काम की तलाश में बाहर जाने वालों को मिलेगा वोटिंग का मौका, EC ने पायलट प्रोजेक्ट के लिए बनाया प्लान
नई दिल्ली, 8 जून। भारत निर्वाचन आयोग अब नौकरी या काम की तलाश में दूर चले गए लोगों को लिए रिमोट वोटिंग की संभावना पर विचार कर रहा है। इसके लिए शुरुआत में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चलाने की योजना है। इसकी संभावना को तलाशने के लिए निर्वाचन आयोग ने एक कमेटी बनाने का फैसला किया है। मंगलवार को चुनाव आयोग ने इस बारे में जानकारी दी है।
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चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया प्रवासी श्रमिकों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, यह देखने के लिए ठोस प्रयास करने की आवश्यकता है। अधिकारी ने कहा "हमें यह देखने की जरूरत है कि इसे सुगम बनाने के लिए किस तरह की तकनीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है।"
चुनाव
आयोग
कर
रहा
अध्ययन
हिंदुस्तान
टाइम्स
की
खबर
के
मुताबिक
अधिकारी
ने
बताया
मुख्य
चुनाव
आयुक्त
राजीव
कुमार
और
चुनाव
आयुक्त
अनूप
चंद्र
पांडे
ने
50
किलोमीटर
से
अधिक
पैदल
चलकर
उत्तराखंड
के
चमोली
जिले
के
दुमक
गांव
और
कलगोथ
गांव
में
दूरस्थ
मतदान
केंद्र
का
दौरा
किया।
इस
दौरान
यह
पाया
गया
कि
दुमक
और
कलगोठ
जैसे
गांवों
में
20
से
25
प्रतिशत
पंजीकृत
मतदाता
अपने
निर्वाचन
क्षेत्रों
में
अपना
वोट
नहीं
डाल
पाते
हैं
क्योंकि
इन्हें
अपनी
नौकरी
या
शैक्षणिक
गतिविधियों
के
चलते
अपने
गांव
या
राज्य
से
बाहर
जाना
पड़ता
है।
आयोग के बयान में कहा गया कि "रिपोर्ट मिलने के बाद राजनीतिक दलों सहित सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श शुरू किया जाएगा।"
पायलट
प्रोजेक्ट
के
तौर
पर
होगा
शुरू
बयान
के
मुताबिक
आयोग
रिमोट
वोटिंग
की
संभावना
पर
विचार
कर
रहा
है
और
लोगों
को
अपने
कार्यस्थल
से
मतदान
की
अनुमति
दे
रहा
है।
आयोन
ने
इसे
पायलट
प्रोजेक्ट
के
तौर
पर
आजमाने
का
फैसला
किया
है।
बहुत
सारे
मतदाता
शिक्षा,
रोजगार
या
अन्य
वजहों
से
अपने
पंजीकरण
के
स्थान
से
शहरों
और
अन्य
स्थानों
पर
पलायन
करते
हैं।
ऐसे
में
उनके
लिए
वोट
डालने
के
लिए
पंजीकरण
वाले
केंद्र
पर
लौटना
मुश्किल
होता
है।
आयोग
ने
पाया
कि
यह
वक्त
है
जब
रिमोट
वोटिंग
की
संभावनाओं
का
पता
लगाया
जाए।
बयान
में
कहा
गया
है
कि
प्रवासी
वोटर्स
के
मुद्दों
की
जांच
के
लिए
एक
समिति
का
गठन
किया
जाएगा।