पंजाब के सीएम Amarinder Singh ने प्रदर्शन कर रहे किसानों को बातचीत के लिए बुलाया
नई दिल्ली। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं को शनिवार को बातचीत के लिए बुलाया है। राज्य में प्रदर्शन के चलते ट्रेड यूनियनों ने यात्री ट्रेनों को रोका हुआ है। किसानों का कहना है कि नए बिल उनके हितों के खिलाफ हैं। 7 अक्टूबर से ही केंद्र ने मालगाड़ियों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया था। साथ ही यूनियनों से कहा था कि अगर वह चाहते हैं कि राज्य में मालगाड़ियां चलें तो इनकी आवाजाही होने दें।
मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा का कहना है, 'हम गतिरोध के समाधान के प्रति आशान्वित हैं। मुझे यकीन है कि वे (किसान यूनियन) मामले को हल करके सीएम की पहल का आभार जताएंगे।' आपको बता दें सिंह तीन सदस्यीय मंत्रियों की समिति का हिस्सा है, जो विरोध प्रदर्शन कर रही किसान यूनियनों से बात करेगी। बैठक के लिए निमंत्रण सभी 31 किसान यूनियनों को भेजा जा चुका है। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री इस गतिरोध को हल करना चाहते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी अपॉइंटमेंट मांगी है। राज्य के अधिकारी शनिवार तक केंद्र से पुष्टि की उम्मीद कर रहे हैं।
मालगाड़ियों पर प्रतिबंध के कारण, गेहूं की फसल के लिए यूरिया स्टॉक नहीं आ पा रहा है, कोयले की आपूर्ति प्रभावित हो रही है, जिससे दो थर्मल प्लांटों को बंद करना पड़ सकता है और खाद्य अनाज स्टॉक भी राज्य में जमा हो रहे हैं। किसान यूनियनों के साथ शनिवार की बैठक सीएम द्वारा की गई दूसरी ऐसी पहल है। इससे पहले 29 सितंबर को भी एक बैठक की गई थी। जिसमें उन्होंने किसानों से वादा किया था कि वह कानूनों को लेकर केंद्र से चिंता व्यक्त करेंगे। हालांकि मंत्रियों की समिति ने कई बार यूनियनों से मुलाकात की है।
भारत किसान यूनियन (दकौंडा) के राज्य महासचिव जगमोहन सिंह का कहना है, 'हमने अपने संघ के पदाधिकारियों के साथ बैठकें की हैं और पंजाब की भलाई के लिए मालगाड़ियों को अनुमति देने के लिए समझौते के निकट पहुंचे हैं। हम अन्य कृषि निकायों के भी संपर्क में हैं, जो इसी तरह की सोच रखते हैं।' उन्होंने कहा कि किसान यूनियन सीएम के साथ बैठक करेंगी।
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13 नवंबर को यूनियनों के साथ एक बैठक में, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने उन्हें रेलवे की संपत्तियों को खाली करने और यात्री ट्रेनों की आवाजाही की अनुमति देने के लिए कहा था। जिसके बाद ही माल ढुलाई को पंजाब में प्रवेश करने की अनुमति दी गई। 18 नवंबर को अपनी बैठक में कृषि निकायों ने केंद्र से कहा कि वे पहले मालगाड़ियों को भेजें, इसके बाद वे गाड़ियों को चलने देंगे।
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