Rafale VS J-20: जानिए क्यों IAF के नए हथियार के आगे फेल है चीनी जेट चेंगदू
नई दिल्ली। कई बरसों का इंतजार खत्म हो रहा है और फ्रांस से राफेल फाइटर जेट भारत आ रहे हैं। सोमवार को मेरीनेक से शुरू हुआ सफर बुधवार को राफेल की अंबाला में लैंडिंग के साथ अपने अंजाम पर पहुंच जाएगा। राफेल का पहला बैच ऐसे समय में अंबाला लैंड कर रहा है जब लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन के साथ टकराव जारी है। ऐसे में यह सवाल उठाना लाजिमी है कि चीनी जेट चेंगदू जे-20 की तुलना में आखिर राफेल कहां ठहरता है। आपको बता दें कि चीनी जेट, राफेल का मुकाबला नहीं कर सकता है। राफेल, चीनी जेट से कहीं आगे का एयरक्राफ्ट है।
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पल भर में ढेर कर सकता है J-20 को
इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) ने स्पष्ट कर दिया है कि पायलट्स, ग्राउंड क्रू और फाइटर जेट, भारत पहुंचते ही ऑपरेशन के लिए रेडी हो जाएंगे। आईएएफ को आखिरी फाइटर जेट सन् 2001 में मिला था जब रूस का सुखोई भारत आया था। राफेल जेट को ऐसे ही गेम चेंजर नहीं कहा जा रहा है बल्कि इसकी खूबियां इसे दुनिया के बाकी फाइटर जेट्स से अलग बनाती हैं। चीन अपने जे-20 फाइटर जेट के बारे में दावा करता है कि यह एक पांचवी पीढ़ी का एयरक्राफ्ट है। विशेषज्ञों की मानें तो राफेल एक 4.5 पीढ़ी का एयरक्राफ्ट है लेकिन इसके बाद भी राफेल इतना क्षमतावान है कि वह चीन के इस प्रीमियर जेट को ढेर कर सकता है।
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राफेल की खतरनाक खूबियां
- राफेल अपने वजन से डेढ़ गुना ज्यादा वजन का बोझ उठा सकता है।
- यानी हथियारों को ले जाने और ईधन की क्षमता में यह जे-20 से कहीं आगे है।
- राफेल एक उड़ान में चार मिशन आसानी से पूरा कर सकता है।
- जे-20 एक बार में सिर्फ एक ही मिशन पूरा कर सकता है।
- राफेल को अफगानिस्तान, लीबिया और सीरिया जैसी मुश्किल जगहों में भी प्रयोग किया जा चुका है।
- जे-20 अभी तक किसी भी मिशन का हिस्सा नहीं रहा है।
- राफेल की मीटिओर मिसाइल से और खतरनाक बनाती है।
- मिसाइल की वजह से राफेल जे-20 और सु-30 से कहीं आगे है।
- राफेल को आखिरी मौके पर हैमर मिसाइल से लैस किया गया है।
- हैमर एक रॉकेट एनेबल्ड हवा से जमीन पर मार करने वाली सटीक मिसाइल है।
- यह मिसाइल ऊंचाई वाले क्षेत्रों में 60 किमी की रेंज के लिए अनुकूल है।
- मीटिओर की रेंज 150 किलोमीटर है और यह हवा से हवा में दुश्मन को निशाना बना सकती है।
- राफेल में एक क्रूज मिसाइल स्कैल्प भी है जिसकी रेंज 200 किलोमीटर है।
-
इसे
जमीन
और
पानी
दोनों
से
ही
लॉन्च
किया
जा
सकता
है।
राफेल के पास जल्द ही माइका मिसाइलें भी होंगी। - माइका मिसाइलों को हवा से जमीन और हवा से हवा में हमलों में प्रयोग किया जा सकता है।
दुश्मन आसानी से पकड़ ले चीनी जेट
एयर मार्शल (रिटायर्ड) आर नाबिंयार जिन्होंने राफेल की फ्लाइट टेस्टिंग की थी, उन्होंने इंडिया टुडे से कहा, 'राफेल, चीन के चेंगदू जे-20 जेट से कहीं ज्यादा श्रेष्ठ फाइटर जेट है। यह भले ही एक पांचवीं पीढ़ी का जेट हो, लेकिन यह किसी 3.5 पीढ़ी के एयरक्राफ्ट जितना ही क्षमतावान है। इस जेट में तीसरी पीढ़ी के वही इंजन हैं जो सुखोई में लगे हैं।' विशेषज्ञ चेंगदू जेट की स्टेल्थ क्षमता भी संदेह में है। किसी जेट स्टेल्थ क्षमता बताती है कि वह कितनी बेहतर से दुश्मन के रडार से छिपते हुए अपने टारगेट पर निशाना लगा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि जे-20 के बारे में चीन ने जो भी बातें कहीं हैं उन पर भरोसा करना मुश्किल है।
रडार की पकड़ से बाहर राफेल
इस बात का भी भरोसा नहीं है कि चेंगदू जे-20 जेट किसी ऑपरेशन में खुद को रडार से छिपा सकता है। राफेल इसके अलावा स्पेक्ट्रा से लैस है। स्पेक्ट्रा वह सिस्टम है जिसके बाद राफेल फ्लाइंग के दौरान और जमीन पर किसी भी खतरे से पूरी तरह सुरक्षित रह सकेगा। इस सिस्टम की वजह से राफेल को कभी भी दुश्मन जैम नहीं कर पाएंगे और उड़ान के दौरान यह किसी भी बड़े खतरे का पता आसानी से लगा सकता है। राफेल का री-प्रोग्रामेबल सिस्टम खतरे को बेहतरी से परख सकता है। इसकी वजह से इसे डिटेक्ट कर पाना और इसे ढेर कर पाना बहुत ही मुश्किल है। राफेल का इंजन भी सुखोई की तुलना में कहीं ज्यादा बेहतर है और इस पर ज्यादा भरोसा किया जा सकता है।