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लोकसभा चुनाव 2019: फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट के बारे में जानिए

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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद भाजपा के चौधरी बाबूलाल हैं। उन्होंने लोकसभा चुनाव 2014 में बसपा के कद्दावर नेता रामवीर उपाध्याय की पत्नी सीमा उपाध्याय को 173106 वोटों से हराकर ये सीट हासिल की थी। साल 2014 के चुनावों की बात करें तो इस सीट पर नंबर 2 पर बसपा, नंबर 3 पर सपा और नंबर 4 पर रालोद-कांग्रेस का गठबंधन था। उस साल यहां पर 1580582 वोटरों ने हिस्सा लिया, जिसमें 55 प्रतिशत पुरुष और 44 प्रतिशत महिलाएं शामिल थीं। इस जगह का अपना एक इतिहास है, मुगल बादशाह बाबर ने राणा सांगा को सीकरी नामक स्थान पर हराया था, आगरा से 37 किलोमीटर दूर फतेहपुर सीकरी का निर्माण मुगल सम्राट अकबर ने ही कराया था। 1570 से 1585 तक फतेहपुर सीकरी मुगल साम्राज्‍य की राजधानी भी रही थी। अपने बुलंद दरवाजा और सलीम चिश्ती की दरगाह की वजह से ये शहर हमेशा पर्यटकों और आस्था का केंद्र रहा है।

profile of Fatehpur Sikri lok sabha constituency

फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट का इतिहास

फतेहपुर सीकरी संसदीय सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी। इससे पहले इस संसदीय क्षेत्र की खेरागढ़, फतेहाबाद और बाह विधानसभा सीटें, फिरोजाबाद लोकसभा क्षेत्र और फतेहपुर सीकरी विधानसभा क्षेत्र आगरा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आती थीं। साल 2009 में यहां आम चुनाव हुए जिसे बीएसपी की सीमा उपाध्याय ने जीता और वो यहां से संसद पहुंची थीं लेकिन साल 2014 में उन्हें भाजपा के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा। उस साल यहां पर भाजपा से चौधरी बाबू लाल, बसपा से सीमा उपाध्याय, सपा से पक्षालिका सिंह ,रालोद-कांग्रेस गठबंधन से अमर सिंह और आम आदमी पार्टी से लक्ष्मी चौधरी समेत 28 प्रत्याशी मैदान में थे ,जिसमें बाजी मारी चौधरी बाबू लाल ने, अपने विवादित बयानों की वजह से हमेशा सुर्खियों में रहने वाले बाबूलाल चौधरी ने पिछले दिनों कांग्रेस के निशाने पर थे क्योंकि इन्होंने कहा था कि सर्जिकल स्ट्राइक पर सबूत मांगने वाले राहुल गांधी को क्या खुद पता है कि वो किसकी पैदाइश हैं, जिसके बाद जबरदस्त हंगामा मचा था।

चौधरी बाबूलाल का लोकसभा में प्रदर्शन

साल 1996 से 2007 के बीच दो बार चौधरी बाबूलाल उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए थे और 2002 से 2007 के बीच उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी बनाया गया था। उन्हें स्वतंत्र प्रभार मिला था, 1 सितंबर 2014 में उन्हें स्टैडिंग कमेटी ऑन फूड, कंज्यूमर अफेयर्स और पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन का सदस्य भी बनाया गया था और इस साथ ही वो रक्षा मंत्रालय के कंसल्टीव कमेटी के भी मेंबर हैं। पिछले 5 सालों के दौरान उनकी लोकसभा में उपस्थिति 95 प्रतिशत रही और इस दौरान उन्होंने 13 डिबेट में हिस्सा लिया और 25 प्रश्न पूछे हैं।

इसमें कोई शक नहीं चौधरी बाबूलाल की जीत में काफी बड़ा योगदान मोदी लहर का था, जबकि बसपा की हार के पीछे उसकी अपनी गलतियां थीं। सियासी खेल में कोई भी चीज स्थायी नही रहती है, शह और मात का खेल चलता ही रहता है इसलिए इस बार इस सीट पर भाजपा की जीत काफी हद तक इस बात पर भी निर्भर करेगी कि यहां चौधरी बाबूलाल ने कितना विकास कार्य किया है, यहां की जीत और हार में सीएम योगी फैक्टर भी शामिल होगा क्योंकि इस वक्त राज्य में भाजपा की ही सरकार है। जहां बीजेपी की पुरजोर कोशिश इस सीट को वापस जीतने की होगी वहीं दूसरी ओर विरोधी दल यहां जीतने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे लेकिन इस खेल में बाजी उसी के हाथ लगेगी जिसे जनता का प्यार और साथ मिलेगा और वो किसके साथ है, ये तो हमें और आपको चुनावी परिणाम ही बताएंगे।

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English summary
profile of Fatehpur Sikri lok sabha constituency
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