रामनाथ कोविंद या मीरा कुमार, राष्ट्रपति कोई भी बने, कानपुर का जिक्र हमेशा होगा
नई दिल्ली। अब से थोड़ी देर बाद इस देश को पता लग जाएगा कि राष्ट्रपति के तौर पर कौन इस पद की शोभा बढ़ाने वाला है। इस बार मैदान में बीजेपी के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद और कांग्रेस की उम्मीदवार मीरा कुमार आमने-सामने हैं। हालांकि सभी लोग बीजेपी के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद की जीत तय मान रहे हैं। जीत किसी की भी हो लेकिन इस जीत के साथ ही उत्तर प्रदेश की इंडस्ट्रीयल सिटी कानपुर का जिक्र भी अगले पांच वर्षों तक होता रहेगा। इस बार मैदान में दोनों ही उम्मीदवारों का कभी 'मैनचेस्टर ऑफ ईस्ट' कहे जाने वाले कानपुर से करीबी नाता है।
पड़ोसी कर रहे नतीजों का इंतजार
71 वर्ष के रामनाथ कोविंद का जन्म जहां कानपुर देहात में हुआ तो वहीं आज उनका घर कानपुर के कल्याणपुर में हैं। बेहद साधारण परिवार से आने वाले कोविंद को जब उम्मीदवार घोषित किया गया तो उस समय वह बिहार के राज्यपाल थे। कोविंद के कई करीबी रिश्तेदार भी कानपुर में ही रहते हैं।
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अच्छे स्वभाव वाले रामनाथ कोविंद
रामनाथ कोविंद का घर कल्याणपुर के महर्षि दयानन्द विहार में हैं। उनके पड़ोसी उन्हें ऐसे सौम्य और मृदुभाषी व्यक्ति के रूप में जानते हैं, जो सभी को साथ लेकर चलने में निवास करता है। कुछ माह पहले कोविंद और उनकी पत्नी सविता अपनी कॉलोनी में आए थे।
तीन बार हुई घर में चोरी
उनकी पड़ोसी कुसुमा राठौर कोविंद के इसी कॉलोनी में मिनी एचआईजी घर की देखभाल करती हैं। उनकी मानें तो कुछ वर्ष पहले ही यह घर बनकर तैयार हुआ है लेकिन इसमें तीन बार चोर हो चुकी है। वहीं एक और पड़ोसी देवेंद्र जुनेजा भी उन्हें याद करते हैं। जुनेजा आरएसएस के शाखा के दिनों से कोविंद के साथी रहे हैं।
मीरा कुमार ने भी किया कानपुर का जिक्र
जिस हिसाब से स्थिति बन रही है और जिस तरह से समर्थन मिल रहा है, उस हिसाब से कोविंद ही देश के राष्ट्रपति होंगे इस बात की पूरी संभावना नजर आ रही है। वर्ष 2006 से 2008 तक राज्यसभा के सदस्य रहे कोविंद के पीआर अशोक त्रिवेदी के मुताबिक कोविंद जी बहुत साधारण परिवार से हैं और कड़ी मेहनत एवं समर्पण के बल पर यहां तक पहुंचे हैं।
मीरा कुमार का ननिहाल कानपुर में
दूसरी ओर, राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार का ननिहाल कानपुर में है। मीरा कुमार की मां इंद्राणी देवी भी कानपुर से थीं और वह एक स्वतंत्रता सेनानी रह चुकी थीं। पिछले शुक्रवार को लखनऊ आई मीरा कुमार प्रदेश के साथ अपने रिश्ते बताने के दौरान अपने ननिहाल का जिक्र करना नहीं भूलीं।
पहले भी कानपुर से रहा राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार
वर्ष 2002 में कानपुर की ही लक्ष्मी सहगल भी राष्ट्रपति का चुनाव लड़ चुकी हैं। लक्ष्मी सहगल, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की आजाद हिन्द फौज में थीं। उन्हें भाकपा, माकपा, रेवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी तथा ऑल इण्डिया फॉरवर्ड ब्लॉक ने मुख्य रूप से समर्थन दिया था। उस चुनाव में राजग के प्रत्याशी डाक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को नौ लाख 22 हजार 884 जबकि लक्ष्मी को एक लाख सात हजार 366 वोट मिले थे।