लोकसभा चुनाव 2019: बांसबाड़ा लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: राजस्थान की बांसबाड़ा लोकसभा सीट से मौजूदा सासंद भाजपा के मानशंकर निनामा हैं। उन्होंने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रेशम मालवीया को 91,916 वोटों से हराया था। साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर नंबर 2 पर कांग्रेस और नंबर 3 पर बसपा थी। बासंवाडा राजस्थान के दक्षिणी भाग में गुजरात/मध्य प्रदेश की सीमा से लगा हुआ जिला है, इसे राजस्थान का चेरापूंजी भी कहा जाता है। यहां की जनसंख्या 29,51,764 है, जिसमें 92 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में रहती है और 7 प्रतिशत लोग शहरों में निवास करते हैं।
बांसवाड़ा लोकसभा सीट में विधानसभा सीटें-
बांसवाड़ा लोकसभा सीट के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं। 1952 से 1971 तक के लगातार 5 चुनावों में कांग्रेस ने यहां पर राज किया। साल 1977 के चुनाव में यहां से जनता पार्टी जीती लेकिन 1980 और 1984 के चुनाव में यहां पर कांग्रेस का ही बोलबाला रहा। साल 1989 का चुनाव एक बार फिर जनता पार्टी के नाम रहा तो वहीं साल 1991 में एक बार फिर से यहां कांग्रेस जीती और प्रभु लाल रावत यहां से एमपी चुने गए। साल 1996, साल 1998 और साल 1999 में यहां पर कांग्रेस का ही राज रहा लेकिन साल 2004 के चुनाव में पहली बार यहां भाजपा को सफलता मिली और धन सिंह रावत यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे लेकिन साल 2009 के चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस की वापसी हुई और ताराचंद भगोरा यहां के सांसद बने लेकिन साल 2014 के चुनाव में यह सीट एक बार फिर से बीजेपी के हाथ में आ गई और मानशंकर निनामा यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे।
मानशंकर निनामा का लोकसभा में प्रदर्शन
दिसंबर 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 सालों के दौरान मानशंकर निनामा की लोकसभा में उपस्थिति 78 प्रतिशत रही है और इस दौरान उन्होंने मात्र 17 डिबेट में हिस्सा लिया है और 294 प्रश्न पूछे हैं। साल 2014 के चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 16,92,502 थी, जिसमें से मात्र 11,71,188 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग किया था। इसमें पुरुषों की संख्या 5,79,152 और महिलाओं की संख्या 5,92,036 थी। बांसवाड़ा की 94 प्रतिशत आबादी हिंदूओं की और 2 प्रतिशत मुस्लिमों की है।
बांसवाड़ा कांग्रेस का गढ़ कहा जाता था लेकिन साल 2014 के चुनाव में स्थानीय लोगों में कांग्रेस के प्रति गुस्सा था जिसका फायदा बीजेपी ने भरपूर उठाया, यही नहीं मानशंकर निनामा की जीत में मोदी लहर का भी बहुत बड़ा हाथ था जिसके चलते इस सीट पर कमल खिला था लेकिन इस वक्त सियासी समीकरण बदले हुए हैं, राज्य से भाजपा सरकार आउट हो गई है और इस वक्त सूबे में कांग्रेस का राज है तो ऐसे में क्या ये सीट फिर से बीजेपी की झोली में आएगी, यह एक बड़ा सवाल है तो वहीं विधानसभा चुनाव में मिली सफलता से कांग्रेस के अंदर जबरदस्त आत्मविश्वास है, इसमें कोई शक नहीं कि वो इस सीट पर वापसी करने के लिए हर संभव कोशिश करेगी, देखते हैं शह और मात के इस खेल में जीत किसकी होती है।