बॉम्बे हाईकोर्ट ने पाइरेटेड मूवी देखने वालों के लिए की यह बड़ी टिप्पणी
मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी भी फिल्म की अवैध कॉपी को देखना गुनाह नहीं माना जाएगा। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी फिल्म की अवैध कॉपी को देखना भर कॉपीराइट एक्ट के तहत दंडनीय अपराध नहीं होता है।
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देखना नहीं, बेचना है अपराध
इस मामले पर जस्टिस गौतम पटेल ने कहा,'फिल्म की अवैध कॉपी देखना गुनाह नहीं है लेकिन कॉपीराइड वाली सामग्री का वितरण, उसका सार्वजनिक प्रदर्शन या फिर बिना परमिशन के बेचना या खरीदना अपराध की श्रेणी में आता है।'
इसके साथ ही उन्होंने इंटरनेट मुहैया कराने वाली कंपनियों को भी कहा है कि वे किसी ब्लॉक किए गए यूआरएल तक पहुंचने की कोशिश करते वक्त फ्लैश होने वाले 'एरर मैसेज' में बदलाव करें।
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यह टिप्पणी की है कोर्ट ने
आपको बता दें कि एरर मैसेज में लिखा होता है कि,'फिल्म को देखना, डाउनलोड करना, प्रदर्शित करना या उसकी कॉपी बनाना दंडनीय अपराध है।' हाईकोर्ट इस मैसेज में कुछ अन्य डीटेल्स के साथ इसमें पर्याप्त विवरण और व्यापकता चाहता है। यह टिप्पणी कोर्ट ने 30 अगस्त 2016 को की थी।
एरर मैसेज दिखाना जरूरी
इससे पहले फिल्म 'ढिशुम' के निर्माताओं की तरफ से आॅनलाइन पाइरेसी के खिलाफ याचिक दायर हुई थी। इसको संज्ञान में लेते हुए कोर्ट ने इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियों से कई यूआरएल ब्लॉक करने को कहा था। लेकिन इसके साथ ही 'एरर मैसेज' भी शो करना जरूरी था।
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ऐसा इसलिए किया गया था ताकि जो ई-कॉमर्स वेबसाइट जैनुइन हैं, उनका बिजनेस प्रभावित न हो। इसपर इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियों ने सॉफ्टवेर की सीमाओं की लिमिट का हवाला दिया था।