रामजन्मभूमि विवाद: हिंदू महासभा ने मध्यस्थता के लिए तीन नाम दिए
नई दिल्ली। अयोध्या विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों से बातचीत के रास्ते मसेल का समाधान निकालने की अपील की थी। इस पूरे मसले में अखिल भारतीय हिंदू महासभा की ओर से मध्यस्थता के लिए तीन नामों का सुझाव दिया गया है। जिसमे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जगदीश सिंह खेहर और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एके पटनायक के नाम का सुझाव दिया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की।
जस्टिस गोगोई ने की सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले के स्थायी समाधान के लिए कोर्ट मॉनिटर्ड मध्यस्थता की बात कही है। सुप्रीम कोर्ट वर्ष 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के खिलाफ तमाम याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, इस दौरान कोर्ट ने संबंधित पक्षकारों को कहा है कि वह वह जिन लोगों को मध्यस्थ के तौर पर नियुक्त करना चाहते हैं उनका नाम दें। आपको बता दें कि इस मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा, राम लला विराजमान अहम पक्षकार हैं।
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संवैधानिक पीठ या फिर छोटी बेंच में सुनवाई पर जल्द फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले को लेकर फैसला देगी कि क्या इस विवाद पर संवैधानिक पीठ सुनवाई करेगी या फिर यह एक बार फिर से छोटी बेंच के पास सुनवाई के लिए जाएगा। इस मामले की सुनवाई की दौरान सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय बेंच ने कहा कि अदालत अयोध्या भूमि विवाद और इसके प्रभाव को गंभीरता से समझती है और इसलिए इस मामले में जल्द फैसला सुनाना चाहते हैं। 5 सदस्यीय बेंच ने कहा कि अगर इस मामले के पक्षकार मध्यस्थों का नाम सुझाना चाहते हैं तो वे दे सकते हैं।
क्या कहना है कि सभी पक्षों का
इस केस की सुनवाई के दौरान हिंदू महासभा ने अपना स्टैंड साफ कर दिया कि मध्यस्थता नहीं हो सकती है। महासभा ने कहा कि ये भगवान राम की जमीन है, दूसरे पक्ष का इसपर हक नहीं है। लिहाजा इस केस को मध्यस्थता के लिए ना भेजा जाए। रामलला विराजमान का भी कहना था कि मध्यस्थता से हल नहीं निकल सकता है। हालांकि निर्मोही अखाड़े और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मध्यस्थता का पक्ष लिया।कोर्ट ने कहा कि हमें इसकी गंभीरता का पता है और हम आगे मामले को देख रहे हैं। यह उचित नहीं कि अभी कहा जाए कि नतीजा कुछ नहीं होगा।
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