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राजस्थान: कांग्रेस के टिकट से क्या राजपुरोहित की पर्यावरण को बचाने की लड़ाई सड़क से पहुंचेगी सदन तक?

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नई दिल्ली। राजस्थान का पाली शहर राज्य के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है। पाली शहर के उद्योगपतियों और फैक्ट्रियों के मालिकों ने अपने हितों के लिए न सिर्फ नदियों और जमीनों को बर्बाद किया है, बल्कि पाली के आस-पास के गांवों की उपजाऊ भूमी को भी बंजर कर दिया है। इसी साल जून में एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यून) ने तेजाब में बदल रही शहर की बांडी नदी में प्रदूषण रोकने में नाकाम रहे पाली जिले के कलेक्टर को तलब कर उनसे सवाल जवाब किए थे। किसान पर्यावरण संघर्ष समिति ने एक याचिक दायर कर आरोप लगाया था कि शहर की टेक्सटाइल फैक्ट्रियां बांडी नदी के बर्बादी का कारण बन रही है। बांडी नदी को मरने से बचाने और किसानो की आवाज उठाने के लिए ही 'किसान पर्यावरण संघर्ष समिति' (केपीएसएस) का गठन किया गया था। महावीर सिंह राजपुरोहित केपीएसएस के जनरल सेक्रेटरी हैं, जिन्हें इस बार कांग्रेस ने टिकट देकर अपनी लड़ाई को और ज्यादा मजबूत करने का मौका दिया है।

एक पर्यावरणविद जो कांग्रेस के टिकट से सदन पहुंचने को बेताब

PICTURE CREDIT: Mahaveer Singh Rajpurohit/FB

पिछले कई सालों से पाली शहर में प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे महावीर सिंह राजपुरोहित एक पर्यावरणविद हैं, जिन्हें कई पुरष्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। पाली शहर और उसके आस पास के गांवों की समस्या को जानने से पता चलता है कि टेक्सटाइल फैक्ट्रियों ने यहां की जमीन को बंजर और पानी को तेजाब में बदलने का काम किया है। टेक्सटाइल फैक्ट्रियों का तेजाबी पानी नदी में गिरकर उस प्रदूषित करता है। फैक्ट्रियों से निकले पानी ने नदी के आस पास के खेतों और कुओं को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। कोई वक्त जिस जमीन पर किसान खेती कर हजारों किलो गेहू और अन्य फसलें उगाते थे, वह अब बंजर बन चुकी है। बांडी नदी के आस पास जिन कुओं में मीठा पानी हुआ करता था, वे अब जहरीले पानी का रूप ले चुकी हैं।

पाली के फैक्ट्री मालिकों ने न सिर्फ नदियों को दुषित किया है, बल्कि उनके कारखानों से निकलते धुएं और प्रदूषित पानी ने जानवरों को भी नहीं बख्शा है। इस जहर से पाली जिले के न सिर्फ किसान, बल्कि यहां का व्यापारी और मजदूर से लेकर हर वर्ग प्रदूषण से पीड़ित है। राजपुरोहित पिछले कई सालों से पर्यावरण को बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं और वे हजारों स्थानीय किसानों की आवाज बन चुके हैं।

पाली शहर और जिले के स्थानीय लोग बताते हैं कि राजपुरोहित सालों से पर्यावरण और किसानों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन बीजेपी के खिलाफ एंटी इंकबेंसी की हवा में भी राजपुरोहित की मुश्किलें कम नहीं है। लोगों के अनुसार, पाली में पिछले बीस सालों से ज्ञानचंद पारख विधायक है और प्रदूषण से निपटने के लिए विधायक हर स्तर पर नाकाम साबित हुए हैं। उनका यह भी कहना है कि शहर में व्यापारियों का एक धड़ा राजपुरोहित के भले ही खिलाफ है, लेकिन कई लोग उन्हें पसंद करते हैं। पाली विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी राजपुरोहित किसी परिचय के मोहताज नहीं है, लेकिन अब देखना यह है कि सड़क से शुरू हुई राजपुरोहित की यह लड़ाई राजस्थान के सदन तक पहुचेंगी या नहीं। फिलहाल, इस युवा चेहरे को पाली के लोग बड़े ध्यान से देख रहे हैं...

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English summary
Rajasthan: Rajpurohit fights against pollution in Pali district, gets ticket from Congress
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