लोकसभा चुनाव 2019: नागापट्टिनम लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: तमिलनाडु की नागापट्टिनम लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद AIADMKनेता डॉ. के गोपाल सांसद हैं। उन्होंने साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर DMK नेता विजयन ए को 106, 079 वोटों से हराया था, डॉ. के गोपाल को यहां पर 434, 174 वोट मिले थे तो वहीं DMK नेता को मात्र 328,095 वोटों पर संतोष करना पड़ा था, उस साल यहां पर नंबर तीन पर CPI और नंबर चार पर PMK थी, CPI प्रत्याशी को जहां 903, 13 वोट मिले थे वहीं PMK प्रत्याशी को केवल 435,06 वोट प्राप्त हुए थे।
नागापट्टिनम लोकसभा सीट का इतिहास
इतिहास की बात करें तो तमिलनाडु की नागापट्टिनम सीट पर पहला लोकसभा चुनाव 1957 में हुआ था, जिसे कि कांग्रेस ने जीता था और तब से लेकर साल 1967 तक हुए चुनावों में कांग्रेस का ही राज इस सीट पर रहा, साल 1971 का चुनाव यहां पर CPI ने जीता और लगातार तीन बार वो ही इस सीट पर विजयी रही, साल 1980 में पहली बार यहां DMK जीती तो साल 1984 का चुनाव यहां पर AIADMK ने जीता और साल 1989 में यहां पर CPI ने चुनाव जीता है तो साल 1991 का चुनाव कांग्रेस के नाम रहा, साल 1996 और 1998 में इस सीट पर CPI ने कब्जा किया, साल 1999 के चुनाव में यहां पर DMK की वापसी हुई और साल 2004 और साल 2009 में भी यहां द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम का ही राज रहा लेकिन साल 2014 का चुनाव यहां AIADMK ने जीता और डॉ. के गोपाल यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे।
नागापट्टिनम , परिचय-प्रमुख बातें-
तमिलनाडु का नागापट्टिनम शहर अपने धार्मिक धरोहरों के लिए पूरे राज्य में प्रसिद्ध है। यह शहर नागानाडु, चोलाकुला, वल्लीपट्टिनम शिव राजधानी जैसे नामों से भी जाना जाता है। प्रारंभिक लेखकों और पुर्तगालियों ने इसे 'सिटी ऑफ कोरोमंडल' नाम से संबोधित किया था। तमिलनाडु की राजधानी चैन्नई से 320 किलोमीटर दूर स्थित इस जिले का गठन 1991 में तंजावुर जिले को काटकर किया गया था। यहां के बंदरगाह भारत के सबसे समृद्ध बंदरगाहों मे गिने जाते हैं। यहां का वेलनकन्नी ईसाईयों का प्रमुख धर्मस्थल है। बहुत सारी धार्मिक स्थलों को अपने आंचल में संजोए नागापट्टिनम शहर की कुल आबादी 16,59,773 है, जिसमें से 77.74% आबादी गांवों में और 22 प्रतिशत लोग शहरों में निवास करते हैं, यहां पर 34 प्रतिशत लोग एससी वर्ग के हैं और यह सीट SC वर्ग के लिए आरक्षित है।
के. गोपाल का लोकसभा में प्रदर्शन
डॉक्टर के. गोपाल की छवि पढ़े-लिखे नेता की है और उन्होंने जमीनी स्तर पर काफी काम भी किया है लेकिन दिसंबर 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक लोकसभा में उनकी उपस्थिति पिछले 5 सालों के दौरान 80 प्रतिशत रही है, लेकिन इस दौरान उन्होंने 37 डिबेट में भाग लिया और 302 प्रश्न पूछे हैं, उनके सवाल राज्य की बिजली, शिक्षा, इंटरनेट और उद्योग से जुड़े रहे हैं। सांसद गोपाल ने पिछले 5 सालों में अपने संसदीय क्षेत्र में काफी काम किया है, उनकी 25 करोड़ की सांसद निधि में अब उनके पास केवल 5.12 करोड़ ही बचे हैं। साल 2014 के चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 12,10,626 थी, जिसमें से केवल 9,42,202 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग यहां पर किया था, जिसमें पुरुषों की संख्या 4,54,047 और महिलाओं की संख्या 4,88,155 थी।
आंकड़ों के हिसाब से इस सीट पर सबसे ज्यादा कांग्रेस और डीएमके ने ही राज किया है लेकिन साल 2014 के चुनाव में इन दोनों ही पार्टियों का प्रदर्शऩ औसत से भी बेकार रहा था तो वहीं AIADMK ने इस सीट समेत पूरे राज्य में काफी बढ़िया प्रदर्शन किया था, तमिलनाडु की 39 लोकसभा सीटों में से 37 सीटों पर उसका कब्जा था लेकिन क्या ये ही जादू इस बार भी यहां चलेगा, वो भी तब जब मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद AIADMK मुश्किलों के दौर से गुजरी है, ये एक बड़ा सवाल है, जिसका जवाब चुनावी परिणाम देंगे। यहां आपको बता दें कि पिछले चुनाव में डीएमके और कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला था। राज्य में एनडीए का वोट शेयर 18.5% और एआईएडीएमके का 44.3% शेयर था।