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आधार के पेंच से भूखों मरने की नौबत आई

सरकार आधार को उपयोगी बता रही है, लेकिन इनके लिए आधार जी का जंजाल बना.

By BBC News हिन्दी
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आधार कार्ड
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विशाखापत्तनम ज़िले के मुनगपाका मंडल गांव के लोग पिछले एक साल से मनरेगा में काम कर रहे हैं. लेकिन, इन लोगों को साल भर का इनका मेहनताना अब तक नहीं मिल पाया है. वजह है इनके आधार कार्ड का काम न करना. कई बार ये लोग अपने आधार कार्ड के विवरण को बैंक खाते से जोड़ने की अर्जी भी डाल चुके हैं, लेकिन नतीजा सिफ़र रहा.

मुनगपाका मंडल में 20 पंचायतें आती हैं. इनमें से 12 पंचायतों को मनरेगा का पैसा डाक के ज़रिए मिलता है, जबकि 8 पंचायतों में यह बैंकों के माध्यम से भुगतान किया जाता है. आधार कार्ड को बैंक खाते से लिंक करना अनिवार्य होने के बाद मनरेगा का लाभ उठा रहे ग्रामीणों ने भी इस आदेश का पालन किया, लेकिन हर किसी के लिए ऐसा कर पाना आसान नहीं रहा.

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साल भर से नहीं मिली पगार

मुनगपाका गांव में क़रीब 480 लोग मनरेगा के तहत निर्माणाधीन स्थलों, सड़कों और कृषि से संबंधित काम कर रहे हैं. लेकिन इस योजना के तहत काम कर रहे लोगों में से क़रीब 20 लोग ऐसे हैं जिन्हें साल भर से इसका मेहनताना नहीं मिला है. इन लोगों ने कई बार बैंक के चक्कर भी काटे, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ.

एम रामुलम्मा मनरेगा से मिलने वाले पैसों के सहारे अपना घर चलाती थीं, लेकिन अब उनके पास खाने तक के पैसे नहीं हैं. इस वजह से वह घर पर रहने को मजबूर हैं. उनकी इन सब परेशानियों की वजह आधार कार्ड का काम नहीं करना है.

वो कहती हैं, "मैं अपना आधार कार्ड लेकर कई बार बैंक गई, लेकिन कोई काम नहीं हुआ. वो कहते हैं कि मेरे कार्ड का विवरण उनको नहीं मिल पा रहा है. अगर मुझे मेरी मेहनत का पैसा नहीं मिलेगा तो मैं कैसे अपना गुज़ारा करूंगी."

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'आपका आधार कार्ड काम नहीं करता'

यही कहानी अर्जुनाअम्मा और पद्मा की भी है. अर्जुनाअम्मा खेत में और पद्मा निर्माण स्थल पर मज़दूरी करती हैं. अर्जुनाअम्मा अपनी परेशानी बताते हुए कहती हैं, "वो बार-बार हमारे आधार कार्ड के साथ बैंक के चक्कर लगवाते हैं, लेकिन हर बार मुझे यही बताया जाता है कि मेरा कार्ड अपडेट नहीं है और मेरे खाते में पैसे नहीं हैं.

पद्मा की कहानी भी दूसरे गांव वालों की तरह ही है. वह बताती हैं कि अब उनके लिए बिना पैसों के गुज़ारा करना मुश्किल हो रहा है. वो ये समझ नहीं पा रही हैं कि बिना बकाया मिले उन्हें काम पर जाना चाहिए या नहीं. वो कहती हैं, "मैं मनरेगा के तहत काम करने जाती हूं, लेकिन अभी तक मुझे मेरे पैसे नहीं मिले हैं. इससे बहुत परेशानी होती है. मैं काम पर जाना बंद नहीं कर सकती हूं, लेकिन मुझे मेरा मेहनताना भी नहीं मिल रहा है."

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गांव गांव की कहानी

आधार कार्ड से जुड़ी परेशानियां सिर्फ़ मुनगपाका गांव तक ही सीमित नहीं हैं. पास के ही पी अनंदापुरम और पतिपल्ली गांव की भी यही कहानी है. इन गांवों में मनरेगा के तहत काम करने वाले सिविल सोसायटी संगठन 'समालोचना' और अंबेडकरवादी 'पुनादी' भी पैसे न मिलने की समस्या से जूझ रहे हैं.

पुनादी के अध्यक्ष राजन्ना बुज्जीबाबू कहते हैं कि पैसों का भुगतान अनियमित तरीके से हो रहा है. ज़्यादातर लोगों को उनके हक़ का पैसा नहीं मिला है. राजन्ना कहते हैं, "मनरेगा एक सरकारी योजना है जिसमें अकुशल श्रमिकों को रोज़गार मिलना सुनिश्चित किया जाता है. लेकिन, बहुत से गांव वाले हैं जो मेहनताना न मिलने की परेशानी से जूझ रहे हैं. इसकी ये वजह बताई जाती है कि आपका आधार कार्ड बैंक खाते से नहीं जुड़ा है.

हालांकि सरकारी अधिकारियों से इस बाबत कोई जवाब नहीं मिला, लेकिन सरकारी मशीनरी इस समस्या पर विचार कर रही है. अधिकारियों ने बैंक खाते से आधार कार्ड को लिंक किए जाने की वर्तमान स्थिति पर रिपोर्ट मांगी है.

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English summary
Proverty hunger die from the screw of the base
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