क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

पाकिस्तान की नींद उड़ाने वाली है रूस से मोदी सरकार का S-400 सौदा

रूस की सरकारी न्यूज़ एजेंसी स्पूतनिक ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि ऐसी कई वजहें हैं जो अमरीका को भारत और रूस के इस रक्षा सौदे को रोकने पर मजबूर कर रहा है. स्पूतनिक ने रक्षा विश्लेषकों से बातचीत के बाद अपनी रिपोर्ट में लिखा है, ''अमरीका को लगता है कि अगर भारत एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम को हासिल कर लेगा तो उसके सहयोगी देश क़तर, सऊदी और तुर्की भी रूस से इसके लिए संपर्क करेंगे और उसका हथियार कारोबार प्रभावित होगा.''

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
एस-400
Getty Images
एस-400

भारत ने रूस में बने लंबी दूरी के एस-400 ट्रिम्फ़ एयर डिफेंस सिस्टम ख़रीदने की पूरी तैयारी कर ली है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इसी हफ़्ते भारत पहुंच रहे हैं. कहा जा रहा है कि पुतिन के इसी दौरे में दोनों देश इस सौदे की घोषणा कर सकते हैं.

भारत का यह सौदा अमरीका से विवाद का कारण भी बन गया है. भारत और अमरीका के बीच हुए ''टू-प्लस-टू'' बैठक में रूस से इस सौदे की चर्चा केंद्र में रही थी.

अमरीका नहीं चाहता है कि भारत रूस से यह रक्षा सौदा करे. पिछले महीने 6 सितंबर को नई दिल्ली में ''टू-प्लस-टू'' बैठक में अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो और अमरीकी रक्षा मंत्री जिम मैटिस के साथ भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की बैठक हुई थी.

कहा जा रहा है कि इस सौदे के कारण अमरीका के आर्थिक प्रतिबंध का ख़तरा भारत पर मंडरा रहा है, लेकिन फिर भी भारत पांच एस-400 ख़रीदने के आख़िरी चरण में पहुंच गया है.

मोदी और पुतिन
Getty Images
मोदी और पुतिन

बेहतरीन एयर डिफेंस सिस्टम

एस-400 को दुनिया के सबसे प्रभावी एयर डिफेंस सिस्टम माना जाता है. यह दुश्मनों के मिसाइल हमले को रोकने का काम करता है. कहा जा रहा है कि अगर भारत ने इस सौदे की घोषणा कर दी तो अमरीका के लिए यह बहुत निराशाजनक होगा.

उधर रूस की सरकारी समाचार एजेंसी स्पूतनिक का कहना है कि राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे से पहले नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सुरक्षा पर बनी कैबिनेट कमेटी ने रूस से 5 अरब डॉलर से ज़्यादा के पांच एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की ख़रीद को मंजूरी दे दी है.

अमरीका ने 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में कथित रूसी हस्तक्षेप को लेकर रूस के ख़िलाफ़ अगस्त 2017 में काउंटरिंग अमरीकाज़ अडवर्सरीज थ्रु सैंक्शंस एक्ट (सीएएटीएसए) क़ानून पास किया था. इस क़ानून को अमरीका ने रूसी सरकार को सज़ा देने के लिए पास किया था. सीएएटीएसए जनवरी 2018 से प्रभावी हो गया है. भारत चाहता है अमरीका रूस के साथ उसके संबंधों में इस क़ानून से छूट दे.

अमरीका का यह क़ानून उन देशों को रोकता है जो रूस के साथ हथियारों का सौदा करते हैं. अमरीका ने हाल ही में यूएस नेशनल डिफेंस ऑथोराइजेशन एक्ट (एनडीएए) पास किया था, जो ट्रंप प्रशासन को उन देशों को सीएएटीएसए के तहत छूट देने का प्रावधान देता है जिनका रूस से रक्षा संबंध बहुत पुराना है.

एस-400
Getty Images
एस-400

अमरीका की नाराज़गी

एनडीएए के मुताबिक़ रक्षा सौदा 1.5 करोड़ डॉलर से ज़्यादा का नहीं होना चाहिए. एस-400 ट्रिम्फ़ एनडीएए के दायरे से बाहर का सौदा है. एक अनुमान के मुताबिक़ इस सौदे की क़ीमत 5.5 अरब डॉलर से भी ज़्यादा की है जो कि अमरीकी सीमा 1.5 करोड़ डॉलर से बहुत ज़्यादा है.

1960 के दशक से ही रूस भारत का सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता रहा है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट के अनुसार 2012 से 2016 के बीच भारत के कुल रक्षा आयात 68 फ़ीसदी रूस के साथ हुए हैं.

