लोकसभा चुनाव 2019: गुरदासपुर लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: पंजाब की गुरदासपुर लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद कांग्रेस के सुनील कुमार जाखड़ हैं। वो इस सीट से साल 2017 में हुए उपचुनाव में विजयी हुए थे। 72 साल की उम्र में एक्टर और सांसद विनोद खन्ना का निधन हो गया था । इसके बाद ये सीट खाली हो गई थी। उन्होंने साल 2014 में इस सीट से जीत हासिल की थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें 482255 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर रहे थे प्रताप सिंह बाजवा। कांग्रेस के प्रत्याशी को 340190 वोट मिले थे और इस तरीके से भाजपा गुरदासपुर की सीट को 136065 वोटों से जीत गई थी।
गुरदासपुर लोकसभा सीट का इतिहास
पिछले कई सालों से यहां भारतीय जनता पार्टी का दबदबा रहा है। विनोद खन्ना इस सीट से लगातार सांसद रहे हैं। साल 1962 के बाद यहां से चुनाव में कांग्रेस पार्टी का बोलबाला रहा। 1977 में इस सीट से पहली बार कांग्रेसी के अलावा पार्टी जीत पाई। जनता पार्टी के नेता यज्ञ दत्त शर्मा यहां से जीते। साल 1980 से 1996 तक यहां दोबारा से कांग्रेस पार्टी का कब्जा रहा। सांसद थी सुखवंत कौर। 1998 में यहां भारतीय जनता पार्टी का कब्जा हो गया और वह 2004 तक यहां सांसद रहे विनोद खन्ना। हालांकि 2009 में कांग्रेस पार्टी के प्रताप सिंह बाजवा को जीत मिली। 2014 में यह सीट दोबारा भाजपा के विनोद खन्ना ने जीत ली।
18 मई 2014 को विनोद खन्ना ने सांसद पद की शपथ ली थी। उन्होंने 7 डिबेट से भाग लिया था। कोई भी प्राइवेट मेंबर बिल संसद के पटल पर नहीं रखा था। कोई भी सवाल नहीं पूछा था और उनकी मौजूदगी रही थी 50 फीसदी। वहीं अगर मौजूदा सांसद सुनील कुमार जाखड़ की बात करें तो उन्होंने अभी तक उन्होंने 7 डिबेट्स में भाग लिया है। कोई भी प्राइवेट मेंबर बिल संसद के पटल पर नहीं रखा है। 19 सवाल पूछे हैं और संसद में उनकी उपस्थिति 87 फ़ीसदी रही है।
विनोद खन्ना को बॉलीवुड के मशहूर अभिनेताओं में गिना जाता है। काफी फिल्में करने के बाद वह राजनीति में आए और राजनीति में आए तो यहां भी वह लगातार जीते चले गए। वह भाजपा के इकलौते ऐसे नेता है जो पंजाब के गुरदासपुर सीट से सबसे ज्यादा बार जीते हैं। इस सीट से 4 बार सांसद रहे विनोद खन्ना के जाने के बाद इस सीट से भाजपा हार गई अभी देखना होगा कि 2019 में क्या भारतीय जनता पार्टी इस सीट पर दोबारा से वापसी कर पाती है या भाजपा विनोद खन्ना को यूं ही मिस करती रहेगी। यह विनोद खन्ना का ही जादू था जो 1998 में भाजपा को यहां से जीता ले गया था। शायद ही किसी ने उम्मीद की थी कि विनोद खन्ना यहां से जीत पाएंगे और जब यहां से जीत कर लोकसभा पहुंचे तो उनका स्वागत कुछ अलग ही अंदाज में किया गया था अटल बिहारी वाजपेई लालकृष्ण आडवाणी उनसे गले मिलते हुए दिखते थे वह तस्वीरें आज भी लोगों को याद हैं।
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