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'यौन शोषण के झूठे केस ट्रेंड बनते जा रहे', दिल्ली हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों पर लगाया जुर्माना

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नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न की धाराओं में केस दर्ज कराना एक ट्रेंड बनता जा रहा है। कोर्ट ने इसका इस्तेमाल अक्सर दूसरी पार्टी से शिकायत वापस लेने से मजबूर करने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही कोर्ट ने केस खत्म करवाने आई दोनों पार्टियों पर 30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।

Delhi High Court

न्यायमूर्ति सुब्रण्यम प्रसाद ने कहा "आईपीसी के सेक्शन 354, 354ए, 354बी, 354सी, 354डी के अंदर हुए अपराध गंभीर अपराध हैं। इन आरोपों से उस व्यक्ति की छवि धूमिल होती है जिस पर ये आरोप लगाए जाते हैं। इन आरोपों को ऐसे ही हवा में नहीं लगाया जा सकता।"

कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग- हाईकोर्ट
इसे कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करार देते हुए अदालत ने कहा कि "पुलिस बल बहुत सीमित है और उन्हें फालतू मामलों की जांच में समय बिताना पड़ता है। 'उन्हें (पुलिस) अदालती कार्यवाही में शामिल होना, स्टेटस रिपोर्ट इत्यादि तैयार करनी होती है। यही वजह है कि गंभीर अपराधों की जांच प्रभावित होती है और अभियुक्त बच जाते हैं।" कोर्ट ने कहा 'उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का समय आ गया है जो आईपीसी की इन धाराओं के तहत झूठी शिकायत दर्ज करते हैं।"

अदालत ने वसंत कुंज के कुछ निवासियों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ दायर एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली याचिकाओं में आदेश पारित किया है। आम दोस्तों, रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों के हस्तक्षेप के बाद पार्टियां समझौता करने पहुंची थीं। आपसी समझौता करने के कारण, अदालत ने निवासियों द्वारा दायर दो याचिकाओं में 30,000 रुपये की लागत लगाई और उन्हें झूठे और तुच्छ मामलों को दर्ज न करने की चेतावनी दी।

क्या था मामला ?
अदालत ने ये आदेश दिल्ली के वसंत कुंज इलाके के दो पक्षों द्वारा एक दूसरे के खिलाफ दायर एफआईआर को रद्द करने वाली मांग करने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान दिया। दोनों पार्टियों ने कहा था कि वह दोस्तों, रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों के हस्तक्षेप के चलते समझौता करने पर सहमत हैं। अदालत ने दोनों पक्षों पर 30 हजार रुपये लॉयर्स सोशल सिक्योरिटी एंट वेलफेयर फंड में जमा करने को कहा और उन्हें इस तरह के झूठे और घृणित आरोप दोबारा न लगाने की चेतावनी दी।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा "ताजा मामला एक क्लासिक उदाहरण है कि कैसे धारा 354 और 354A के झूटे आरोपों को एक-दूसरे के खिलाफ पार्टियों द्वारा लगाया जाता है। जहां पार्किंग के संबंध में एक छोटी सी लड़ाई को महिलाओं की अस्मिता के अपमान का मामला बना दिया गया।"

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English summary
sexual harassment fake cases becoming a trend said delhi high court
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