SC/ST act dilution case: सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर तत्काल सुनवाई से किया इनकार
नई दिल्ली। एससी/एसटी एक्ट में संशोधन के बाद जिस तरह से देशभर में दलित संगठन और राजनीतिक दल सड़क पर आंदोलन कर रहे हैं, उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को तत्काल सुनने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि इस मामले में भड़की हिंसा के बाद इस मामले में दायर याचिका को तत्काल सुनने की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट के निर्देश के बाद लगातार दलित संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। तमाम संगठनों ने आज भारत बंद का भी ऐलान किया है, जिसके बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर की है।
आपको बता दें कि एससी/एसटी एक्ट के तहत अगर कोई भी व्यक्ति दलितों और आदिवासियों का उत्पीड़न करता है तो उसके खिलाफ तुरंत गिरफ्तार का कानून है और उसके खिलाफ इस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है। लेकिन इस कानून के दुरुपयोग का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसमे बदलाव का आदेश दिया है। जिसके बाद अब बिना शीर्ष स्तर पर पुलिस जांच के आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा और ना ही उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
वहीं इस आंदोलन में हिस्सा ले रहे बिहार के पूर्व उपुमख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि सरकार को इस मामले में पुनर्विचार याचिका डालने की बजाए संसद में कानून लेकर आना चाहिए था। लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया क्योंकि इस पूरे प्रकरण के पीछे केंद्र सरकार है। जानबूझकर सरकार के वकीलों ने इस मामले में कमजोर पक्ष पेश किया, जिसकी वजह से इस एक्ट में बदलाव किया गया है। एक्ट में बदलाव के खिलाफ पटना में पैदल मार्च में भी तेजस्वी यादव शामिल हुए और जमकर मोदी सरकार पर निशाना साधा।
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