लोकसभा चुनाव 2019: नासिक लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: महाराष्ट्र की नासिक लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद शिवसेना के हेमंत तुकाराम गोडसे हैं। उन्होंने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर दिग्गज नेता छगन भुजबल को 18,73,36 से परास्त करके ये सीट अपने नाम की थी। हेमंत तुकाराम गोडसे को यहां पर 49,47, 35 वोट मिले थे तो वहीं छगन भुजबल को मात्र 30, 73, 99 वोटों पर संतोष करना पड़ा था। साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर नंबर 2 पर NCP,नंबर 3 पर MNS और नंबर 4 पर बसपा थी, साल 2014 के चुनाव में यहां पर कुल मतदाताओं की संख्या 15,93,237 थी , जिसमें से मात्र 9,37,405 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग किया था, जिसमें पुरुषों की संख्या 5,24,572 और महिलाओं की संख्या 4,12,833 थी।
नासिक लोकसभा सीट का इतिहास
नासिक संसदीय क्षेत्र में 6 विधानसभा सीटें आती हैं, साल 1952 में यहां पहली बार आम चुनाव हुए थे, जिसे कि कांग्रेस ने जीता था, इसके बाद 1957 का चुनाव यहां पर शेड्यूल कास्ट फेडरेशन ने जीता। 1962, 1963, 1967 और 1971 में यहां पर कांग्रेस का राज रहा लेकिन 1977 का चुनाव यहां से 'कामगर प्रकाश' ने जीता। साल 1980 और 1984 में यहां से कांग्रेस ने ही जीत हासिल की, साल 1989 में पहली बार यहां भारतीय जनता पार्टी को सफलता मिली और डॉ. दौलतराव अहीर यहां के सांसद चुने गए लेकिन इसके दो साल बाद ही हुए चुनाव में यहां पर कांग्रेस की जीत हुई और वसंत पवार एमपी की कुर्सी पर बैठे। साल 1996 का चुनाव यहां पर शिवसेना ने जीता लेकिन 1998 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां वापसी की लेकिन साल 1999 के चुनाव में एक बार फिर से ये सीट शिवसेना के पास चली गई, साल 2004 का चुनाव यहां नेशनल कांग्रेस पार्टी ने जीता और साल 2009 तक उसका ही यहां पर राज रहा लेकिन साल 2014 के चुनाव में फिर से यह सीट शिवसेना के खाते में चली गई और हेमंत तुकाराम गोडसे यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे।
नासिक, एक परिचय-प्रमुख बातें-
कुंभ नगरी के नाम से मशहूर नासिक हिंदुओं की आस्था का केंद्र है, गोदावरी नदी के तट पर स्थित नासिक अपने सुंदर घाटों और मंदिरों के लिए जाना जाता है, नासिक शक्तिशाली सातवाहन वंश के राजाओं की राजधानी थी। मुगल काल के दौरान नासिक को गुलशनबाद कहा जाता था। इसके अतिरिक्त इस शहर ने भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में भी अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह वो ही धरती है जहां से डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने 1932 में मंदिर में अछूतों के प्रवेश के लिये आंदोलन चलाया था। यहां की जनसंख्या 25,23,817 है, जिसमें से 32 प्रतिशत लोग ग्रामीण इलाकों में और 67 प्रतिशत लोग शहरी इलाकों में रहते हैं।
हेमंत तुकाराम गोडसे का लोकसभा में प्रदर्शन
हेमंत तुकाराम गोडसे इससे पहले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के सदस्य थे और साल 2009 में इन्होंने MNS के टिकट पर नासिक सीट से ही चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें एनसीपी के समीर भुजबल से हार का सामना करना पड़ा था , इसके बाद इन्होंने शिवसेना ज्वाइन कर ली और साल 2014 में नासिक से विजयी हुए। दिसंबर 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 सालों के दौरान लोकसभा में हेमंत तुकाराम गोडसे की उपस्थिति 87 प्रतिशत रही थी और इस दौरान इन्होंने 32 डिबेट में हिस्सा लिया और 419 प्रश्न पूछे हैं।
नासिक लोकसभा सीट पर शिवसेना का सीधा मुकाबला एनसीपी से ही होता आया है और कोई पार्टी यहां पर प्रभावी नहीं रही है, इसमें कोई शक नहीं कि साल 2014 के चुनाव में यहां पर शिवसेना को मोदी लहर का भी फायदा मिला था, आपको बता दें कि साल 2014 का चुनाव शिवसेना और भाजपा ने मिलकर लड़ा था, ऐसे में क्या इस बार भी शिवसेना की यहां पर वापसी होगी, यह एक बड़ा सवाल है तो वहीं एनसीपी और उसके सहयोगियों की पूरी कोशिश यहां पर अपनी हार का बदला लेने की होगी, गौरतलब है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और एनसीपी साथ-साथ हैं, देखते हैं कि शह और मात के इस खेल में इस बार बाजी किसके हाथ लगती है।