पीएम मोदी ने बिहार को दी सात परियोजनाओं की सौगात, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया शिलान्यास
नई दिल्ली। बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राज्य के लिए सात परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बिहार की जनता को शहरी विकास से जुड़ी 545 करोड़ की परियोजनाओं की सौगात दी है। इनमें से चार जल आपूर्ति, दो सीवरेज ट्रीटमेंट और एक रिवरफ्रंट विकास से संबंधित हैं। बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के पहले ही पीएम मोदी के 6 कार्यक्रमों का ऐलान कर दिया गया था, मंगलवार को आयोजित किया गया यह तीसरा कार्यक्रम है।
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Engineers
Day
पर
रखी
नींव
जानकारी
के
मुताबिक
आने
वाले
दिनों
में
18,21
और
23
सितंबर
को
पीएम
मोदी
बिहार
के
लिए
और
तीन
कार्यक्रमों
का
संबोधित
करेंगे।
वहीं
चुनाव
से
पहले
पीएम
मोदी
वीडियो
कॉन्फ्रेंस
के
जरिए
दो
दर्जन
से
अधिक
चुनावी
रैलियों
में
बिहार
की
जनता
को
संबोधित
कर
सकते
हैं।
पीएम
मोदी
ने
खुद
ट्वीट
कर
आज
के
कार्यक्रम
की
जानकारी
दी
थी।
इस
दौरान
पीएम
मोदी
ने
कहा,
'आज
का
ये
कार्यक्रम,
एक
विशेष
दिन
पर
हो
रहा
है।
आज
हम
Engineers
Day
मनाते
हैं।
ये
दिन
देश
के
महान
इंजीनियर
एम
विश्वेश्वरैया
जी
की
जन्म-जयंती
का
है,
उन्हीं
की
स्मृति
को
समर्पित
है।'
भारतीय
इंजीनियरों
की
दुनिया
में
एक
अलग
ही
पहचान
प्रधानमंत्री
ने
आगे
कहा,
'हमारे
भारतीय
इंजीनियरों
ने
हमारे
देश
के
निर्माण
में
और
दुनिया
के
निर्माण
में
भी
अभूतपूर्व
योगदान
किया
है।
चाहे
काम
को
लेकर
समर्पण
हो,
या
बारीक
नज़र,
भारतीय
इंजीनियरों
की
दुनिया
में
एक
अलग
ही
पहचान
है।
हमें
गर्व
है
कि
हमारे
इंजीनियर
देश
के
विकास
को
मजबूती
से
आगे
बढ़ा
रहे
हैं।
बिहार
तो
देश
के
विकास
को
नई
ऊंचाई
देने
वाले
लाखों
इंजीनियर
देता
है।
बिहार
की
धरती
तो
आविष्कार
और
इनोवेशन
की
पर्याय
रही
है।
बिहार
के
कितने
ही
बेटे
हर
साल
देश
के
सबसे
बड़े
इंजीन्यरिंग
संस्थानों
में
पहुँचते
हैं,
अपनी
चमक
बिखेरते
हैं।'
वोटबैंक
का
तंत्र
सिस्टम
को
दबाने
लगता
है
पीएम
मोदी
आगे
कहते
हैं,
एक
दौर
ऐसा
आया,
जब
बिहार
में
मूल
सुविधाओं
के
निर्माण
के
बजाय,
प्राथमिकताएं
और
प्रतिबद्धतताएं
बदल
गईं।
राज्य
में
गवर्नेंस
से
फोकस
ही
हट
गया।
इसका
परिणाम
ये
हुआ
कि
बिहार
के
गांव
पिछड़ते
गए
और
जो
शहर
कभी
समृद्धि
का
प्रतीक
थे,
उनका
इंफ्रास्ट्रक्चर
अपग्रेड
हो
ही
नहीं
पाया।
सड़कें
हो,
गलियां
हों,
पीने
का
पानी
हो,
सीवरेज
हो,
ऐसी
अनेक
मूल
समस्याओं
को
या
तो
टाल
दिया
गया
या
फिर
जब
भी
इनसे
जुड़े
काम
हुए
वो
घोटालों
की
भेंट
चढ़
गए।
जब
शासन
पर
स्वार्थनीति
हावी
हो
जाती
है,
वोटबैंक
का
तंत्र
सिस्टम
को
दबाने
लगता
है,
तो
सबसे
ज्यादा
असर
समाज
के
उस
वर्ग
को
पड़ता
है,
जो
प्रताड़ित
है,
वंचित
है,
शोषित
है।
बिहार
के
लोगों
ने
इस
दर्द
को
दशकों
तक
सहा
है।'
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