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भावेश लोहार: लोगों के घरों में झाड़ू लगाने वाली मां का बेटा बना फोर्ड में इंजीनियर

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उदयपुर, 28 जुलाई। कामयाब होने का सपना तो बहुत लोग देखते हैं लेकिन उसको पूरा करने के लिए हर किसी के पास संसाधन नहीं होता हैं। ऐसी कठिन परिस्थितियों में कुछ लोग टूट जाते हैं वहीं कुछ रिकार्ड बनाते हैं। उदयपुर के भावेश लोहार ने भी ये कमाल कर दिखाया है। भावेश लोहार ने अपने सपनों की नौकरी पाने के लिए सभी बाधाओं को तोड़ दिया और आज कार बनाने वाली फोर्ड कंपनी में इंजीनियर बन गए हैं। भावेश लोहार को इस मुकाम पर पहुंचाने में उनकी मां का सबसे बड़ा त्‍याग हैं। वर्षों से लोगों के घरों में झाड़ू-पोछा और बरतन माज कर उन्‍होंने अपने बेटे को पढ़ाया।

भावेश ने नंगे पैर स्‍कूल जाते हुए देखा था ये सपना

भावेश ने नंगे पैर स्‍कूल जाते हुए देखा था ये सपना

भावेश लोहार ने अपने स्‍ट्रगल की कहानी लिंक्‍डइन पर शेयर करते हुए बताया कि 'मुझे वो दिन याद हैं, जब भीषण गर्मी में नंगे पांव हाईवे पर पैदल चलते हुए सरकारी स्‍कूल जाते थे। मैं और मेरे दो दोस्त भविष्य की कारों के बारे में चर्चा करते थे जो हम तब खरीदेंगे जब हम बड़े व्यक्ति बन जाएंगे, उन दिनों मुझे फोर्ड फिगो के प्रति गहरा प्यार था, इसे एक स्थानीय अखबार के विज्ञापन में देखकर और हमेशा इसे खरीदना चाहता था।

6 बाय 6 कमरे में रह कर पढ़ाई कर पाई अपनी ड्रीम जॉब

6 बाय 6 कमरे में रह कर पढ़ाई कर पाई अपनी ड्रीम जॉब

राजस्थान के उदयपुर के रहने वाले भावेश लोहार की मां लोगों के घरों घरेलू काम करती हैं और दिन रात मेहनत कर अपने बेटे को पढ़ाया और उनका त्‍याग रंग लाया और आज उनका बेटा फोर्ड मोटर कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी हासिल कर ली। भावेश ने बताया एनआईटी (राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान), भोपाल में पढ़ाई कर रहा था लेकिन कोरोना के कारण हॉस्‍टल छोड़ना पड़ा। इसके बाद परिवार के सात सदस्यों के साथ 6 बाय 6 कमरे में रहा और पढ़ाई किया। हमारे पास केवल एक कमरा था इसलिए मैंने (इसके कुछ हिस्से) पढ़ने के लिए एक छोटी सी जगह बनाई। मैं इस 6 बाय 6 कमरे में बैठकर बड़ी कंपनियों में नौकरी के लिए तैयारी की साक्षात्कार दिया और फोर्ड में सलेक्‍ट हो गया।

लोहार का सपना पूरा करने के लिए बहनों ने दिया ये बलिदान

लोहार का सपना पूरा करने के लिए बहनों ने दिया ये बलिदान

लोहार ने कहा मैं अपनी प्यारी बड़ी बहनों का शुक्रगुजार हूं जिन्होंने मेरे सपनों को जीने के लिए अपने सपनों का बलिदान दिया, उन्होंने मेरे परिवार का पेट भरने के लिए काम किया और पैसा कमाया।" लोहार ने अपनी माँ को धन्यवाद दिया, जिन्होंने उनकी पढ़ाई के लिए एक मेड सरवेंट के रूप में काम किया क्योंकि उनके पिता की अधिकांश वेतन 7 से 8 हजार रुपये उनके कर्ज में चली गई थी। लोहार ने ये भी बताया कि कैसे उन्हें अपनी पढ़ाई के लिए पार्ट-टाइम काम करना पड़ा।

भावेश लोहार ने सफल होने का बताया ये मूल मंत्र

भावेश लोहार ने सफल होने का बताया ये मूल मंत्र

फोर्ड कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की जॉब ज्‍वाइन करने वाले भावेष लोहार की सलाना सैलरी आठ से नौ लाख रुपए होगी। भावेश लोहार ने कहा "मैं जानता हूं कि कई छात्र इससे भी कठिन जीवन जी रहे हैं, मैं आपको केवल इतना बताना चाहता हूं कि अपने काम ईमानदारी से करते रहें और सकारात्मक रहें क्योंकि भगवान के पास आपके लिए बेहतर योजनाएं हैं जैसा कि गीता में कहा गया है 'कर्म किए जा फल की चिंता ना कर'।

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English summary
Bhavesh Lohar: Son of a mother who sweeps people's houses becomes an engineer in Ford
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