पीएम मोदी पर हमले के बाद पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी को वापस लेना पड़ा शब्द
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी के एक ट्वीट का एक शब्द उनके गले की फाँस क्यों बना.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी लगातार भारत की कश्मीर नीति पर सवाल उठाते रहे हैं.
लेकिन पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान और शाह महमूद क़ुरैशी ने भारत में इस्लामोफ़ोबिया का आरोप भी लगाया है और मुसलमानों की प्रताड़ना की बात कही है.
पाकिस्तान के पीएम इमरान ख़ान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विचारधारा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर निशाना साधते रहे हैं.
इसी क्रम में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी का एक ट्वीट उनके गले की फाँस बन गया है.
हालाँकि उन्होंने वो ट्वीट डिलीट कर दिया है और दोबारा ट्वीट किया.
ट्रोल होने लगे
लेकिन तब तक वे ट्विटर पर लोगों के निशाने पर आ गए.
अपने पहले ट्वीट में उन्होंने भारत के पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए ये लिखा कि पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र और इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी से बार बार अपील की है कि वो मोदी की द्रविड़ियन प्रभुत्व वाली विचारधारा की आलोचना करे, जिसमें इस्लामोफ़ोबिया और हिंसा के साथ-साथ क्षेत्रीय अस्थिरता भी लगातार जारी है.
शाह महमूद क़ुरैशी लगातार भारत और पीएम नरेंद्र मोदी को निशाना बनाते रहे हैं.
इसमें कोई नई बात नहीं है. लेकिन वो मोदी की द्रविड़ियन श्रेष्ठता की बात कहकर फँस गए.
दरअसल, आम तौर पर द्रविड़ियन शब्द का इस्तेमाल दक्षिण भारतीय लोगों के लिए किया जाता है और उसमें भी तमिलनाडु में.
Pakistan has consistently appealed to @UN & @OIC_OCI to condemn Modi’s Hindutva supremacist ideology with relentless Islamophobia & violence/regional instability perpetuated. We also welcome @antonioguterres agreement on need to counter Islamophobia & OIC-IPHRC’s earlier censure.
— Shah Mahmood Qureshi (@SMQureshiPTI) May 26, 2020
शाह महमूद क़ुरैशी का ट्वीट जैसे ही सामने आया, लोग उन्हें ट्रोल करने लगे.
अमरीका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक़्क़ानी ने लिखा, "ऐसा लगता है कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री या उनके लिए जो भी ट्वीट करता है, उसे भारत का इतिहास और जातिगत उत्पति के बारे में कोई जानकारी नहीं है. मुख्य रूप से आर्यन उत्तर भारतीय को द्रविड़ियन प्रभुता वाली विचारधारा कहना पाकिस्तान के लिए तुर्की ऑरिजिन का दावा करने से भी ज़्यादा बुरा है."
It seems that the FM of Pakistan & whoever tweets for him has no clue about Indian history or racial origins. Attributing ‘Dravidian supremacist ideology’ to predominantly Aryan north Indians is even worse than claiming Turkic origins for Pakistan. 🤦🏽♂️ https://t.co/m2Tgvh4PjG
— Husain Haqqani (@husainhaqqani) May 26, 2020
हालांकि शाह महमूद क़ुरैशी ने कुछ देर बाद अपना पहले वाला ट्वीट डिलीट कर दिया और फिर दूसरा ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने मोदी की हिंदुत्व विचारधारा का ज़िक्र किया.
वैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के गुजरात राज्य से आते हैं, जो पश्चिमी भारत का हिस्सा है.
कई ट्विटर यूजर ने शाह महमूद क़ुरैशी की इतिहास की समझ पर सवाल उठाया है, तो कई लोगों ने पूछा है कि उन्होंने पहले का ट्वीट क्यों डिलीट किया.
That was quick, it is already trending. I thought only I noticed that Shah Mehmood Qureshi has no idea who Dravidians were or are :P #Dravidian
— Maqbool Sasoli ☭ (@maqboolsasoli) May 26, 2020
Why don't you educate Shah Mehmood Qureshi first ?
— Soul (@Soul20073719) May 26, 2020
Being the spokesperson of Pakistan on internation platform if he doesn't know about dravidian then that points out to the loopholes present in your existing system.
द्रविड़ इतिहास
द्रविड़ इतिहास और इनकी उत्पति को लेकर अलग-अलग दावे किए जाते रहे हैं. दक्षिण भारत में ये कहा जाता है कि द्रविड़ इतिहास आर्यन से भी पुराना है और इसकी जड़ें सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ी हुई हैं.
इतिहासकारों के अलग-अलग दावों के बीच एक बात तो सच है कि दक्षिण भारत ख़ासकर तमिलनाडु की राजनीति द्रविड़ आंदोलन के आसपास ही रही है.
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2018 में एक कार्यक्रम में द्रविड़ बनाम आर्यन को लेकर कहा था कि पहली बार द्रविड़ियन टर्म का इस्तेमाल आदि शंकराचार्य ने किया था.
उन्होंने कहा था, "तमिलनाडु में इसे प्रतिष्ठा मुद्दा भी बनाया गया और प्रतिक्रिया में राम के बदले रावण की पूजा होने लगी थी लेकिन लोगों को पता होना चाहिए कि रावण का भी जन्म उत्तर भारत में ही हुआ था."
भारत में द्रविड़ बनाम आर्यन की बहस को मौलिकता से भी जोड़ा जाता है कि कौन यहां का मूल निवासी था. ये भी कहा जाता है कि ईरान का मतलब लैंड ऑफ आर्यन होता है और आर्यन को ईरान से भी जोड़ा जाता है.
स्वामी विवेकानंद मानते थे कि आर्यन की उत्पति भारत में हुई और यहीं से बाहर गए. श्री अरबिंदो का कहना था कि द्रविड़ियन भाषा संस्कृति से मिलती जुलती है.
भारत में हिंदूवादी राजनीति में आर्यन पहचान पर ज़्यादा ज़ोर रहा है और दक्षिण की राजनीति में ख़ासकर तमिलनाडु की राजनीति में द्रविड़ पहचान को लेकर.
वो चाहे ईवी रामास्वामी पेरियार की बात हो, करुणानिधि की, जयललिता की या तमिलनाडु के अन्य नेताओं की. तमिलनाडु की कई पार्टियों के नाम में भी द्रविड़ शब्द रहता ही है.
वो चाहे डीएमके हो या एआईएडीएमके. दलित आंदोलन और कट्टर हिंदुत्व के ख़िलाफ़ जुड़ने के कारण धीरे-धीरे द्रविड़ शब्द का इस्तेमाल ग़ैर ब्राह्मणों के लिए भी होने लगा था.
एक बार तो पेरियार ने दक्षिण भारतीयों के लिए एक अलग द्रविड़नाडु की मांग भी की थी.तमिलनाडु की राजनीति में द्रविड़ शब्द का प्रभाव इतना गहरा है कि आज भी वहाँ की राजनीति इसी के इर्द-गिर्द घूमती है. भारत के राष्ट्रगान जन गण मन में भी द्रविड़ शब्द का उल्लेख है.