कोविड में बच्चों के तनाव और भावना को समझें परिजन, पढ़ें डॉक्टर की अहम सलाह
नई दिल्ली,जुलाई 23; बच्चों के कोविड को लेकर अभिभावकों के मन में कई तरह के सवाल हैं। लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक्स विभाग के निदेशक डॉ. प्रवीन कुमार कोविड ने बताया कि पहली और दूसरी लहर ने किस तरह बच्चों को प्रभावित किया है और बच्चों को कैसे सुरक्षित रखने की जरूरत है। डॉ. प्रवीन कुमार के साथ हुई, उनसे विस्तृत बातचीत के प्रमुख अंश-
प्रश्न- कोविड ने बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को किस तरह प्रभावित किया है? महामारी क दीर्घ कालीन प्रभाव को कम करने के लिए क्या किया जाना चाहिए?
उत्तर-
महामारी
का
बच्चों
के
मानसिक
और
शारीरिक
स्वास्थ्य
पर
गंभीर
असर
पड़ा
है।
बच्चे
एक
साल
से
भी
अधिक
समय
से
घरों
में
कैद
हैं,
परिवारों
में
बीमारी
का
माहौल,
परिजनों
के
रोजगार
छूटना,
इलाज
पर
खर्च
आदि
की
वजह
से
तनाव
बढ़
गया
है।
जिसका
असर
बच्चों
के
भी
मानसिक
स्वास्थ्य
पर
पड़ा
है,
बच्चे
अपने
तनाव
को
व्यवहार
के
माध्यम
से
प्रदर्शित
कर
सकते
हैं,
इस
संदर्भ
में
सभी
बच्चों
का
व्यवहार
एक
दूसरे
से
अलग
होता
है।
तनावग्रसित
होने
पर
कुछ
बच्चे
बेहद
शांत
हो
जाते
हैं,
जबकि
कुछ
बच्चे
हाईपर
एक्टिव
या
फिर
गुस्सैल
हो
जाते
हैं।
बच्चों
की
देखभाल
करने
वाले
व्यक्ति
को
धैर्य
पूर्वक
उनकी
बात
सुननी
चाहिए
और
उनकी
भावनाओं
को
समझना
चाहिए।
छोटे
बच्चों
के
तनाव
के
लक्षणों
को
पहचानने
की
कोशिश
करें,
जो
अत्यधिक
चिंता
या
उदासी
हो
सकता
है,
बहुत
अधिक
सोना,
अस्वास्थ्यकर
भोजन,
ध्यान
और
एकाग्रता
में
कमी
होना
आदि
लक्षण
हो
सकते
हैं।
बच्चों
को
तनाव
से
उबारने
के
लिए
परिवार
को
उनका
सहयोग
करना
चाहिए।
इस
संदर्भ
में
परिवार
की
भूमिका
अहम
मानी
जाती
है
कि
वह
बच्चे
के
किसी
भी
तरह
के
व्यवहार
पर
प्रतिक्रिया
देने
से
पहले
उसकी
भावनाओं
को
समझें।
प्रश्न- आपको क्या लगता है कि भविष्य में आने वाली कोविड की संभावित लहरों से बच्चे अधिक प्रभावित होगें, बच्चों को प्रभावित करने वाली कोविड की तीसरी लहर से मुकाबला करने के लिए देश को किस तरह की तैयारियों की जरूरत है, जिससे बच्चों को बेहतर गुणवत्तापरक इलाज उपलब्ध हो सके?
उत्तर-
जैसा
कि
हम
सभी
को
पता
है
कि
कोविड
एक
नया
वायरस
है
जिसमें
म्यूटेट
होने
की
क्षमता
है।
भविष्य
में
आने
वाली
कोविड
की
लहरें
बच्चों
को
कितना
अधिक
गंभीर
रूप
से
प्रभावित
करेंगी
या
नहीं
करेगी
इस
पर
अभी
केवल
कयास
ही
लगाया
जा
सकता
है।
ऐसा
विशेषज्ञों
का
अनुमान
है
कि
तीसरी
लहर
बच्चों
को
प्रभावित
करेगी,
लेकिन
अगले
कुछ
महीनों
में
अधिक
संख्या
में
बड़े
यदि
कोविड
वैक्सीन
लगवा
लेते
हैं
तो
संक्रमण
के
गंभीर
खतरों
को
कम
किया
जा
सकता
है।
जबकि
बच्चों
के
लिए
अभी
हमारे
पास
कोई
भी
प्रमाणित
वैक्सीन
उपलब्ध
नहीं
है।
हालांकि
हमें
अभी
यह
नहीं
पता
है
कि
वायरस
में
भविष्य
में
किस
तरह
का
बदलाव
होगा
और
यह
बच्चों
को
किस
तरह
प्रभावित
करेगा,
बावजूद
इसके
हमे
बच्चों
को
संक्रमण
से
बचाना
होगा।
इसके
लिए
घर
पर
रहते
हुए
भी
बड़़ों
को
कोविड
अनुरूप
व्यवहार
का
पालन
करना
होगा,
और
अपनी
सामाजिक
मेल
जोल
को
कम
करना
होगा।
इस
तरह
से
बच्चों
में
कोविड
के
संक्रमण
को
कम
किया
जा
सकता
है।
इसके
साथ
ही
सभी
व्यस्क
को
संक्रमण
से
खुद
को
सुरक्षित
रखने
के
लिए
कोविड
का
वैक्सीन
अवश्य
लेना
चाहिए,
इससे
भी
बच्चों
में
संक्रमण
की
संभावना
को
काफी
हद
तक
कम
किया
जा
सकता
है,
और
अब
क्योंकि
गर्भवती
और
स्तनपान
कराने
वाली
महिलाओं
के
लिए
भी
कोविड
की
वैक्सीन
उपलब्ध
है।
इससे
गर्भस्थ
शिशु
और
नवजात
को
प्राण
घातक
संक्रमण
से
बचाने
लिए
पर्याप्त
एंटीबॉडी
मिल
सकेगी।
प्रश्न- कोविड की दूसरी लहर ने बच्चों को किस तरह प्रभावित किया है?
