Sardar Patel Jayanti: वल्लभ भाई पटेल को कब और किसने दी 'सरदार' की उपाधि
Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti 2020: सरदार वल्लभभाई पटेल की आज (31 अक्टूबर) को 145वीं जयंती है। आज पूरा देश इस दिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मना रहा है। गुजरात के नाडियाड में 31 अक्टूबर साल 1875 को जन्मे वल्लभभाई पटेल को लौह पुरुष (The Iron Man Of India) भी कहा जाता है। सरदार पटले को भारत की आजादी के बाद टुकड़ों में बंटी 565 रियासतों का विलय कराने का श्रेय जाता है। पेशे से अधिवक्ता वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Jhaverbhai Patel) भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में वल्लभभाई पटेल ने अहम भूमिका निभाई है। वल्लभभाई पटेल ने बैरिस्टर की पढ़ाई लंदन से की थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था। वल्लभभाई पटेल सरदार पटेल के नाम से लोकप्रिय हैं, आइए उनकी जयंती पर जानते हैं वल्लभ भाई पटेल कब और कैसे बनें सरदार पटेल?

वल्लभभाई पटेल को किसने कहा सरदार पटेल
यह किस्सा सन 1928 का है, जब भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान गुजरात में एक अहम किसान आंदोलन हुआ था। जिसका नेतृत्व वल्लभभाई पटेल ने किया था। ब्रिटिश सरकार ने गुजरात में किसानों पर 22 से 30 प्रतिशत का लगान लेने का फैसला किया था या यूं कह लें कि उनपर थोप दिया था। वल्लभभाई पटेल ने इसी के खिलाफ आंदोलन किया था। इस इतिहास में बारदोली सत्याग्रह ( Bardoli suffere) के नाम से जाना जाता है।
ब्रिटिश सरकार ने गुजरात के किसानों से तीस प्रतिशत तक लगान लेने की बहुत कोशिश की, लेकिन वो सफल नहीं हो पाए। वल्लभभाई पटेल ने लगान में हुई बढ़ोतरी का पुरजोर विरोध किया। बारदोली में पटेल ने किसानों को साथ लेकर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। गुजरात में उस वक्त अकाल का दौर चल रहा था, इसके बाद भी वल्लभभाई पटेल को किसानों का पूरा सहयोग मिला।

क्रॉस-जांच और ग्राम प्रतिनिधियों से बात करने के बाद, आंदोलन में होने वाली कठिनाई पर विचार के बाद वल्लभभाई पटेल ने लगान के खिलाफ संघर्ष की शुरुआत की। ब्रिटिश सरकार ने इस आंदोलन को कुचलने के लिए कठोर कदम उठाए, किसानों पर अतयाचार किए, उनके घर तबाह कर दिए लेकिन लोगों ने हिम्मत नहीं हारी। आखिर में विवश होकर किसानों की मांगों के सामने झुकना ही पड़ा।
ब्रिटिश सरकार के न्यायिक अधिकारी ब्लूमफील्ड और एक राजस्व अधिकारी मैक्सवेल ने संपूर्ण मामलों की जांच कर 22 से 30 प्रतिशत लगान वृद्धि को गलत ठहराते हुए इसे घटाकर 6.03 प्रतिशत कर दिया।

इस सत्याग्रह आंदोलन के सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को ''सरदार'' की उपाधि प्रदान की। इसी के बाद से वल्लभभाई पटेल को सरदार पटेल के नाम से भी जाना गया।
राष्ट्रपति महात्मा गांधी ने बारदोली आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा था, इस तरह के किसान संघर्ष और आंदोलन हमें स्वराज के करीब पहुंचा रही है और हम सब हिन्दुस्तानियों को स्वराज की मंजिल तक पहुंचाने में ये संघर्ष सहायक होंगे।
31 अक्टूबर भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) भी मनाया जाता है। भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती को मनाने के लिए भारत सरकार द्वारा साल 2014 में 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस की शुरुआत की थी।