फर्जी प्रमाण पत्रों के जरिए नौकरी पाने वालों पर संकट के बादल, सरकार ने दिए सख्ती के आदेश
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कहा है कि उन कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाए जिन्हें फर्जी जाति प्रमाण पत्र के दम पर नौकरी मिली है। सरकार ने सभी केंद्रीय विभागों से कहा है कि ऐसी नियुक्तियों के बारे में जानकारी इकट्ठा की जाए।
बता दें कि आधिकारिक आंकड़ों से इस बावत जानकारी मिली है कि आर्थिक क्षेत्र, जैसे बैंक और बीमा कंपनियों में कथित तौर पर 1800 से ऊपर ऐसी नियुक्तियां हुई हैं जिसमें फर्जी प्रमाण पत्रों का उपयोग किया गया है।
मौजूदा मानदंडों के अनुसार, यदि यह पाया जाता है कि सरकारी कर्मचारी ने गलत सूचना दी है या नियुक्ति पाने के लिए गलत प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया है, तो उसे सेवा में नहीं रखा जाना चाहिए।
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DOPT ने कहा...
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने हाल ही में जारी किए गए निर्देश में कहा था कि 'जब एक नियुक्ति प्राधिकारी को पता चल जाता है कि किसी कर्मचारी ने झूठे / नकली जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था, तो संबंधित सेवा नियमों के प्रावधानों के अनुसार इस तरह के कर्मचारी को सेवा से हटाने या निकालने की कार्रवाई शुरू करनी होगी'।
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निर्णय लिया गया है कि नकली या झूठे जाति प्रमाण पत्रों के आधार पर किए गए नियुक्तियों के बारे में सभी विभागों से जानकारी एकत्र किया जाए और उसके बाद की गई कार्रवाई की जाएगी। निर्देश में कहा गया है कि 'इसलिए, सभी मंत्रालयों / विभागों से अनुरोध है कि वे सभी संगठनों से अपने प्रशासनिक नियंत्रण के तहत उन मामलों के बारे में जानकारी एकत्र कर लें जहां उम्मीदवारों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए झूठे आधार पर आरक्षित रिक्त पदों के लिए नियुक्ति मिली है। इस संबंध में एक रिपोर्ट भेजें।'
जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में कहा...
कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा को 29 मार्च को एक लिखित उत्तर में कहा था कि नकली जाति प्रमाण पत्रों के आधार पर 1,832 नियुक्तियां कथित रूप से हुई हैं। उन्होंने कहा था कि इनमें से 276 के निलंबन या निष्कासन , 521 मुकदमों के कारण रुके हैं और शेष 1035 मामलों में अनुशासनात्मक कार्यवाही लंबित थी।
नकली जाति प्रमाण पत्रों के माध्यम से कथित तौर पर वित्तीय सेवा के विभाग के तहत कुल मिलाकर 1,296 नौकरियां सुरक्षित की गईं। इसमें भारतीय स्टेट बैंक में 135, सिंडिकेट बैंक में 112, सिंडिकेट बैंक में 103 और न्यू इंडिया एश्योरेंस में 41 और यूनाइटेड इंडिया एश्योरेंस में 157 मामले दर्ज हैं।
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