सबरीमाला मंदिर पर सभी पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया सुनवाई का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर पर दिए गए उसके फैसले को लेकर डाली गई सभी 49 पुनर्विचार याचिकाओं पर ओपन कोर्ट में सुनवाई का आदेश दिया। मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को अनुमति देने के कोर्ट के फैसले को लेकर उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार की मांग को लेकर कई याचिकाएं डाली गई हैं।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर पर दिए गए उसके फैसले को लेकर डाली गई सभी 49 पुनर्विचार याचिकाओं पर ओपन कोर्ट में सुनवाई का आदेश दिया। मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को अनुमति देने के कोर्ट के फैसले को लेकर उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार की मांग को लेकर कई याचिकाएं डाली गई हैं। बता दें कि 28 सितंबर को तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में पांच जजों की बेंच ने सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर चले आ रहे सालों के प्रतिबंध को हटा दिया था।
उच्चतम न्यायालय में सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश को लेकर दिए गए फैसले पर 49 पुनर्विचार याचिकाएं डाली गई हैं, जिसपर न्यायालट ने ओपन कोर्ट में सुनवाई का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस आरएफ नरीमन, एएम खानविलकर, डीवाई चंद्रचूड़ और इंदु मल्होत्रा की एक बेंच फैसले की समीक्षा करने के लिए डाली गई 49 याचिकाओं पर विचार करेगी।
इसके अलाना फैसले को लेकर डाली गई तीन अलग पुनर्विचार याचिकाओं को भी चीफ जस्टिस गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और केएम जोसेफ के सामने ओपन कोर्ट में सुनवाई के लिए रखा जाएगा। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 9 अक्टूबर को इन याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई से मना कर दिया था। कोर्ट ने तब 13 नवंबर की तारीख को सुनवाई के लिए मुकर्रर किया था।
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देश के उच्चतम न्यायालय ने 28 सितंबर को सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर सालों पुराना प्रतिबंध हटाते हुए 10 से 50 साल की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत दी थी। पाबंदी को लैंगिक भेदभाव बताते हुए कोर्ट ने सभी महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दी थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कई संगठन और लोग इसका विरोध कर रहे हैं।
आदेश के बाद जब मंदिर के कपाट खोले गए तो प्रदर्शनकारियों ने सालों पुराने रिवाज का हवाला देते हुए महिलाओं को मंदिर में नहीं जाने दिया। इसके बाद पांच दिनों तक कई महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश की कोशिश की, लेकिन उन्हें वापस लौटा दिया गया। वहां रिपोर्टिंग करने गईं कई महिला पत्रकारों को प्रदर्शनकारियों ने निशाना भी बनाया। कोर्ट के आदेश के बावजूद कोई भी महिला अभी तक मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाई है।
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