नई दिल्ली। "कई बार हम कुछ चीज़ों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। छुपम-छुपाई खेलने के बाद मेरे बेटे के शरीर पर लाल रंग के धब्बे पड़ने लगे थे। हमें समझ नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है।"
टी थिप्पाना जब भी अपने बेटे को खेलते हुए देखते थे उनके पूरे दिन की थकान मिट जाती थी। उनका छोटा-सा परिवार तेलंगाना के महबूबनगर जिले में एक छोटे से गांव में रहता है। दोनों पति-पत्नी खेतों में मजदूर का काम करते हैं और उन्हें रोज़ाना बहुत कम पैसे मिलते हैं, इस वजह से वो दोनों दिन रात कड़ी मेहनत करके अपने परिवार के लिए ज़्यादा से ज़्यादा पैसा इकट्ठा करने की कोशिश करते हैं। इन तीन लोगों का परिवार हर तरह से संपूर्ण है।
2 साल के भीमा का लिवर फेल,
लेकिन इनकी खुशियों को जैसे किसी की नज़र लग गई। इस सबकी शुरुआत तब हुई जब भीमा को अचानक से लगातार उल्टियां होने लगीं। दोनों ने उसके पूरे दिन के खाने पर नज़र रखी लेकिन उन्हें कुछ पता नहीं चल पाया। उसका बुखार बढ़ता जा रहा था और ये देखकर उसके माता-पिता की सांसे अटक सी गईं थी। उसके चेहरे पर लाल रंग के धब्बे पड़ने लगे थे और दूसरी तरफ थकान उसका पीछा ही नहीं छोड़ रही थी। छोटा सा भीमा अब कुछ भी नहीं खा रहा था। यहां तक कि उसने अपने पसंदीदा लडडू तक खाने से मना कर दिया था।
डेंगू हेमोरेजिक सिंड्रोम से ग्रसित है भीमा
हर डॉक्टर ने अलग अस्पताल और इलाज की सलाह दी लेकिन किसी से भी फायदा नहीं हुआ। इस सबके बीच वो मासूम बच्चा पीस गया। आखिरकार उसे लिटल स्टार चिल्ड्रन अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहां पता चला कि उसे डेंगू हेमोरेजिक सिंड्रोम है। इसकी वजह से धीरे-धीरे उसके शरीर के सारे अंग काम करना बंद कर रहे हैं। उसका लिवर पहले ही फेल हो चुका है और अब उसके दिल को भी काम करने में मशक्कत करनी पड़ रही है।
भीमा के इलाज में कीजिए मदद
अब तक परिवार अपने बेटे के इलाज के लिए रिश्तेदारों से 3 लाख रुपए उधार ले चुका है। फिलहाल भीमा पीआईसीयू में लाइफ सेविंग रेस्पिरेट्री सपोर्ट पर है। उसके दिल तक रक्त पहुंचाने के लिए कई ब्लड ट्रांसफ्यूजन और पंप्स लगे हैं। उसके इलाज के लिए परिवार को 10 लाख रुपयों की और ज़रूरत है। भीमा का नाम हिंदू पौराणिक कथा महाभारत में पांडव भाइयों में से एक भीम पर रखा गया है। भीमा को स्वस्थ करने में हम सब उसकी मदद कर सकते हैं। आपका छोटा सा सहयोग भी उसकी जान बचा सकता है।