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असम में पैदा हुआ सबसे वजनी बच्चा, 5kg से भी ज्यादा है वेट, डॉक्टरों ने किया हैरान करने वाला दावा

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कछार, 19 जून। असम के सिलचर में एक महिला ने 5.2 किलोग्राम वजन वाले स्वस्थ शिशु को जन्म देकर डॉक्टरों को भी हैरान कर दिया। सोशल मीडिया पर नवजात बच्चे की तस्वीर भी सामने आई है, जिसमें वह काफी सेहतमंद दिख रहा है। डॉक्टरों का दावा है कि 5.2 किलोग्राम के बच्चों को जन्म देकर महिला ने स्टेट रिकॉर्ड बना दिया है। प्रदेश में अब तक इतने वजनी बच्चे का जन्म नहीं हुआ था। बच्चे का जन्म सिलचर के सतींद्र मोहन देव सिविल अस्पताल में हुआ है।

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Assam baby: Silchar में महिला ने 5.2 kg वजनी बच्चे को दिया जन्म | heaviest child | वनइंडिया हिंदी
असम में पैदा हुआ सबसे वजनी बच्चा

असम में पैदा हुआ सबसे वजनी बच्चा

अस्पताल के ही डॉक्टर हनीफ मोहम्मद अफसर आलम लस्कर ने बताया कि महिला की डिलीवरी सामन्य गर्भवस्था समय से देर में हुई है, लेकिन हमें इस बात का अंदाजा नहीं था कि शिशु का वजह 5.2 किलोग्राम होगा। हमारी जानकारी के अनुसार, यह अब तक असम में पैदा हुआ अब तक का सबसे वजनी बच्चा है। डॉक्टर हनीफ ने आगे बताया कि असम में नवजात शिशुओं का औसत वजन लगभग 2.5 किलोग्राम होता है।

5.2 किलोग्राम वजन वाले बच्चे का हुआ जन्म

5.2 किलोग्राम वजन वाले बच्चे का हुआ जन्म

उन्होंने बताया कि अब तक असम में लगभग 4 किलोग्राम वजन वाले नवजात शिशु का मामला सामने आया था लेकिन 5.2 किलोग्राम वजन वाले बच्चे का जन्म होना एक अनूठा मामला है। डॉक्टर हनीफ ने कहा, हमने अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा की है और उन्होंने भी हमारे इस दावे का समर्थन किया है। बताया जा रहा है कि सरकारी अस्पताल में वरिष्ठ डॉक्टरों की एक टीम ने मंगलवार की दोपहर सिजेरियन ऑपरेशन कर महिला की डिलीवरी कराई।

दंपति का पहला बच्चा भी था वजनी

दंपति का पहला बच्चा भी था वजनी

5.2 किलोग्राम के बच्चे के माता-पिता का नाम जया दास और बादल दास बताया जा रहा है, यह उनकी दूसरी संतान है। इनके पहले बच्चे का वजन जन्म के समय लगभग 3.8 किलोग्राम था। कछार जिले के सिलचर में स्थित सतींद्र मोहन देव सिविल अस्पताल के डॉक्टरों का दावा है कि असम में पैदा हुआ यह सबसे वजनी बच्चा है। नर्स रोजलिन, मंजरुल और एनेस्थेटिस्ट डॉ रजत देब की सहायता से डॉ हनीफ एमडी अफसर आलम लस्कर ने सिलचर सिविल अस्पताल में जया दास का सिजेरियन ऑपरेशन किया।

डिलीवरी की तारीख 29 मई थी

डिलीवरी की तारीख 29 मई थी

डॉ हनीफ ने बताया कि कोरोना वायरस महामारी की डर से परिवार ने बच्चे की डिलीवरी देर से कराई। डॉ हनीफ ने कहा, 'ज्यादातर मामलों में बच्चों का जन्म गर्भावस्था के 38वें और 42वें सप्ताह के बीच हो जाता है, लेकिन जब शिशु 42वें सप्ताह तक बाहर नहीं आता तो उसे पोस्ट-टर्म या देरी से हुई डिलीवरी माना जाता है। इस मामले में गर्भवती मां के अस्पताल में भर्ती कराने में देरी हुई। उसकी डिलीवरी की तारीख 29 मई थी, लेकिन उस समय उसे भर्ती नहीं किया गया था।'

कोरोना के डर से महिला को देर से लेकर पहुंचे अस्पताल

कोरोना के डर से महिला को देर से लेकर पहुंचे अस्पताल

डॉ हनीफ ने बताया कि तय तारीख पर महिला को अस्पताल में भर्ती ना कराने की वजह परिवार वालों के मन में कोविड वायरस डर था। उसका परिवार महामारी के बीच अस्पताल जाने से हिचकिचा रहा था। शुक्र है कि हम मां और नवजात को बचाने में कामयाब रहे। नवजात के पिता बादल दास ने कहा, 'यह हमारा दूसरा बच्चा है, पहले बच्चे का वजन करीब 4 किलोग्राम था। लेकिन वह अलग समय था, आज हर अस्पताल में कोविड संक्रमित मरीजों का इलाज हो रहा है. मैं अपनी गर्भवती पत्नी को सरकारी अस्पताल ले जाने में थोड़ा हिचकिचा रहा थी लेकिन आखिरकार हमें उसे अस्पताल ले जाने का फैसला लेना पड़ा।'

यह भी पढ़ें: VIDEO: गोद में बच्चा लिए एक हाथ से लपक ली गेंद, अनुष्का शर्मा बोलीं- 'ऐसा कुछ नहीं जो हम नहीं कर सकते'

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English summary
record Heaviest baby born in Assam weighs more than 5kg
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