6 सिंतबर को नई दिल्ली में ''टू-प्लस-टू'' बैठक के बाद अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने पत्रकारों से कहा था कि इस बातचीत में अभी तक कोई सहमति नहीं बन पाई है. पॉम्पियो ने कहा था, ''हमलोग भारत और रूस के ऐतिहासिक संबंधों और विरासत को समझते हैं. ऐसे हम नियमों के हिसाब से काम करेंगे. इस पर हम भारत से बातचीत जारी रखेंगे.'' यह दोनों देशों का साझा बयान था और इसमें किसी भी तरह के रक्षा सौदे का ज़िक्र नहीं किया गया था.

भारत सालों से लंबी दूरी की हवाई सुरक्षा क्षमता को मजबूत करने के लिए एस-400 चाह रहा है. 2016 में भी रूस के साथ एस-400 ख़रीदने के लिए द्विपक्षीय वार्ता हुई थी. कहा जा रहा है कि जब चार और पांच अक्टूबर को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे तो इस सौदे पर हस्ताक्षर हो जाएंगे. ये बात भी कही जा रही है कि भारत इस सौदे पर अमरीकी प्रतिबंधों को आड़े नहीं आने देना चाहता है.

मोदी और पुतिन
Getty Images
मोदी और पुतिन

पाकिस्तान के लिए मुश्किल

अभी तक यह साफ़ नहीं है कि भारत रूस से एस-400 कितनी संख्या में ख़रीदेगा. द डिप्लोमैट मैगज़ीन के सीनियर एडिटर फ्ऱैंज-स्टीफ़न गैडी का कहना है, ''रूसी सेना में एक एस-400 दो बटालियन के बीच बँटा रहता है. यह विभाजन दो बैटरियों के ज़रिए होता है.

एस-400 की एक बैटरी 12 ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर्स से बनती है. कई बार चार और आठ से भी बनाई जाती है. सभी बैटरी में एक फ़ायर कंट्रोल रेडार सिस्टम भी निहित होता है. इसके साथ ही एक अतिरिक्त रेडार सिस्टम होता है और एक एक कमांड पोस्ट भी होता है.''

गैडी का कहना है, ''एस-400 में मिसाइल दागने की क्षमता पहले से ढाई गुना ज़्यादा तेज़ है. इसके साथ ही यह एक साथ 36 जगहों पर निशाना लगा सकता है. इसके अलावा इसमें स्टैंड-ऑफ जैमर एयरक्राफ़्ट, एयरबोर्न वॉर्निंग और कंट्रोल सिस्टम एयरक्राफ़्ट है. यह बैलिस्टिक और क्रूज़ दोनों मिसाइलों को बीच में ही नष्ट कर देगा.''

एस-400 रोड मोबाइल है और इसके बारे में कहा जाता है कि आदेश मिलते ही पांच से 10 मिनट के भीतर इसे तैनात किया जा सकता है. यही सारी ख़ूबियां एस-400 को पश्चिम में बने उच्चस्तरीय डिफेंस सिस्टम, जैसे- टर्मिनल हाई एल्टिट्यूड एरिया डिफेंस सिस्टम (टीएचएएडी) और एमआईएम-104 से अलग बनाती हैं.

एस-400
Getty Images
एस-400

आधुनिक टेक्नॉलजी से लैस

इसमें वर्टिकल लॉन्चिंग सिस्टम होता है जिसे नेवी के मोबाइल प्लेटफॉर्म से दागा जा सकता है. इसमें सिंगल स्टेज एसएएम है जिसका अनुमानित रेंज 150 किलोमीटर है. कहा जा रहा है कि भारत को बिल्कुल आधुनिक एस-400 मिलेगा जिसमें उच्चस्तरीय एसएएम और 40N6E हैं.

मुख्य रूप से एस-400 में 40N6E एक मजबूत पक्ष है जो इसकी प्रतिष्ठा को और बढ़ाता है. एस-400 को बनाने वाली कंपनी अल्माज़-एंतये ग्रुप का कहना है कि 40N6E का अधिकतम रेंज 400 किलोमीटर है और यह 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर अपने लक्ष्य को भेद सकता है.

हालांकि अभी तक यह साफ़ नहीं है कि रूस-भारत में अगर ये रक्षा सौदा फाइनल हो जाता है तो कब तक एस-400 भारत आ जाएगा. रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि एस-400 के आने से भारतीय सेना की ताक़त बढ़ेगी.

इंस्टीट्यूट फोर डिफेंस स्टडीज एंड एनलिसिस के लक्ष्मण कुमार बेहरा इस रक्षा सौदे के बारे में कहते हैं, ''रूस चीन को एस-400 ट्रिम्फ़ पहले ही दे चुका है. इसके बाद से भारत रूस के साथ इस रक्षा सौदे को अंजाम तक पहुंचाने में लग गया था. यह बहुत ख़ास रक्षा सौदा है और मुझे लगता है कि भारत इसे हासिल करने में अमरीका के सामने नहीं झुकेगा.''

