पीएम मोदी ने 'मन की बात' में जिस Bio-Village और टेराकोटा Tea Cups के बारे में बताया, जानिए उनके बारे में
Mann ki Baat Today: रेडियो पर रविवार 30 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक 'मन की बात' कार्यक्रम का प्रसारण हुआ है। इसके जरिए पीएम मोदी ने एक बार फिर से इको-फ्रेंडली लाइफस्टाइल और प्रकृति के संरक्षण पर जोर दिया है। प्रधानमंत्री ने कई उदाहरणों के जरिए बताया कि भारतीय समाज कैसे पर्यावर्ण के संरक्षण के प्रति हमेशा से संवेदनशील रहा है और यह चीज उसे विरासत में मिली हुई है। इसके साथ ही उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के साथ चलने वाले कुछ लोगों और उनके सराहनीय कार्यों का जिक्र करते हुए देशवासियों से उसपर ध्यान देने का आग्रह किया है।
20 साल में जंगल को खूबसूरत बना दिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में कहा है कि 'पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता, हमारे समाज के कण-कण में समाहित है और इसे हम अपनी चारों ओर महसूस कर सकते हैं। देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं है, जो पर्यावरण की रक्षा के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर देते हैं।' इस संबंध में उन्होंने पहले कर्नाटक के बेंगलुरु निवासी सुरेश कुमार का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण के जुनून को लेकर उन्होंने 20 साल पहले जो कदम उठाया था, उसकी वजह से जंगल इतना खूबसूरत हो गया है कि किसी को भी मोहित कर लेता है। उन्होंने कहा कि '20 वर्ष पहले उन्होंने शहर के सहकारनगर के एक जंगल को दोबारा से हरा-भरा करने का बीड़ा उठाया था। काम मुश्किल था, लेकिन, 20 साल पहले लगाए गए वे पौधे आज 40-40 फीट ऊंचे विशाल वृक्ष बन चुके हैं, जिसकी सुंदरता किसी का भी मन मोह लेती है। इससे वहां रहने वाले लोगों को बहुत ही गर्व की अनुभूति होती है। '
आदिवासी महिलाओं ने तैयार किए इको-फ्रेंडली टेराकोटा टी कप
फिर प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु में आदिवासी महिलाओं के एक ग्रुप का उदाहरण देकर समझाया है। पीएम मोदी ने यह माना है कि लोगों में आज इको-फ्रेंडली लिविंग और इको-फ्रेंडली उत्पादों को लेकर जागरूकता कहीं ज्यादा बढ़ चुकी है। उन्होंने इस दिशा में तमिलनाडु के कोयंबटूर के अनाईकट्टी की आदिवासी महिलाओं के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, 'इन महिलाओं ने निर्यात के लिए दस हजार इको-फ्रेंडली टेराकोटा टी कप्स का निर्माण किया। कमाल की बात तो ये है की टेराकोटा टी कप्स बनाने की पूरी जिम्मेदारी इन महिलाओं ने खुद ही उठाई। क्ले मिक्सिंग से लेकर फाइनल पैकेजिंग तक के सारे काम खुद ही किए।' प्रधानमंत्री बोले कि इन आदिवासी महिलाओं की कोशिशों की जितनी भी तारीफ की जाए, वह कम है।
त्रिपुरा के बायो-विलेज 2 में क्या हुआ ?
प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अभियान में त्रिपुरा के बायो-विलेज ने जो सीख दिए हैं, वह बहुत ही अच्छे हैं। पीएम मोदी के मुताबिक हालांकि, त्रिपुरा के कुछ गांव तो अब बायो-विलेज 2 के स्तर पर पहुंच चुके हैं। इनके बारे में उन्होंने कहा है कि 'बायो-विलेज-2 में इस बात पर जोर रहता है कि प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कैसे कम से कम किया जाए। इसमें विभिन्न उपायों से लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने पर पूरा ध्यान दिया जाता है। सोलर एनर्जी, बायोगैस, बी कीपिंग और बायो फर्टिलाइजर्स, इन सब पर पूरा फोकस रहता है। '
मिशन लाइफ को समझने और अपनाने का आग्रह
प्रधानमंत्री का कहना है बायो-विलेज 2 एक तरह से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जारी अभियान को मजबूत करेंगे। उन्होंने देश भर में पर्यावरण संरक्षण को लेकर बढ़े उत्साह पर भी खुशी जाहिर की है। उन्होंने ये भी कहा है कि ' कुछ दिन पहले ही, भारत में पर्यावरण की रक्षा के लिए समर्पित मिशन लाइफ को भी लॉन्च किया गया है। मिशन लाइफ का सीधा सिद्धांत है, ऐसी जीवन शैली, ऐसी लाइफस्टाइल को बढ़ावा, जो पर्यावरण को नुकसान ना पहुंचाए।' उन्होंने अपने कार्यक्रम के माध्यम से देशवासियों से मिशन लाइफ को समझने और अपनाने का आग्रह भी किया है।(ऊपर की तस्वीरें सौजन्य-नरेंद्र मोदी ट्विटर हैंडल पर उपलब्ध आकाशवाणी वीडियो से)
छठ महापर्व की शुभकामनाओं के साथ शुरुआत
दरअसल, पीएम मोदी ने रविवार के मन की बात की शुरुआत ही महाव्रत छठ की शुभकामनाओं के साथ की, जो बेजोड़ आस्था का त्योहार होने के साथ ही प्रकृति से अटूट रूप से जुड़ा हुआ महापर्व है। प्रधानमंत्री ने कहा है, 'सूर्य उपासना की परंपरा इस बात का प्रमाण है कि हमारी संस्कृति, हमारी आस्था का प्रकृति से कितना गहरा जुड़ाव है। इस पूजा के जरिए हमारे जीवन में सूर्य के प्रकाश का महत्त्व समझाया गया है।'