पाकिस्तान का चीन के साथ नई तिकड़मबाजी, सियाचिन के पास सड़क बनाने की तैयारी
Pakistan China road project:पाकिस्तान गिलगित-बाल्टिस्तान से चीन के शिनजियांग प्रांत तक एक नई सड़क बनाने की योजना पर काम शुरू कर रहा है। अगर पाकिस्तान अपने इस मंसूबे में कामयाब होता है तो यह सड़क सियाचिन से लेकर लद्दाख तक भारतीय सुरक्षा बलों के लिए नई परेशानी का सबब बन सकती है। हालांकि, मौजूदा कंगाली हालत में पाकिस्तान के लिए इस प्रोजेक्ट को बढ़ाना बहुत आसान नहीं लग रहा है, लेकिन अगर ड्रैगन को इसमें अपना हित भी लगा तो वह चीन को हर मुमकिन मदद भी दे सकता है।
पाकिस्तान का चीन के साथ नई तिकड़मबाजी
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में छपी एक खबर के मुताबिक पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान सरकार ने इसी महीने एक प्रस्ताव पास किया है, जिसका मकसद चीन से लेकर पाकिस्तान तक एक नया ट्रेड रूट तैयार करना है। मौजूदा समय में चीन और पाकिस्तान सिर्फ काराकोरम हाइवे से जुड़े हुए हैं, जो खुन्नजादाब दर्रे में एक क्रॉसिंग बनाकर तैयार किया गया था। यह सड़क 1978 में बनकर तैयार हुई थी। लेकिन, प्रस्तावित नई सड़क गिलगित-बाल्टिस्तान सीमा पर यारकंद से चीन के पश्चिमी हिस्से शिनजियांग प्रांत को जोड़ेगा। यह मार्ग बनने से चीन से पाकिस्तान तक भारत के साथ लगने वाली नियंत्रण रेखा (LOC) पर सैन्य साजो-सामान की सप्लाई के लिए भी एक नया रास्ता खुल जाएगा।
गिलगित-बाल्टिस्तान सरकार ने प्रस्ताव बनाने को कहा
740 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तानी कब्जे वाली कश्मीर को विभाजित करती है। इसी के उत्तरी हिस्से में सियाचिन ग्लेशियर है, जहां दुनिया की सबसे ऊंची रणभूमि में भारतीय जांबाज चौबीस घंटे तैनात हैं। इसके पश्चिमी हिस्से से ही भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) शुरू होती है। लेकिन, भारत के अभिन्न अंग गिलगित-बाल्टिस्तान (पाकिस्तान के कब्जे में है) की स्थानीय सरकार ने पिछले 15 जनवरी को अपने पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट को इस मेगा सड़क प्रोजेक्ट का कंसेप्ट क्लीयरेंस प्रपोजल तैयार करने का निर्देश दिया है। इसके मुताबिक चीन के शिनजियांग के पास मुस्तग दर्रे से ट्रकों के इस्तेमाल लायक 10 मीटर चौड़ी सड़क बनाई जानी है,जो लद्दाख के पश्चिम में करीब 126 किलोमीटर दूर गिलगित-बाल्टिस्तान तक आएगी। इसी हाइवे से स्कार्दू भी जुड़ेगा, जहां पाकिस्तानी एयरफोर्स ने बड़ा एयरबेस बना रखा है।
पाकिस्तान-चीन को काराकोरम का विकल्प मिलेगा
इस रास्ता के बनने से चीन और पाकिस्तान के बीच काराकोरम हाइवे का एक और विकल्प तैयार हो जाएगा, जो सर्दियों में बहुत ज्यादा बर्फबारी के चलते बंद हो जाता है। इससे साल भर सप्लाई चेन बनाई रखी जा सकेगी। लेकिन, भारत के नजरिए से यह इसलिए बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है, क्योंकि यह नई सड़क सियाचिन के उत्तर से गुजरने वाला है। यानी चीन और पाकिस्तान सालों भर सप्लाई चेन बनाए रखने की बात कर रहे हैं, लेकिन इस मार्ग के जरिए ये दोनों भारत के खिलाफ अपना सामरिक हित भी साध सकते हैं। क्योंकि, यह प्रस्तावित सड़क दुर्गम पहाड़ों और पीओके (PoK) में नीलम वैली से होकर गुजरेगी जो कि झेलम नदी के बिल्कुल पास है। इस इलाके में सड़क निर्माण के लिए कई बड़ी सुरंगों की आवश्यकता पड़ेगी,जिसके लायक पाकिस्तान के पास ना तो तकनीकी संसाधन हैं और ना ही इंजीनियर। इस काम में चीन उसकी भरपूर सहायता करेगा।
सियाचिन में भारत को घेरना चाहता है पाकिस्तान?
वॉशिंगटन में रहने वाले एनालिस्ट समीर ललवानी ने कहा है कि, 'ट्रांसपोर्ट कैपिसिटी बढ़ने से पाकिस्तान की व्यापारिक क्षमता और किसी भी आपात स्थिति में उसकी सैन्य गतिविधि बढ़ाने में मदद तो मिलेगी ही, इससे सियाचिन ग्लेशियर पर भारत की पकड़ को भी खतरा पैदा होगा और इससे चीन और पाकिस्तान के बीच शांति काल में और ज्यादा सैन्य सहयोग बढ़ सकता है, जो युद्ध के समय में भारत के लिए परेशानियां पैदा कर सकता है। ' दरअसल, कुछ महीने पहले ही पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने भारत की चेतावनी के बावजूद गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव करवाने की नौटंकी करवाई थी, जिसमें उन्हीं की पार्टी तहरीक ए इंसाफ को जीत मिली। यही वजह है कि वहां की सरकार ने इस समय एक नई सड़क निर्माण का एजेंडा तैयार किया है। वैसे सवाल है कि भयंकर आर्थिक तंगी झेल रहा पाकिस्तान इस सड़क को बनाने के लिए पैसे कहां से लाएगा, जिसकी कर्ज की रफ्तार सालाना 11.5 फीसदी के दर से बढ़ती जा रही है। ऐसे में उसकी आस उसके ऑल वेदर फ्रेंड चीन पर ही जा कर टिक सकती है।
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