एस-400
Getty Images
एस-400

रुपए-रूबल में दोस्ती?

रक्षा विशेषज्ञ राहुल बेदी का कहना है कि भारतीय सेना के लिए यह बहुत ही अहम समझौता है. वो कहते हैं, ''भारत को अगर एस-400 हासिल करना है तो अमरीका को नाराज़ करना ही होगा. चीन ने भी रूस से एस-400 ख़रीदा तो अमरीका ने प्रतिबंध लगा दिया. भारत को अमरीका इस मामले में राहत देगा, ऐसा नहीं लगता है. चीन पर अमरीका ने प्रतिबंध लगाया तो उस पर बहुत असर नहीं पड़ा, लेकिन भारत बुरी तरह से प्रभावित होगा.''

भारतीय सेना के पास एस-400 आने के बाद क्या पाकिस्तान की चिंता बढ़ जाएगी? इस सवाल के जवाब में राहुल बेदी कहते हैं, ''पाकिस्तान के लिए ये बहुत ही चिंताजनक है. एस-400 आने के बाद भारत पाकिस्तान पर और भारी पड़ जाएगा. दरअसल भारत ने अमरीका से हथियारों की ख़रीद शुरू की तो पाकिस्तान और रूस के बीच रक्षा संबंध बढ़ने लगे थे. ऐसे में भारत को डर था कि कहीं पाकिस्तान को रूस एस-400 ना दे दे. भारत ने रूस के साथ इस सौदे में ये शर्त भी रखी है कि वो पाकिस्तान को एस-400 नहीं देगा.''

राहुल बेदी कहते हैं, ''पाकिस्तान को अगर रूस-400 नहीं देता है तो उसे इसका कोई विकल्प भी नहीं मिलेगा. मुझे नहीं लगता कि यूरोप या अमरीका इसके जवाब कोई एयर डिफेंस सिस्टम देगा. हालांकि पाकिस्तान के पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि वो इसे ख़रीद पाएगा. भारत और रूस पर अमरीका का दबाव अब बहुत काम नहीं करेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों देशों ने पिछले दो-तीन महीनों में रुपए और रूबल में कारोबार करना शुरू कर दिया है. ऐसा भारत सोवियत संघ से 1960 के दशक में भी करता था. इस सौदे के लिए सितंबर महीने में चार करोड़ डॉलर दिया जा चुका है.

मोदी और पुतिन
Getty Images
मोदी और पुतिन

टेक्नॉलजी ट्रांसफर नहीं

रूस के साथ इस सौदे में टेक्नॉलजी ट्रांसफर यानी 30 फ़ीसदी ऑफसेट पार्टनर जैसी बात नहीं है. राहुल बेदी कहते हैं, ''रूस ने इस पर कहा था कि अगर टेक्नॉलजी ट्रांसफर जैसी बात आएगी तो डिलिवरी में देरी होगी और क़ीमत भी बढ़ जाएगी.'' बेदी मानते हैं कि एस-400 बेहतरीन एयर डिफेंस सिस्टम है और इससे बेहतर दुनिया में अभी कोई एयर डिफेंस सिस्टम नहीं है.

रूस की सरकारी न्यूज़ एजेंसी स्पूतनिक ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि ऐसी कई वजहें हैं जो अमरीका को भारत और रूस के इस रक्षा सौदे को रोकने पर मजबूर कर रहा है. स्पूतनिक ने रक्षा विश्लेषकों से बातचीत के बाद अपनी रिपोर्ट में लिखा है, ''अमरीका को लगता है कि अगर भारत एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम को हासिल कर लेगा तो उसके सहयोगी देश क़तर, सऊदी और तुर्की भी रूस से इसके लिए संपर्क करेंगे और उसका हथियार कारोबार प्रभावित होगा.''

स्पूतनिक की रिपोर्ट में कहा गया है, ''भारत के एस-400 हासिल करने से पाकिस्तान और चीन की ताक़त प्रभावित होगी. इससे भारत पाकिस्तान की हवाई पहुंच और ख़ासकर लड़ाकू विमान, क्रूज़ मिसाइल और ड्रोन्स के ख़तरे को नाकाम कर देगा. ऐसा इसलिए है क्योंकि इसका ट्रैकिंग रेंज 600 किलोमीटर है और 400 किलोमीटर तक मार कर गिराने की क्षमता है. केवल तीन एस-400 में ही पाकिस्तान की सभी सीमाओं की निगरानी की जा सकती है.''

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
S-400 deal of Modi government from Russia is Sleepwalker of Pakistan
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X