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प्रियंका गांधी को यूपी में उतार क्या राहुल ने आसान की मोदी की वापसी की राह?

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Rahul Gandhi का यूपी में बड़ा दांव, Priyanka Gandhi को सौंपी ये बड़ी जिम्मेदारी | वनइंडिया हिंदी

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव को देखते कांग्रेस ने चुनाव के लिए प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभार दिया है, उन्हें पार्टी महासचिव भी बनाया गया है। प्रियंका गांधी के राजनीति में आने को लेकर किए जाने वाले सवाल को कांग्रेस लंबे वक्त से टाल रही थी लेकिन अब पार्टी ने प्रियंका को आगे करते हुए जिम्मेदारी दी है। कांग्रेस 2019 में कोई कसर नहीं रखना चाहती इसलिए उसने ये बड़ा दांव खेला है लेकिन ऐसे भी कई वजह हैं जो इशारा करती हैं कि ये दांव उल्टा भी पड़ सकता है।

प्रियंका को लाने की वजह

प्रियंका को लाने की वजह

किसी भी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में जिस पार्टी को बढ़त मिलती है अमूमन उसकी स्थिति लोकसभा में बेहतर रहती है। कांग्रेस को उम्मीद थी कि वो यहां सपा और बसपा के साथ लड़ेगी लेकिन इन दोनों दलों में गठबंधन के बाद अकेली है। ऐसा कहा जा रहा है कि कांग्रेस अकेले फिर दो सीटों तक ही सीमित रह सकती है। इसलिए राहुल गांधी और कांग्रेस किसी भी सूरत में यूपी में लड़ाई से बाहर नहीं होने चाहते हैं, वो कह चुके हैं कि हम फ्रंट फुट पर खेलेंगे। इसी को देखते हुए प्रियंका की एंट्री हुई है। प्रियंका के चुनाव प्रचार में आने से पूर्व में कई सीटों पर फर्क पड़ने की उम्मीद है।

गठबंधन को नुकसान, भाजपा को फायदा हो सकता है!

गठबंधन को नुकसान, भाजपा को फायदा हो सकता है!

लोकसभा चुनावों से ठीक पहले प्रियंका गांधी को यूपी की राजनीति में उतारना भाजपा से ज्यादा सपा बसपा गठबंधन को नुकसान पहुंचा सकता है। जैसा कि कई विषेशज्ञ कह रहे हैं कि पूर्व की कम से कम एक दर्जन सीटों पर प्रियंका गांधी असर पैदा करेंगी। जाहिर है कि अमेठी-रायबरेली को छोड़ शायद की अभी कोई ऐसी सीट दिख रही है, जहां मुकाबला कांग्रेस और भाजपा या कांग्रेस और गठबंधन में हो।

जाहिर है मुकाबला गठबंधन और भाजपा के बीच होगा तो कांग्रेस के उम्मीदवार पर जीत से ज्यादा से नजरें रहेंगी कि वो किस ओर की वोट ज्यादा ले रहा है। वो किसे नुकसान और किसे फायदा पहुंचाएगा। कांग्रेस का सबसे मजबूत वोटबैंक अगड़ी जाति (खासकर ब्राह्मण) माना जाता है। ऐसे में माना जा रहा है कि उसके उम्मीदवार से भाजपा को नुकसान होगा लेकिन इस चुनाव में मुद्दों को देखते हुए लग रहा है कि इससे भाजपा को कम गठबंधन को ज्यादा नुकसान होगा।

सवर्ण आरक्षण से अगड़ी जातियों में भाजपा मजबूत

सवर्ण आरक्षण से अगड़ी जातियों में भाजपा मजबूत

हाल के दिनों में खासतौर से सवर्णों के लिए आर्थिक आधार पर आरक्षण की घोषणा के बाद अगड़ा जातियां भाजपा के पीछे नजर आ रही हैं। हाल फिलहाल में ये लगता भी नहीं कि इन जातियों का भाजपा से मोहभंग होने वाला है। भाजपा इस मुद्दे को चुनाव में भी भुनाने के मूड में दिख रही है। ऐसे में इस वौटबैंक में प्रियंका सेंध लगा पाएं ये मुश्किल लग रहा है।

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दलित, मुस्लिम, पिछड़े वोट अपनी ओर लाएंगी प्रियंका!

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वहीं गठबंधन का वौटबैंक, जिसमें दलित, पिछड़े और मुसलमान आते हैं। इन पर प्रियंका जरूर असर डाल सकती हैं। प्रियंका का चुनाव प्रचार का स्टाइल जिन लोगों ने देखा है वो जानते हैं कि वो अकसर गाड़ी से उतरकर बस्तियों में चली जाती हैं और महिलाओं के साथ बैठ जाती हैं। ऐसे में अमूमन वो दलितों या गरीब इलाकों में ज्यादा करती हैं। ऐसे में उनका ये चुनाव प्रचार का अंदाज दलित पिछडों के वोट कांग्रेस की तरफ लाता है तो हो सकता है कि उनका कैंडिडेट भले ना जीते लेकिन गठबंधन की हार हो जाए।

किसान गरीब की बात कर रहे राहुल

किसान गरीब की बात कर रहे राहुल

हाल के दिनों में हुए विधानसभा चुनाव हों या दूसरे मौकों पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के भाषण हों। इस सबमें उन्होंने किसानों की समस्याएं और बेरोजगारी को मुद्दा बनाया है तो मोदी को बड़े कारोबारियों को दोस्त बताया है। बेरोजगारी से परेशान युवाओं और किसानों को भाजपा से नाराज भी माना जा रहा है। जाहिर है लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस इसे मुद्दा बनाएगी। वहीं सपा और बसपा भी इन मुद्दों को उठाएंगे तो एक तरह से दोनों का टारगेट वोटर एक जैसा है। इससे बहुत मुमकिन है कि कुछ सीटों पर प्रियंका का प्रभाव कांग्रेस को मजबूत करे और त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा को जीत मिल जाए। ऐसे में राहुल गांधी और कांग्रेस के 2019 में भाजपा के रोकने की कोशिशों को भी झटका लग सकता है, इसलिए ये दांव एक तरह से कांग्रेस के लिए उल्टा भी पड़ सकता है।

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English summary
priyanka gandhi as congress general secretary impact loksabha election 2019 uttar pradesh
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