लोकसभा चुनाव 2019: खजुराहो लोकसभा सीट के बारे में जानिए
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नई दिल्ली: मध्यप्रदेश की चर्चित लोकसभा सीट 'खजुराहो' से भाजपा के दिग्गज नेता नागेंद्र सिंह सांसद थे लेकिन हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने खजुराहो सीट से सांसद नागेंद्र सिंह को चुनाव में उतारा और उन्होंने जीत हासिल की, जिसके बाद ये सीट रिक्त हो गई है। छतरपुर, पन्ना और कटनी जिले तक फैला खजुराहो हमेशा से ही राजनीति का केंद्र रहा है, खजुराहो लोकसभा सीट का नाम लोकसभा चुनावों के इतिहास में अब तक बुंदेलखण्ड से सबसे ज्यादा बार महिला प्रत्याशियों को संसद में भेजने वाली सीट के रुप में दर्ज रहा है। अपने खूबसूरत मिथुन मुद्रा वाली मूर्तियों के लिए विश्वविख्यात खजुराहो, मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है, इसे प्राचीन काल में 'खजूरपुरा' और 'खजूर वाहिका' के नाम से भी जाना जाता था। यहां बहुत बड़ी संख्या में प्राचीन हिन्दू और जैन मंदिर हैं। खजुराहों की कुल जनसंख्या 25 लाख 87 हजार 685 है, जिसमें से 81 प्रतिशत आबादी गांवों में और 18 प्रतिशत जनसंख्या शहरों में निवास करती है।
साल 1957, 1962 के चुनावों में यहां कांग्रेस का राज रहा लेकिन 1977 में यहां पर भारतीय लोकदल विजयी रहा, साल 1980 के चुनावों में यहां से कांग्रेस के टिकट पर विद्यावती चतुर्वेदी ने शानदार जीत दर्ज की और उनका राज यहां पर 1984 में भी रहा लेकिन कांग्रेस के राज को 1989 में भाजपा ने खत्म किया और बीजेपी की तेज-तर्रार नेता उमा भारती ने यहां शानदार जीत दर्ज की, वो लगातार चार बार इस सीट पर सांसद रहीं लेकिन 1999 के चुनाव में एक बार फिर से यहां कांग्रेस की वापसी हुई और सत्यव्रत चतुर्वेदी यहां से एमपी बने लेकिन साल 2004 के चुनाव में यहां फिर से कमल खिला और तब से उसका यहां पर राज है, साल 2014 के चुनाव में यहां से भाजपा नेता नागेंद्र सिंह जीतकर लोकसभा पहुंचे।
नागेंद्र सिंह का लोकसभा में प्रदर्शन
लोकसभा चुनाव से पहले नागेंद्र सिंह मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे, वो केंद्र की कंप्यूटर के प्रावधान संबंधी समिति के सदस्य भी हैं, दिसबंर 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक गंभीर शैली वाले नागेंद्र सिंह की पिछले 5 सालों के दौरान लोकसभा में उपस्थिति 81 प्रतिशत रही है और इस दौरान उन्होंने मात्र 7 डिबेट में हिस्सा लिया है और एक भी प्रश्न नहीं पूछा है।
साल 2014 के चुनाव में यहां पर नंबर 2 पर कांग्रेस, नंबर 3 पर बसपा और नंबर 4 पर BSCP थी। उस साल यहां कुल वोटरों की संख्या 17,02,794 थी, जिनमें से मात्र 8,74,477 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग किया, जिनमें पुरुषों की संख्या 5,17,341 और महिलाओं की संख्या 3,57,136 थी।