प्रतिभा को देखते हुए ही 1998 में दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने उन्हें ग्लोबल लीडर ऑफ टुमॉरो के रूप में नामित किया था। करियर की तरह ही थरूर का बाकी जीवन भी अंतरराष्ट्रीय रहा है। जैसे उन्होंने लंदन में जन्म लिया, लेकिन शिक्षा भारत और अमेरिका में प्राप्त की। उन्होंने अपने राजनयिक और राजनीतिक करियर का भी अधिकतर समय भारत और अमेरिका में ही बिताया है। उन्होंने दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रैजुएशन किया था और 1978 में अमेरिका के फ्लेचर स्कूल ऑफ लॉ एंड डिप्लोमेसी से पीएचडी प्राप्त की थी।
सोशल मीडिया का बखूबी इस्तेमाल करने में अग्रणी
शशि थरूर देश के ऐसे राजनेता हैं, जो कम से कम चार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में धाराप्रवाह बोल सकते हैं। ये भाषाएं हैं- अंग्रेजी, फ्रेंच, मलयालम और हिंदी। शशि थरूर देश के ऐसे राजनीतिज्ञों में शामिल रहे हैं, जो राजनीतिक चर्चा के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल में काफी आगे रहे हैं। 2013 तक वे ट्विटर पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले राजनेता थे। यह स्थिति तबतक बनी रही, जबतक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसी साल उन्हें पीछे नहीं छोड़ दिया। सोशल मीडिया के इस प्लेटफॉर्म पर सबसे पहले 10,000 और फिर 100,000 फॉलोअर वाले वे पहले भारतीय थे। इस समय ट्विटर पर उनके फॉलोअर्स की संख्या 84 लाख के करीब है।
शशि थरूर से जुड़ा विवाद
शशि थरूर फ्री स्पीच को अहमियत देने वाले भारतीय नेताओं में आगे हैं। लेकिन, कई बार उनका नाम गंभीर विवादों की भी वजह बना है। अक्टूबर, 2022 में कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव में उम्मीदवार बने शशि थरूर की ओर से एक चुनावी घोषणापत्र जारी किया गया। उस बुकलेट में पूरे भारत में कांग्रेस की इकाई को दिखाने के लिए एक मैप का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन उससे केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख गायब थे। जब शशि थरूर को अपनी बहुत बड़ी गलती का अंदाजा लगा तो उन्होंने बिना शर्त माफी मांग ली। लेकिन, इस गलती के लिए थरूर विरोधी भाजपा के निशाने पर आ गए और पार्टी के आईटी सेल के इंचार्ज अमित मालवीय ने ट्विटर पर आरोप लगाया कि सीएए के विरोध के लिए भी उन्होंने भारत का विकृत नक्शा दिखाया था। इससे पहले भी कई विवादित मुद्दों में थरूर कूदे हैं और वह बीजेपी का निशाना बन चुके हैं। शशि थरूर अपनी शादियों के लिए भी सुर्खियों में रहे हैं। दिसंबर, 2021 में वे एक वर-वधु को आशीर्वाद देने पहुंचे थे। लेकिन, दूल्हे के सिर पर सेहरा ना होकर थरूर के सिर पर होने के बाद सोशल मीडिया पर वह तस्वीर काफी वायरल हो गई और यहां तक खबरें फैलीं की उन्होंने चौथी शादी कर ली है। जबकि, मामला पूरी तरह से अलग था।
शशि थरूर का परिवार
शशि थरूर ने अपने जीवन में एक नहीं तीन-तीन शादियां की हैं। लेकिन, उनकी हर शादी का अंत दुखद ही रहा है। दो शादियां तलाक की वजह से टूट गईं और उनकी आखिरी पत्नी की मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हो गई, जिसको लेकर खुद थरूर भी संदेह के घेरे में आ चुके हैं। शशि थरूर की पहली पत्नी तिलोत्तमा मुखर्जी थीं (बंगाली-कश्मीरी)। उनके बारे में बताया जाता है कि वो अपने पति से दो साल बड़ी थीं। यह शादी 2006 में तलाक में तब्दील हो गई। फिर थरूर कनाडा की राजनयिक क्रिस्टा गिल्स के साथ 2007 में दूसरी बार विवाह के बंधन में बंधे। लेकिन, यह शादी तीन साल ही चली और 2010 में दोनों पति-पत्नी अलग हो गए। भारत लौट चुके शशि थरूर ने सांसद बनने के बाद सुनंदा पुष्कर के साथ 2010 में तीसरी हाई-प्रोफाइल शादी की। लेकिन, 2014 में सुनंदा दिल्ली के एक आलीशान होटल के बंद कमरे में संदिग्ध परिस्थितियों में दुनिया छोड़कर चली गईं। जब उनकी लाश बरामद हुई तो थरूर दिल्ली में ही कांग्रेस के एक बड़े कार्यक्रम में मौजूद थे। थरूर की पहली पत्नी से दो जुड़वां बेटे-इशान और कनिष्क हैं। वे सुनंदा पुष्कर के बेटे शिव के भी पिता हैं।
शशि थरूर की संपत्ति
2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान शशि थरूर ने चुनाव आयोग में जो संपत्ति का ब्योरा दिया था, उसके मुताबिक तब उनके पास कुल 35 करोड़ रुपए मूल्य की संपत्ति थी। चुनावी हलफनामे के मुताबिक उस समय उनके पास 34 करोड़ रुपए की चल और 1 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति थी। 5.88 करोड़ रुपए उन्होंने बैंकों में जमा कर रखे थे और 15.32 करोड़ रुपए के अन्य निवेश कर रखे थे। तब उन्होंने अपने पास मात्र 25,000 रुपया कैश रखा था। उस समय उनके पास 6 लाख रुपए मूल्य की एक मारुति सियाज और 75,000 रुपए मूल्य की फिएट लिनिया कारें थीं। जबकि, उनके पास 38.01 मूल्य का 1,142 ग्राम सोना था।