उत्तर- दूसरी लहर से बच्चों को समान रूप से प्रभावित किया है। कोविड19 एक नया वायरस है और इसने हर उम्र के लोगों को प्रभावित किया है, क्यों हमारे शरीर में इस वायरस के खिलाफ लड़ने के लिए पर्याप्त इम्यूनिटी नहीं थी। एनसीडीसी और आईडीएसपी के डैसबोर्ड के अनुसार कोविड के सभी मरीजों में 12 प्रतिशत ऐसे मरीज थे, जिनकी उम्र 20 साल से कम थी। हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार बच्चों और बड़ों में सीरोपॉजिटिव दर एक समान ही देखी गई। यद्यपि दूसरी लहर ने क्योंकि बहुत अधिक लोगों को प्रभावित किया, इसी तरह दूसरी लहर में बच्चों के संक्रमित होने की संख्या पहली लहर के एवज में अधिक देखी गई। लेकिन संक्रमण की वजह से बड़ों की अपेक्षा बच्चों की मृत्यु कम हुई, संक्रमण की वजह से मौत केवल उन्हीं बच्चों की हुई जिन्हें एक साथ अन्य बीमारिया जैसे डायबिटिज आदि थी।
प्रश्न-
कोविड
संक्रमित
बच्चों
का
इलाज
करने
में
आपको
किस
तरह
की
परेशानियों
का
सामना
करना
पड़ा,
विशेष
रूप
से
ऐसे
बच्चे
जिन्हें
अस्पताल
में
भर्ती
किया
गया?
उत्तर-
कोविड
संक्रमित
बच्चों
के
लिए
बेड
की
संख्या
बढ़ने
की
वजह
से
हम
पॉजिटिव
बच्चों
का
इलाज
बेहतर
तरीके
से
कर
पाए।
हालांकि
कोविड
की
दूसरी
लहर
की
पीक
के
दौरान
हमने
कई
तरह
की
चुनौतियों
का
सामना
किया,
क्योंकि
इस
समय
हमारे
अधिकतर
स्टॉफ
नर्स,
सीनियर
डॉक्टर
और
रेजिडेंट
डॉक्टर
भी
पॉजिटिव
आने
लगे
थे।
दूसरी
लहर
की
इस
स्थिति
में
हमें
रेफरल
मरीजों
को
भी
इलाज
देने
में
काफी
परेशानी
का
सामना
करना
पड़ा।
Fact Check: क्या इंडोनेशिया के समुद्र में मिली हैं देवी-देवताओं की 5000 साल पुरानी मूर्तियां?
प्रश्न- कोविड संक्रमण के मामले में एमआईएस सी की काफी चर्चा की जा रही है, इसको अधिक विस्तृत रूप से समझाएं, एमआईएस सी के मरीजों का इलाज करते हुए आपको किस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ा? अभिभावको इस बारे में किस तरह सतर्क रहने की जरूरत है, इसका इलाज क्या है?
उत्तर- 19 से कम उम्र के बच्चों में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम के मामले देखे गए, जिसे एक नया सिंड्रोम बताया गया है। कोरोना संक्रमित आबादी के कोविड संक्रमित होने के दो से छह हफ्ते के बाद यह सिंड्रोम देखा गया। इस सिंड्रोम के क्लीनिकल लक्षण निम्न प्रकार हैं- श्वांस नली में संकुचन के साथ ही लगातार बुखार का बने रहना, कावासाकी संक्रमण के जैसे होने वाले अधिकांश लक्षण इस सिंड्रोम में देखने को मिलते हैं। इस तरह के सभी संभावित मामलों को टेरिटेरी केयर अस्पताल के एचडीयू (हाई डिपेंडेंसी यूनिट)और आईसीयू (इंटेंस केयर यूनिट) में भर्ती करने की जरूरत होती है। यदि सिंड्रोम की जल्दी पहचान हो जाती है तो इसका इलाज किया जा सकता है।