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उत्‍तराखंड के बाद जम्‍मू कश्‍मीर बना है लापरवाही का सुबूत

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श्रीनगर। जम्‍मू कश्‍मीर पिछले 60 वर्षों में सामने आई सबसे बड़ी त्रासदी का सामना कर रहा है। लोग जहां तहां पानी में फंसे हुए हैं और अभी भी चार लाख लोगों की जान बचाई जानी है।

Jammu-Kashmir-flood-alert

सेना और एयरफोर्स के साथ ही एनडीआरएफ की टीमें अपना काम कर रही हैं। लेकिन इस बीच एक ऐसी बात भी सामने आ रही है कि अगर राज्‍य सरकार चाहती तो वह इस त्रासदी से लोगों को बचा सकती थी। एक ऐसा सच सामने आया है जिसने राज्‍य सरकार के साथ ही देश की अथॉरिटीज की पोल खोल कर रख दी है।

अलर्ट की लिस्‍ट से गायब जम्‍मू कश्‍मीर

सेंट्रल वॉटर कमीशन (सीडब्‍ल्‍यूसी) जिसने उत्‍तराखंड में आई त्रासदी के बाद राज्‍यों के लिए बाढ़ अलर्ट जारी करने की जिम्‍मेदारी ली थी, उसके अलर्ट की लिस्‍ट में जम्‍मू-कश्‍मीर का नाम ही नहीं है।

आपको बता दें कि यह देश की एकमात्र संस्‍था है जो बाढ़ से जुड़े अलर्ट जारी करती है। जम्‍मू कश्‍मीर इस समय इतिहास की सबसे खतरनाक बाढ़ त्रासदी का सामना करने को मजबूर है।

साइट पर उन राज्‍यों से जुड़ी इस समय भी मौजूद हैं जहां पर बाढ़ का खतरा बरकरार है लेकिन यहां पर जम्‍मू-कश्‍मीर का नाम गायब है। इस संस्‍था की ओर से छह सितंबर को 18 स्‍तरीय चेतावनियां और आठ इनफ्लो अलर्ट्स जारी किए गए थे।

हैरानी की बात है उस समय भी जम्‍मू-कश्‍मीर का नाम लिस्‍ट से गायब था। आपको बता दें कि रविवार यानी सात सितंबर से पूरी घाटी में हालात बेकाबू होने शुरू हो गए हैं।

साइट पर कोई जानकारी तक नहीं

सिर्फ इतना ही इस संस्‍था की साइट पर अलग-अलग नदियों के लिए हाइड्रोग्राफ्स देखने का भी विकल्‍प है और साइट पर जाकर जब हमने इस पर क्लिक किया तो हम हैरान रह गए।

जिस झेलम ने पूरी घाटी में उत्‍पात मचाकर रखा है, उसका जिक्र ही तक नहीं था।

सिर्फ इतना ही नहीं साइट पर मैप आधारित और लिस्‍ट आधारित बाढ़ से जुड़ी जानकारियां देखने का भी विकल्‍प है। यहां से भी जम्‍मू-कश्‍मीर का नाम पूरी तरह से गायब है। यह हालात तब हैं जबकि मौसम विभाग की ओर से पूरे राज्‍य में भारी बारिश की चेतावनी जारी कर दी गई थी।

मौसम विभाग की साइट पर छह सितंबर 2014 को इस बात की जानकारी दी गई थी कि राज्‍य में अगले कुछ घंटों में क रीब 558 मि‍मी बारिश हो सकती है। इसे विभाग की ओर से 'एक्‍सेस रेनफॉल' की श्रेणी में रखा गया है।

मौसम विभाग ने तीन सिंतबर को राज्‍य में 308 मिमी बारिश की संभावना जताई थी।

अभी तक नहीं लिया कोई सबक

विशेषज्ञों ने इस बात पर हैरानी जाहिर की है कि सीडब्‍ल्‍यूसी जो कि केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के तहत कार्य करता है, इतनी बड़ी चूक कर सकता है। उनका कहना है कि इस त्रासदी के इतना विकराल हो जाने के बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई इस संस्‍था की ओर से नहीं की गई है।

वहीं यह बात अब यह साबित करने के लिए काफी है कि देश का आपदा प्रबंधन तंत्र किस हद तक लापरवाह है और पिछले वर्ष उत्‍तराखंड में आई आफत के बाद अभी तक सबक नहीं लिया गया है।

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English summary
People of Jammu and Kashmir could have been saved from the worst flood of 60 years. It is a very shocking fact that Jammu kashmir's name is still missing from the flood forecast list.
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