भारत बंद: RSS विचारक राकेश सिन्हा को प्रदर्शनकारी समझ नोएडा पुलिस ने हिरासत में लिया, फिर छोड़ा
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक और दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर राकेश सिन्हा को आज उत्तर प्रदेश की नोएडा पुलिस ने हिरासत में ले लिया। राकेश सिन्हा ने मीडिया को जानकारी दी कि वो नोएड स्थित मीडिया हाउस के दफ्तर एक पैनल डिस्कशन के लिए जा रहे थे। इसी दौरान पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। उन्हें हिरासत में लेने वाली 8 लोगों की टीम का नेतृत्व SHO नोएडा कर रहे थे। राकेश ने बताया कि सभी पुलिस वाले गंदी भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे। जब उन्होंने पूछा कि हिरासत में क्यों लिया है तो पुलिस वालों ने उनसे जाने के लिए कह दिया। राकेश ने बताया कि पुलिस ने उन्हें दलित प्रदर्शनकारी समझ कर हिरासत में लिया था। उन्होंने पुलिस से अपील की कि वो मानवाधिकार और एक व्यक्ति की इज्जत का ख्याल जरूर रखें।
बता दें कि RSS ने भारत बंद के दौरान हुई हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। आरएसएस के सह सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा है कि एससी- एसटी एट्रोसिटीज एक्ट के उपयोग पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गए निर्णय पर हो रही हिंसा दुर्भाग्यपूर्ण है। कोर्ट के निर्णय की आड़ में जिस प्रकार से संघ के बारे में विषैला दुष्प्रचार करने का प्रयास किया जा रहा है, वह आधारहीन व निंदनीय है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का न्यायालय के इस निर्णय से कोई संबंध नहीं।
एससी-एसटी ऐक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दलित संगठनों के सोमवार को बुलाए भारत बंद के दौरान हुई हिंसा पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने दुख जताया है। सह सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा कि जाति के आधार पर किसी भी भेदभाव अथवा अत्याचार का संघ सदा से विरोध करता है। इस प्रकार के अत्याचारों को रोकने के लिए बनाये गये क़ानूनों का कठोरता से परिपालन होना चाहिए। शीर्ष कोर्ट द्वारा दिये हुए इस निर्णय से असहमति प्रकट करते हुए केंद्र सरकार ने जो पुनर्विचार याचिका दायर करने का निर्णय किया है, वह उचित है।
सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बीजेपी और संघ पर दलितों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया था। राहुल ने ट्वीट में लिखा, 'दलितों को भारतीय समाज के सबसे निचले पायदान पर रखना आरएसएस-बीजेपी के डीएनए में है, जो इस सोच को चुनौती देता है उसे वे हिंसा से दबाते हैं। हजारों दलित भाई-बहन आज सड़कों पर उतरकर मोदी सरकार से अपने अधिकारों की रक्षा की मांग कर रहे हैं।'
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